बोकारो स्टील प्रबंधन ने मात्र 44 रुपये के कारण कर्मी का दो इंक्रीमेंट रोक दिया था. अब प्रबंधन को एकमुश्त 6,92,586 रुपये का भुगतान करना होगा. लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद 40 साल के बाद पूर्व कर्मचारी को न्याय मिला है. बात हो रही है बीएसएल के पूर्व कर्मी आरके प्रसाद, स्टाफ नंबर 35388, मल्टी स्किल ऑपरेटर, टोटल क्वालिटी मैनेजमेंट (टीक्यूएम) विभाग का. इस फैसले से कर्मी ने राहत की सांस ली है.
क्या है मामला
बोकारो इस्पात कामगार यूनियन (एटक) के कार्यकारिणी सदस्य आरके प्रसाद को यूनियन की गतिविधि में भाग लेने का आरोप लगाते हुए प्रबंधन ने उनका दो एनुअल इंक्रीमेंट रोक दिया था. यूनियन 23 मार्च 1983 को डिप्टी लेबर कमिश्नर के पास इस मामले को लेकर गयी. मामला को गंभीरता से लेते हुए डिप्टी लेबर कमिश्नर ने मजदूर पक्ष में फैसला देते हुए लेबर कोर्ट बोकारो में भेज दिया. बोकारो इस्पात कामगार यूनियन-एटक के महामंत्री रामाश्रय प्रसाद ने बताया : मामला सर्वोच्च न्यायालय से लेकर उच्च न्यायालय तक गया. अंत में प्रबंधन से पैसा वसूली करने के लिए आइडीएक्ट की धारा 33C-2, जिसका फैसला 30 सितंबर 2023 आदेश के तहत न्यायालय ने आदेश पारित किया. बीएसएल को 6,92,586 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया. इससे श्री प्रसाद को राहत मिली है.
जूनियर कर्मी को डी टाइप क्वार्टर अलॉट कर किया गया तंग : आरके प्रसाद
श्री प्रसाद ने बुधवार को बताया : 10 जनवरी 94 को लेबर कोर्ट ने पक्ष में अवार्ड पास करते हुए कहा : इंसेंटिव रोकना गलत था. सभी सुविधा बहाल की जाय, लेकिन, उस वक्त भी प्रबंधन ने इस फैसले को बहाल नहीं किया, उल्टे तंग करना शुरू कर दिया. मुझे क्वार्टर नहीं देकर जूनियर कर्मी को डी टाइप क्वार्टर अलॉट कर मानसिक रूप से तंग करने की कोशिश की गयी. लेकिन, मैंने हिम्मत नहीं हारी.
सीजीएम न्यायालय, बोकारो का फैसला आना अभी बाकी
श्री प्रसाद ने बताया : इसी केस में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार सीजीएम न्यायालय-बोकारो ने 22 दिसंबर 2022 को बोकारो स्टील प्रबंधन के प्रबंध निदेशक सहित चार उच्च पदाधिकारी को भी सजा सुनायी थी, जिसपर जिला जज का फैसला आना अभी बाकी है. कहा : आरके प्रसाद को न्याय मिलने से कर्मियों के साथ-साथ यूनियन की भी जीत हुई है. यूनियन कर्मी के हक व अधिकार की लड़ाई लड़ता रहेगा.