चंद्रपुरा के जंगलों में हर साल लग जाती है आग
चंद्रपुरा के जंगलों में गर्मी के दिनों में आग लगने की घटनाएं जैसे आम बात हो गयी है. चंद्रपुरा आवासीय कॉलोनी के बीचों-बीच जंगल में हर वर्ष आग लग जाती है.
विनोद सिन्हा, चंद्रपुरा
चंद्रपुरा के जंगलों में गर्मी के दिनों में आग लगने की घटनाएं जैसे आम बात हो गयी है. चंद्रपुरा आवासीय कॉलोनी के बीचों-बीच जंगल में हर वर्ष आग लग जाती है. कभी-कभी स्थिति ऐसी हो जाती है कि सीआइएसएफ चंद्रपुरा यूनिट के फायर विंग को आग बुझाने आना पड़ता है. हाल ही में डीवीसी प्रथम मध्य विद्यालय से सटे जंगल में आबादी वाले क्षेत्र में आग लग गयी थी, जिसे अग्निशमन दस्ते ने काफी मशक्कत के बाद बुझाया. सौभाग्य रहा कि आग जंगल की तलहटी में बने प्राइवेट घरों तक नहीं पहुंची अन्यथा काफी नुकसान हो सकता था. इसके अलावा चंद्रपुरा प्रखंड कार्यालय व दुगदा पहाड़ी मंदिर से सटे जंगल में भी पिछले सप्ताह आग लग गयी थी, जो रात में दूर से ही नजर आती थी. राजाबेड़ा के आसपास के घनघोर जंगल में भी अगलगी की घटनाएं होती रही हैं, मगर ना तो किसी ने इसे बुझाने की कोशिश की और ना ही वन विभाग कुछ कर पाता है.तीन दिनों से धधक रहा है पिलपिलो का जंगल : उमेश महतो, ऊपरघाट.
नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट स्थित कंजकिरो पंचायत के पिलपिलो का जंगल तीन दिनों से धधक रहा है. यहां एक पखवारा से आग लगने की घटनाएं हो रही हैं. वन विभाग के लोग शाम में आग बुझा कर जाते हैं, अगली सुबह आग फिर दहक उठती है. शुक्रवार रात से ही पिलपिलो मोड़ से पिलपिलो स्कूल के बीच आग लगी हुई है. वनपाल अजीत मुर्मू ने बताया कि 15 दिनों के भीतर लगभग 20-30 बार आग बुझायी जा चुकी है, लेकिन फिर भी काबू नहीं किया सका है. ग्रामीणों को आग लगने से होने वाले नुकसान की जानकारी दी गयी है. वन व पर्यावरण संरक्षण समिति के अध्यक्ष खिरोधर महतो ने कहा कि विभाग उड़नदस्ता बनाये, नहीं तो विभाग के खिलाफ आवाज उठायी जायेगी. उन्होंने कहा कि आग लगने से कीमती लकड़ी के साथ-साथ जड़ी-बूटी नष्ट हो रही है. वन्य जीव भी आग से मर रहे हैं या गांवों की ओर कूच कर रहे हैं.बोकारो थर्मल के कुसुमडीह जंगल में भी लगी है आगकुसुमडीह के जंगल में लगी आग : बोकारो थर्मल.
बोकारो थर्मल की अरमो पंचायत के कुसुमडीह जंगल में भी आग लगी है. जंगल में लगे सखुआ व अन्य पेड़ झुलस रहे हैं. रविवार की दोपहर तेज हवा चलने से आग काफी तेजी से बढ़ने लगी. पर्यावरण के जानकार गुलाब चंद्र का कहना है कि जंगलों में पहले सूखी घास में आग लगकर बढ़ती जाती है. फिर पेड़ों को अपनी जद में ले लेती है. कम बारिश होना, सूखे जैसे हालात बनना, गर्म हवा यानी लू का ज्यादा चलना और भीषण गर्मी जंगलों में आग के लिए जिम्मेदार हैं. जलवायु परिवर्तन के साथ कुछ-कुछ ऐसे ही हालात बनते जा रहे हैं. कहा कि प्रकृति का दोहन बढ़ने से वातावरण का संतुलन बिगड़ गया है. इससे कहीं बहुत ज्यादा तो कहीं कम बारिश हो रही है. वहीं तापमान भी बढ़ता जा रहा है, जिससे जंगलों में आग का खतरा बढ़ रहा है.जेल मोड़ के पास जंगल में लगी आग गैरेज तक पहुंची, अफरातफरी : ब्रह्मदेव दुबे, पिंड्राजोरा :
आये दिन जंगलों में आग लगाना एक आम बात हो गयी है. वन विभाग को जहां सूचना प्राप्त होती है, वहां वन विभाग के कर्मी आग बुझाने के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन कई जंगलों आग लगने की सूचना नहीं मिलने से छोटे-छोटे पेड़ पौधे जलकर राख हो रहे हैं. रविवार को जेल मोड़ एनएच-32 के समीप स्थित जंगल में आग लग गयी. आग की लपटें इतनी तेज थीं कि आग गैरेज में गाड़ियों के समीप तक पहुंच गयी थी, जिसे गैरेज मालिकों में अफरातफरी मच गयी. इसके बाद स्थानीय लोगों एवं गैरेज मालिकों ने गैरेज के पास लगी आग को बुझाया, लेकिन जंगल में अभी भी आग लगी हुई है. पेड़-पौधे जल कर नष्ट हो रहे हैं. वहीं शनिवार को बांधगोड़ा वन क्षेत्र में आग लग गयी. सूचना पर वन विभाग के कर्मियों ने आकर आग बुझायी, जिससे पेड़-पौधे नष्ट होने से बच गये. इधर, राहगीर तथा ग्रामीणों ने बताया कि असामाजिक तत्वों द्वारा जंगल में आग लगायी जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है