पिंड्राजोरा. भवनाथ चौधरी कॉलेज ऑफ एजुकेशन दीवानगंज चास के सभागार में शनिवार से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई. विषयक शिक्षा और भाषाई परिदृश्य के क्षेत्र में 21वीं सदी को आकार देने वाले भविष्य के लिए डिजिटल साक्षरता का प्रभाव है. मुख्य अतिथि आरसीयू यूनिवर्सिटी पलामू के पूर्व प्राचार्य डॉ एस के शर्मा ने कहा कि 21वीं सदी में डिजिटल साक्षरता छात्रों को समुचित जानकारी और संसाधनों तक ऑनलाइन पहुंचने में सक्षम हो सकती है. इससे उनकी शिक्षा पारंपरिक कक्षा की सीमाओं से परे विस्तारित होती है. छात्र-छात्राएं इंटरैक्टिव शिक्षा गतिविधियों मे संलग्न हो सकते है. डिजिटल साक्षरता के माध्यम से बच्चे अपने साथियों को सहयोग कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि डिजिटल साक्षरता सिर्फ कौशल नहीं है. यह एक आवश्यकता है. यह व्यक्तियों को जानकारी तक पहुंचने, प्रभावी ढंग से संवाद करने, रोजगार सुरक्षित करने गंभीर रूप से सोचने और डिजिटल परिदृश्य को जिम्मेवारी से नेविगेट करने का अधिकार देता है. इससे पहले मुख्य अतिथि डॉ शर्मा, मगध यूनिवर्सिटी बोधगया के अंग्रेजी विभाग के प्रो डॉ नीरज कुमार, मन्नू कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन दरभंगा के प्राचार्य मोहम्मद फैज अहमद, विनोबा भावे यूनिवर्सिटी हजारीबाग के प्रो डॉ तनवीर यूनुस, वसुंधरा बीएड कॉलेज पुरुलिया की प्राचार्या डॉ मौसमी चक्रवर्ती व भवनाथ चौधरी कॉलेज ऑफ एजुकेशन के निदेशक अरविंद कुमार चौधरी ने संगोष्ठी की शुरुआत की.
सजग और तत्परता से आगे बढ़ने की जरूरत
अध्यक्षता करते हुए निदेशक अरविंद कुमार चौधरी ने कहा कि आज के इस टेक्नोलॉजी के दौर में हमें सजग और तत्परता से आगे बढ़ने की जरूरत है. समस्या के आधार पर हमें ईमानदारी पूर्वक कार्यों का निष्पादन करना आवश्यक है. गोष्ठी कार्यक्रम के पूर्व कॉलेज की छात्राओं ने स्वागत गीत व नृत्य की प्रस्तुत दी. धन्यवाद ज्ञापन कॉलेज की प्राचार्या डॉ रंजना कुमारी ने की.
इन्होंने किया संबोधित
मौके पर चास कॉलेज चास के प्राचार्य डॉ बी एन महतो, प्रो डॉ. रघुवर सिंह, प्रो डॉ के एन झा , रमेश चौधरी, आर एन झा आदि ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया. कार्यक्रम में भवनाथ चौधरी कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी उपस्थित थे.