इलेक्ट्रोस्टील से सेल व कोल इंडिया होते हुए जिंदल तक पहुंचा कोल ब्लॉक, पर 2014 के बाद से उत्पादन नहीं
228.12 मिलियन टन कोयला का है भंडार, अभी तक सिर्फ 0.768 मिलियन टन हुआ है खनन, 880 हेक्टेयर में फैला है कोल ब्लॉक, ओपन कास्ट व अंडर ग्राउंड माइनिंग की सुविधा
सीपी सिंह, बोकारो, बोकारो को औद्योगिक गतिविधि वाला जिला माना जाता है. कोल इंडिया की दो इकाई (सीसीएल व बीसीसीएल), दामोदर घाटी निगम की दो इकाई (बीटीपीएस व सीटीपीएस), सेल की एक इकाई (बीएसएल) समेत ओएनजीसी, बीपीएससीएल समेत निजी क्षेत्र में वेदांता व जिंदल की इकाई कार्यरत है. इन कार्यरत इकाई के बीच एक ऐसा क्षेत्र भी है, जो अपनी किस्मत का रोना 2014 से रो रहा है. बावजूद, इसकी किस्मत नहीं बदल रही है.10 साल में इस इकाई को दो प्राइवेट व दो सरकारी मालिक भी मिले, लेकिन इसकी किस्मत जस की तस बनी रही. बात हो रही है पर्वतपुर कोल ब्लॉक की, जिसकी किस्मत अंगड़ाई लेकर सो जा रही है.
यूपीए-01 सरकार ने 2005 में बोकारो के चंदनकियारी ब्लॉक में पर्वतपुर कोयला ब्लॉक को इएससीएल के लिए आवंटित किया था, जिसकी उत्पादन क्षमता 2.5 एमटीपीए थी. ब्लॉक में कोयला खनन 2009 में शुरू हुआ था. लेकिन, सितंबर 2014 में जब सुप्रीम कोर्ट ने कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द कर दिया, तो पर्वतपुर ब्लॉक भी इस आदेश के दायरे में आ गया. इसके बाद, भाजपा सरकार ने फरवरी 2015 में इस ब्लॉक की फिर से नीलामी करने का फैसला किया. पूर्व की कंपनी की तरफ से 31 दिसंबर, 2014 तक 0.768 मिलियन टन कोयला उत्खनन किया गया था.2015 में कोल इंडिया फिर 2016 में सेल के अधीन
पर्वतपुर कोल ब्लॉक पहले इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग लिमिटेड के अधीन था. कोल ब्लॉक को सुप्रीम कोर्ट से अवैध करार दिए जाने के बाद कोयला मंत्रालय के निर्देश पर बीसीसीएल ने 31 मार्च 2015 को कोल ब्लॉक को कस्टडी में लिया था. 2016 में इसे सेल को दिया गया. शुरुआत में कोयला व पेट्रोलियम मंत्रालय से एनओसी नहीं मिलने के कारण पर्वतपुर कोल ब्लॉक से कोयला उत्पादन शुरू नहीं हो सका. सेल प्रबंधन कई कोशिश के बाद भी माइनिंग शुरू नहीं कर पाया. कोल ब्लॉक 880 हेक्टेयर में फैला है. ब्लॉक में ओपेन कास्ट व अंडर ग्राउंड माइनिंग की सुविधा है. जानकारी के अनुसार यहां 228.12 मिलियन टन कोयला का भंडार है.2020 में कोल इंडिया को मिली जिम्मेदारी
2020 में बंद पड़े पर्वतपुर कोल ब्लॉक के चालू होने का रास्ता साफ हुआ. ब्लॉक को सेल से कोल इंडिया को दिया गया. कोयला मंत्रालय ने कोल इंडिया को इसके प्रबंधन व प्रचालन के साथ-साथ देखरेख की जवाबदेही दी गयी. भारत सरकार के संयुक्त सचिव राजेश कुमार सिन्हा के हस्ताक्षर से गजट अधिसूचना प्रकाशित की गयी थी. आदेश में कहा गया था कि पर्वतपुर कोल ब्लॉक, जो केंद्रीय कोल खनन क्षेत्र के अंतर्गत आता है, उसके परिचालन का कार्य भारत सरकार की कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) को दिया जाता है.
2022 में जिंदल बना नया मालिक
12 फरवरी 2022 को पर्वतपुर कोल ब्लॉक को जेएसडब्लू स्टील लिमिटेड को मिला. कोयला मंत्रालय की ओर से जेएसडब्लू को सक्सेसफुल बिडर बताया गया था. अगस्त 2023 तक सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी. वरीय अधिकारियों की उपस्थिति में हैंड ऑवर-टैक ऑवर किया गया. लेकिन, इतना वक्त बीतने के बाद भी उत्पादन शुरू नहीं हुआ. उत्पादन शुरू नहीं होने से स्थानीय स्तर पर असर हो रहा है. उत्पादन शुरू होने से प्रत्यक्ष तौर पर 02 हजार व अप्रत्यक्ष तौर 15 हजार से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध होता. इतना ही नहीं, उत्पादन शुरू नहीं होने से सरकार को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है.उत्पादन इसी साल शुरू करने का लक्ष्य : रवि कुमार
जिला खनन पदाधिकारी रवि कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार के ऑक्शन में जेएसडब्लू को कॉल ब्लॉक मिला है. लीज के लिए जेएसडब्लू के लिए आवेदन किया गया है. उनसे कई डॉक्यूमेंट की मांग की गयी है. कागजात जमा होने के बाद आगे की प्रक्रिया होगी. उत्पादन इसी साल शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है. कोल ब्लॉक के पास ही ओएनजीसी का सीबीएम ब्लॉक है. इस संबंध में को-डेवलपमेंट एग्रीमेंट भी जमा करना है. यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद उत्पादन शुरू होगा. उत्पादन से सरकार को रेवेन्यू मिलेगा. बोकारो जिला को रॉयलिटी के अलावा प्रीमियम भी प्राप्त होगा. यह जिला के लिए हर स्तर से फायदेमंद साबित होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है