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बोकारो : करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी होसिर पंचायत के हजारों एकड़ खेत में नहीं पहुंचा पानी

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत झारखंड के ललपनिया स्थित होसिर पूर्वी एवं पश्चिमी पंचायत में स्थित हजारों एकड़ जमीन की सिंचाई के लिए बिजली पहुंचाने की योजना थी. पोल, तार और ट्रांसफॉर्मर पहुंच गये, लेकिन पानी नहीं पहुंचा. अलबत्ता यहां के किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

ललपनिया, नागेश्वर : बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड अंतर्गत‌ होसिर पूर्वी और पश्चिमी पंचायत में तेनुघाट डैम के किनारे हजारों एकड़ भूमि को सिंचित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च हुए. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत बिजली के पोल और तार लगाये गये. इसका उद्देश्य खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाना था, ताकि किसानों की परती व बंजर जमीन को उपजाऊ बनाया जा सके. खेतों की उपज बढ़ सके. किसान आत्मनिर्भर बनें, लेकिन सरकार का यह उद्देश्य पूरा नहीं हुआ.

ट्रांसफॉर्मर के सपोर्ट के लिए लगे एंगल व चैनल की चोरी

समय पर बिजली की लाइन को चार्ज नहीं किया गया, जिसकी वजह से योजना सफल नहीं हो पायी. किसानों के फायदे के लिए लगाये गये ट्रांसफॉर्मर को सपोर्ट करने के लिए बिजली के पोल पर लगे एंगल व चैनल की चोरी हो गयी. इस तरह सरकार का करोड़ों रुपये खर्च करना बेकार गया.

2019 में शुरू हुई प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई विकास योजना

वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने कृषि विकास के लिए महत्वाकांक्षी सिंचाई योजना की शुरुआत की गयी थी, ताकि खेतों तक पानी आसानी से पहुंच सके. इसके लिए तेनुघाट अंचल विद्युत विभाग ने डैम के तटीय क्षेत्रों में दर्जनों बिजली के पोल लगाये. उसके जरिये खेतों तक बिजली पहुंचायी गयी. इसमें 25 केवीए के 30 से 40 ट्रासंफॉर्मर लगाये गये, ताकि डैम के पास स्थित खेतों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके. किसान आत्मनिर्भर बन सकें.

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2021 में लगे पोल और ट्रांसफॉर्मर

बिजली विभाग ने पोल और ट्रांसफॉर्मर लगाने का काम वर्ष 2021 में पूरा कर लिया. जैसे ही ट्रांसफॉर्मर लगे, क्षेत्र के किसानों की खुशी का ठिकाना न रहा. उनको लगा कि अब उनके दुर्दिन दूर हो जायेंगे. मौसम पर आश्रित नहीं रहना होगा. अगर बारिश नहीं हुई, तो बिजली की मदद से पानी की व्यवस्था करके खेती कर लेंगे. फसल के लिए जरूरी पानी भी मिल जायेगा. लेकिन, ऐसा हो न सका.

लाइन को चार्ज न करने की वजह से करोड़ों की योजना बेकार

दरअसल, बिजली विभाग ने लाइन को चार्ज नहीं किया और कई अन्य योजनाओं की तरह इस योजना का भी हश्र वही हुआ. ढाक के तीन पात. यानी पोल गड़ गये. ट्रांसफॉर्मर लग गये. लेकिन, खेतों तक एक बूंद पानी नहीं पहुंच पाया. हजारों एकडॉ भूमि की सिंचाई के लिए जिस योजना की शुरुआत हुई थी, सिर्फ बिजली लाइन को चार्ज नहीं करने की वजह से योजना में खर्च हुए सारे पैसे बेकार हो गये.

किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी

स्थानीय लोग बताते हैं कि किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंचा. उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया. दूसरी तरफ, ट्रासंफॉर्मर के सपोर्ट में लगे एंगल, चैनल आदि को चोर लो गये. किसान सभा गोमिया प्रखंड के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद और किसान तारमेश्वर प्रजापति ने कहा तेनुघाट डैम के तटीय क्षेत्र में सैकड़ों किसान 10 वर्ष से गेहूं, धान, मकई की खेती कर रहे हैं.कोरोना संक्रमण के दौरान खेती अच्छी नहीं हुई. उन्हें उम्मीद थी कि बिजली आ जायेगी, तो खेत की पटवन हो जायेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. तार आज भी पोल पर लगे हैं, लेकिन बिजली नहीं आती.

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काफी प्रयास से योजना को लाया गया : देवनारायण प्रजापति

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के राष्ट्रीय सदस्य सह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता देवनारायण प्रजापति कहते हैं कि काफी दौड़-धूप के बाद इलाके को एक योजना मिली थी. उद्देश्य था कि बिजली की मदद से पानी लाकर खेतों की पटवन हो, ताकि किसान सशक्त बने. यह बेहद दुख की बात है कि सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च भी किये और किसानों को उसका कोई लाभ नहीं मिला.

बिजली विभाग के कान पर नहीं रेंगी जूं

देवनारायण प्रजापति ने कहा कि बिजली विभाग के संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गयी. फिर से योजना को पुनर्जीवित करने का आग्रह किया गया, लेकिन विभागीय अधिकारियों के कान पर जूं तक न रेंगी. बिजली विभाग के इस उदासीन रवैये से ग्रामीणों और किसानों में आक्रोश है. विभाग से मांग की गयी है कि जल्द से जल्द बिजली की लाइन को बहाल किया जाये, ताकि किसानों के खेतों तक बिजली पहुंचे. इससे वे वे अपने खेतों की समय पर सिंचाई कर सकेंगे.

योजना के बारे में जानकारी मिली है : ईई

तेनुघाट विद्युत अंचल के ईई समीर कुमार ने कहा कि यह मेरे समय की योजना नहीं है. मेरे पदभार ग्रहण के पहले का मामला है. रही बात योजना की, तो यह मेरे संज्ञान में है. पूरे मामले की जांच के बाद इस मामले में कार्रवाई की जायेगी. कोशिश होगी कि ग्रामीणों और किसानों के हित में बिजली की सप्लाई वहां तक पहुंचे.

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