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समय के साथ अपग्रेड हुआ चुनावी प्रचार

अब जमीन के साथ आभासी दुनिया में बहना पड़ रहा पसीना

बोकारो. धनबाद व गिरिडीह लोकसभा में 25 मई को मतदान होना है. चुनावी प्रचार का दौर चल रहा है. सभी प्रत्याशियों ने अपने पक्ष में मतदाताओं को रिझाने की कोशिश में ताकत झोंक दी है. प्रचार का तरीका समय के साथ अपडेट हुआ है. जमीनी क्षेत्र के साथ-साथ आभासी दुनिया यानी सोशल मीडिया पर भी पसीना बहाना पड़ रहा है. तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रत्याशी पोस्ट पर पोस्ट लिख रहे हैं. वहीं समर्थक इन पोस्ट को शेयर कर रहे हैं.

लगभग 80 प्रतिशत परिवार के पास स्मार्टफोन

मोबाइल रिटेलर्स की मानें, तो जिला में लगभग 80 प्रतिशत परिवार के पास स्मार्टफोन है. इन स्मार्टफोन में कोई ना कोई सोशल मीडिया एप्लीकेशन इंस्टॉल जरूर है. दूसरी ओर तमाम प्रत्याशियों को विभिन्न सोशल साइट पर अकाउंट है. कई प्रत्याशी का प्राउडी अकाउंट भी है. इन सोशल मीडिया अकाउंट के जरिये प्रत्याशी सीधे आम लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं. प्रत्याशी के पोस्ट पर समर्थक व विरोधी में तर्क-वितर्क भी होता है.

फलना को वोट करें, फलना छाप बटन दबाएं… का शोर नहीं के बराबर

चुनाव प्रचार का तरीका में इस कदर परिवर्तन आया है कि चुनावी माहौल ही शांत हो गया है. वाहन पर चोंगा टांग कर होने वाला प्रचार अब नहीं के बराबर ही दिख रहा है. क्षेत्र में एक-दो प्रचार गाड़ी पर ही नजर पड़ रही है. हालांकि, प्रत्याशियों के साथ वाहनों की लंबी शृंखला जरूर दिख रही है.

शक्ति प्रदर्शन, सोशल मीडिया व लग्जरी गाड़ियां

शक्ति प्रदर्शन शब्द जब से राजनीति में चलन में आया है, तब से मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए राजनीतिक दलों के नेता व प्रत्याशी वाहनों का काफिला लेकर चलने लगे हैं. हालांकि, अब वोटर भी इसी लहजे को पसंद भी कर रहे हैं. बकायदा हर दल शक्ति प्रदर्शन के लिए हर तरह की कोशिश करती है. यहां तक कि छोटे-छोटे कार्यकर्ता के लिए भी वाहन मुहैया कराया जा रहा है.

सोशल मीडिया की अलग टीम

आभासी दुनिया यानी सोशल मीडिया में प्रत्याशी का संदेश लिखित पोस्ट या रील (शॉर्ट वीडियो) के जरिये लोगों तक पहुंचाने की कोशिश होती हे. संदेश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे, इसके लिए हर दल के पास एक विशेष टीम होती है. टीम को समय-समय पर बूस्टअप भी किया जाता है. राष्ट्रीय दल में सोशल मीडिया के लिए एक्सपर्ट तक बहाल किया गया है.

चुनावी प्रचार सामग्री का भी हुआ केंद्रीकरण

मौजूदा समय में चुनाव का केंद्रीकरण हुआ है. स्थानीय मुद्दा बहुत हद तक गौण हो गया है. इसी तरह चुनावी प्रचार सामग्री का भी केंद्रीकरण हुआ है. राष्ट्रीय दल का प्रचार सामग्री प्रदेश से मुहैया कराया जा रहा है. स्थानीय कार्यकर्ताओं की ओर से तय कार्यक्रम में ही लोकल स्तर से फ्लैक्स व बैनर बनाया जा रहा है. शेष सभी बैनर, फ्लैक्स, हैंडविल व अन्य प्रचार सामग्री पार्टी स्तर पर मुहैया कराया जा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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