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बोकारो थर्मल की डॉ छाया को पेंटिंग में मिले हैं एक हजार से ज्यादा पुरस्कार

बोकारो थर्मल की डॉ छाया को पेंटिंग में मिले हैं एक हजार से ज्यादा पुरस्कार

संजय मिश्रा, बोकारो थर्मल : बोकारो थर्मल निवासी डीवीसी सिविल अभियंता शिशु मोहन की पत्नी दंत सर्जन डॉ छाया कुमारी की पहचान एक कलाकार के रूप में भी है. उनकी पेंटिंग में विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं की झलक दिखती है. डॉ छाया को एक हजार से ज्यादा पुरस्कार मिले हैं. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में एक अधिकारिक भागीदार के रूप में पंजीकृत किया गया है. उन्हें छह बार इंडिया बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स और पांच बार एशिया बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स में 15 फीट गुणा साढ़े सात फीट की सबसे बड़ी मधुबनी कैनवास पेंटिंग, 64 फीट की कैनवास पर सबसे बड़ी वर्ली पेंटिंग, संपूर्ण रामायण को दर्शाने वाली सबसे बड़ी मधुबनी पेंटिंग, 164 फीट की सबसे लंबी गोंड पेंटिंग के लिए पंजीकृत किया गया है. डॉ छाया बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों की लोक कलाओं, लुप्त हो रही लोक कलाओं के प्रति सजग हैं. उनका लक्ष्य लोक कलाओं के प्रचार और पुनरुद्धार को बढ़ावा देना है. उन्होंने 200 से अधिक प्रदर्शनियों में भी भाग लिया है. डॉ छाया का कहना है कि चार वर्ष की आयु से ही पेंटिंग बना रही हूं. पेंटिंग में आदर्श अपनी नानी स्व अहिल्या देवी एवं मां विमला झा को मानती हूं. मां गांव में होने वाले विवाह, मुंडन, कोहबर, जनेउ आदि समारोहों में बारिकी से मधुबनी पेंटिंग और अर्पण का कार्य करती थीं. उन्हें देख कर सीखती थी. डॉ छाया मधुबनी पेंटिंग के अलावा विभिन्न राज्यों की लोक कला वार्ली, गोंड, सोहराय, पैटकर, टिकुली, कमलकारी, बस्तर आदि में पेंटिंग करती हैं. उनके द्वारा 104 फीट की गोंड पेंटिंग बनायी गयी, जिसके लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकाॅर्ड में दर्ज किया गया है. डॉ छाया ने तीन किताबें ””””””””ए बिगनर्स गाइड टू मधुबनी, संपूर्ण रामायण मिथिला चित्रकला संग, कृष्ण लीला मिथिला चित्रकला संग”””””””” भी लिखी हैं.

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