Duck Farming In Jharkhand : झारखंड के बुजुर्ग किसान ने बतख पालन से दिखाई आत्मनिर्भरता की राह, पलायन करने वाले युवाओं को दे रहे स्वरोजगार का मंत्र

Duck Farming In Jharkhand, Bokaro News, ललपनिया (नागेश्वर) : झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड अंतर्गत पचमो पंचायत के उग्रवाद प्रभावित झुमरा पहाड़ गांव में एक 75 वर्षीय बुजुर्ग किसान प्रेमचंद महतो ने बतख पालन कर आत्मनिर्भरता की राह दिखाई है. इन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर इनका भतीजा बतख पालन कर रहा है. पहले ये काम करने बाहर जाते थे, लेकिन अब ये रोजगार को लेकर बोकारो से दूसरे राज्यों में पलायन नहीं करेंगे. बुजुर्ग किसान प्रेमचंद महतो कहते हैं कि युवाओं को पलायन करने की जगह खेती बाड़ी एवं पशुपालन कर स्वरोजगार करना चाहिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2021 3:50 PM

Duck Farming In Jharkhand, Bokaro News, ललपनिया (नागेश्वर) : झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड अंतर्गत पचमो पंचायत के उग्रवाद प्रभावित झुमरा पहाड़ गांव में एक 75 वर्षीय बुजुर्ग किसान प्रेमचंद महतो ने बतख पालन कर आत्मनिर्भरता की राह दिखाई है. इन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर इनका भतीजा बतख पालन कर रहा है. पहले ये काम करने बाहर जाते थे, लेकिन अब ये रोजगार को लेकर बोकारो से दूसरे राज्यों में पलायन नहीं करेंगे. बुजुर्ग किसान प्रेमचंद महतो कहते हैं कि युवाओं को पलायन करने की जगह खेती बाड़ी एवं पशुपालन कर स्वरोजगार करना चाहिए.

बुजुर्ग किसान प्रेमचंद महतो के भतीजा प्रकाश चन्द्र महतो व चाचा प्रेमचंद महतो के बतख पालन के जज्बे को देख गोमिया के बीडीओ कपिल कुमार काफी प्रभावित हुए और उन्हें झारखंड के मनरेगा आयुक्त से बात कर बतख आश्रय स्थल के लिए बड़े आकार के शेड की स्वीकृति प्रदान की. उन्होंने आश्वासन दिया कि दो माह के अंदर बतख रखने के लिए बड़ा शेड बन जायेगा. आपको बता दें कि बिना किसी सरकारी सहायता के करीब 500 बतख पाल रहे हैं. गोमिया के बीडीओ कपिल कुमार ने कहा कि झुमरा के ग्रामीण हों या किसान. सभी काफी मेहनती हैं. मनरेगा हो या अन्य योजनाएं ग्रामीणों को प्रदान कर विकास में गति लाने के लिए वे विशेष रूप से पहल करेंगे. आपको बता दें कि दो दिन पूर्व बीडीओ श्री कुमार झुमरा पहाड़ में मनरेगा व प्रधानमंत्री आवास योजनाओं का निरीक्षण कर रहे थे. इसी बीच उनकी नजर किसान प्रेमचन्द महतो द्वारा बतख पालन पर पड़ी. एक बुजुर्ग किसान व भतीजे की सामूहिक पहल से वे काफी प्रभावित हुए.

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बिना किसी सरकारी सहायता के ये करीब 500 बतख पाल रहे हैं. इस सबंध में पूछे जाने पर श्री महतो ने कहा कि बतख रखने के लिए जगह नहीं है. एक छोटे से शेड में बतखों को किसी तरह रखते हैं. जगह की कमी के चलते काफी संख्या में बतखों की मौत हो गयी. जगह रहने पर वे दो हजार बतखों का पालन करते. बीडीओ श्री कुमार प्रेमचन्द महतो की बातों से काफी प्रभावित हुए. इस दौरान उन्होंने आश्वासन दिया कि दो माह के अंदर बतख रखने के लिए बड़ा शेड बन जायेगा.

किसान प्रेमचंद महतो पिछले पांच वर्षों से बतख पालन कर रहे हैं. इनके भतीजे प्रकाश चन्द्र महतो ने छह माह पूर्व रांची से पांच सौ बतख का चूजा लाया. इसके साथ ही घर के नजदीक के तालाब में बतख पालने की शुरुआत की. बुजुर्ग किसान प्रेमचंद महतो का कहना है कि खाली समय को व्यर्थ गंवाने से बेहतर है कि जीवन में कुछ करें. उन्होंने विशेष कर युवाओं से कहा कि झुमरा पहाड़ क्षेत्र में कृषि तथा अन्य रोजगार के लिए असीम संभावनाएं हैं. रोजगार से जुड़ने के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन करने से बेहतर है कि कृषि, बतख, मुर्गी एवं सुकर पालन कर रोजगार से जुड़ें. उन्होंने कहा उनका भतीजा प्रकाश टावर लाइन में दूसरे प्रदेशों में कार्य करता था. उससे उसके पास 40 से 50 हजार रूपये जमा थे. इससे बतख पालन की शुरुआत की. अब वह काम करने बाहर नहीं जायेगा.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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