बोकारो, रंजीत कुमार : पांच करोड़ के सदर अस्पताल में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी खुद के भरोसे ड्यूटी करते हैं. जानकारी के मुताबिक राइडर कंपनी की ओर से सुरक्षाकर्मी बहाल किये गये हैं, परंतु दुर्व्यवहार की घटना होने पर निहत्था होने के कारण वो भी असहाय हो जाते हैं. चिकित्सकों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं लगातार हो रही हैं. फरवरी 2017 से 2023 तक चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों से दुर्व्यवहार की दो दर्जन से अधिक घटनाएं घट चुकी हैं.
ओपीडी में हर दिन शोर-शराबा रहता है. हो-हल्ला करनेवालों से निपटने का कोई उपाय भी प्रबंधन ने नहीं किया. महिला व जेनरल ओपीडी को छोड़ कर एक भी ओपीडी के बाहर अटेंडेंट नहीं मिलते हैं. ऐसे में एक साथ 10 से 15 मरीज (नेत्र, दंत, मनोचिकित्सक, शिशु, स्कीन, इएनटी, अर्थोपेडिक व सर्जरी) ओपीडी कक्ष में प्रवेश कर जाते हैं. कतार में आने की बात कहते ही चिकित्सक से उलझ पड़ते हैं.
पहली बार सदर अस्पताल में 12 फरवरी 2017 को तत्कालीन डीएस सह ऑर्थोपेडिक्स डॉ एचडी सिंह के साथ दुर्व्यवहार की घटना हुई थी. जबरदस्ती दवा लिखवाने पर उतारू मरीज के परिजनों को मना करने पर यह घटना हुई थी. पुलिस प्रशासन से सीएस के नेतृत्व में लगातार सुरक्षा की मांग की जाती रही. हर घटना के बाद दो-चार दिनों के लिए हथियारबंद पुलिसकर्मी की तैनाती हो जाती है. फिर इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. तत्कालीन सीएस डॉ सोबान मुर्मू, डॉ अंबिका प्रसाद मंडल, डॉ अशोक कुमार पाठक, डॉ जितेंद्र कुमार सिंह व वर्तमान सीएस डॉ एबी प्रसाद ने कई बार सुरक्षा की मांग की. तत्कालीन डीसी मृत्युंजय बरनवाल व तत्कालीन एसपी पी मुरुगन से लेकर वर्तमान डीसी व एसपी को पत्र दिया गया. हर बार सभी ने केवल आश्वासन दिया. अस्पताल परिसर में पुलिस पिकेट खोलने की बात की गयी, परंतु आज तक कुछ हो नहीं सका.