ललपनिया, नागेश्वर : झारखंड में एक गांव ऐसा भी है, जहां जंगली जानवरों से लोगों की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों ने मां दुर्गा के मंदिर की स्थापना की थी. आज भी इस मंदिर में गांव के हर घर से एक बकरे की बलि दी जाती है. इस गांव के लोग बताते हैं कि पांच पीढ़ियों से वे लोग इस दुर्गा मंदिर में मां की आराधना कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनका गांव चारों ओर से घने जंगलों से घिरा है. इसलिए कभी भी जंगली जानवर आ जाते थे. कभी बाघ, तो कभी शेर, भालू और अन्य जंगली जानवर. कई बार जानवरों ने गांव के लोगों को अपना शिकार बनाया. इसके बाद बुजुर्गों ने काफी विचार-विमर्श के बाद शेर की सवारी करने वाली मां दुर्गा के मंदिर की स्थापना करने का फैसला किया. विधिवत तरीके से मंदिर बनाया गया और मां दुर्गा की पूजा-अर्चना शुरू हो गई. इसके बाद से गांव में शेर और बाघ जैसे खूंखार जानवरों का आना बंद हो गया. कुछ छोटे-मोटे जंगली जानवर और जीव-जंतु आते, लेकिन उनसे ग्रामीणों को कोई नुकसान नहीं होता. इसके बाद से मंदिर के प्रति ग्रामीणों की आस्था बढ़ती गई.
बोकारो के झुमड़ा पहाड़ पर है बलथरवा गांव
यह गांव बोकारो जिला के झुमड़ा पहाड़ पर स्थित है. गांव का नाम है बलथरवा. पचमो पंचायत स्थित बलथरवा गांव में बराबर जंगली जानवरों की वजह से लोग आतंकित रहते थे. लेकिन, जब से भगवती मंदिर की स्थापना हुई, जंगली जानवरों का आतंक कम हो गया. आज भी ग्रामीण भगवती मंदिर में पूजा करते हैं. दुर्गा पूजा के दौरान हर साल यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं. दुर्गा मंडप में बकरे की बलि भी होती है. ग्रामीणों का विश्वास है कि जबसे मंदिर (मंडप) की स्थापना हुई है, यहां पूजा-पाठ शुरू हुआ है, तब से गांव के लोग सुकून की जिंदगी जी रहे हैं.
इतवारी महतो ने की थी पूजा की शुरुआत
स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मंदिर में सबसे पहले इतवारी महतो ने पूजा की शुरुआत की, उसके बाद अमित महतो, फिर साधु महतो, कीनू महतो, मोती महतो और उसके बाद वर्तमान में पांच भाई अभी साथ में मिलकर पूजा करते हैं. सभी को विश्वास है कि मां भगवती हम सभी ग्रामीणों की रक्षा करती हैं.