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संकट में किसान : बाजार व खरीदार के अभाव में खेतों में ही नष्ट हो रही सब्जियाें की फसल

दीपक, कसमार : लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है. बाजार और खरीदार के अभाव में सब्जियों की फसल खेतों में ही नष्ट हो रही है. अधिकतर किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. कुछ लाचार और विवश किसान गांवों में घूम-घूम कर सब्जी बेच रहे हैं. उन्हें भी वाजिब […]

दीपक, कसमार : लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है. बाजार और खरीदार के अभाव में सब्जियों की फसल खेतों में ही नष्ट हो रही है. अधिकतर किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. कुछ लाचार और विवश किसान गांवों में घूम-घूम कर सब्जी बेच रहे हैं. उन्हें भी वाजिब कीमत नहीं मिल पा रही. उत्पादन अधिक और आपूर्ति (खपत) अत्यंत कम होने की वजह से इस समय कीमत में गिरावट आयी है. बोकारो के दूंदीबाजार, पेटरवार के गागी हाट समेत जिले के प्रमुख बाजारों को बंद करा दिया गया है. गांवों में भी बाजार नाममात्र के लग रहे हैं. गांवों की अधिकतर सब्जियां व्यापारी के माध्यम से बड़े बाजारों में खपत होती थी. इसके बंद रहने से सब्जियों के थोक खरीदार नहीं मिल रहे. बहुत सारे किसान इन बाजारों में स्वयं सब्जी बेचकर अच्छी खासी आमदनी कर लेते थे.

मौजूदा हालात ने सब-कुछ चौपट करके रख दिया है. ऐसा माना जा रहा है कि समय रहते किसानों को इस संकट से नहीं उबारा गया, तो लॉकडाउन के बाद इस क्षेत्र से बड़े पैमाने पर किसानों को दूसरे राज्यो व महानगरों में रोजी-रोटी की तलाश में पलायन करने को मजबूर होना पड़ सकता है. चंडीपुर में खेतों में सड़ रही लाखों की सब्जियांकसमार प्रखंड का चंडीपुर गांव सब्जी की खेती के मामले में कसमार समेत आसपास के प्रखंडों का हब माना जाता है. यहां हर तरह की सब्जी सालों पर बड़े पैमाने पर उपजाई जाती है. प्रत्येक बाजार में 200 मन से अधिक सब्जियां निकलती है और विभिन्न बाजारों में बेची जाती है. इस समय पिछले 20 दिनों से सब्जियां खेतों में ही बर्बाद हो रही है.

चंडीपुर के किसान विनोद महतो बताते हैं : इस गांव की सब्जियां मुख्यतः पेटरवार व बोकारो के दुन्दीबाजार में खपत होती है. विनोद ने बताया : उन्होंने करीब 60 हजार रुपये की लागत से मिर्ची, पत्ता गोभी, टमाटर एवं गाजर आदि की खेती इस सीजन में की है. सभी सब्जियां तैयार हो चुकी है, लेकिन बाजार व खरीदार के अभाव में बर्बाद होती जा रही है. बताया : गांव के कुछ किसान मजबूरी में सब्जियां लेकर छिटपुट लग रहे बाजारों में जा भी रहे हैं, तो उन्हें खर्च तक नहीं निकल पाता है. प्रशासन से वाहन मिला, पर सही रेट नहीं मिल रहामधुकरपुर पंचायत के जम्हार गांव में जिला प्रशासन ने जय जवान जय किसान नामक फल सब्जी उत्पादक समिति को बोकारो में ले जाकर सब्जी बेचने के लिए एक वाहन उपलब्ध कराया है. यहां के किसान इस वाहन से सब्जी बेचने ले जाते है, लेकिन किसानों को वाजिब कीमत नहीं मिल पा रही है. समिति के अध्यक्ष छत्रुराम महतो व सचिव संतोष महतो ने बताया : सही रेट नहीं मिलने के कारण उत्साह कम हो गया है.

बहुत से किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है. बगदा के किसान भी हैं चिंतितबगदा गांव में भी किसानों की यही दशा है. सब्जियां खेतों में तैयार है, लेकिन उसके खरीदार नहीं मिल रहे. सुकदेव राम ने बैगन व टमाटर, महानंद महतो ने चना, नेनुवा, साग व लौकी, पंचानन महतो ने टमाटर आलू व प्याज, गणेश महतो ने नेनुवा व पपीता समेत अन्य दर्जनों किसानों ने विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती की है. किसानों ने बताया कि उनकी सब्जियां तैयार हो चुकी है, लेकिन लॉकडाउन में बाजार और खरीदार नहीं मिलने कारण उसे खेतों से निकालकर बेच नहीं पा रहे हैं. इसके अलावा जरीडीह, भस्की, बेलडीह, गंगजोरी, चिलगड्डा व अन्य पंचायतों समेत पूरे प्रखंड में यही स्थिति बनी हुई है.

चास प्रखंड में भी संकट में किसानचास प्रखंड के खेती-किसानी बहुल गांवों में भी किसान काफी चिंतित-परेशान और संकट में हैं. पिंड्राजोरा निवासी कृषक सह किसान संगठन के नेतृत्वकर्ता संतोष महतो बताते हैं- इस बार क्षेत्र में सब्जियों की पैदावार तो काफी अच्छी हुई है, पर लॉकडाउन में सब्जियां खेतों में ही चौपट होती जा रही है. इसके परिणामतः क्षेत्र के प्रायः सभी गांवों के कृषक (सब्जी उत्पादक) काफी चिंतित हैं. कहा: इस क्षेत्र के लोग खेती-बारी पर ही पूरी तरह निर्भर हैं, लेकिन बाजार व खरीदार नहीं मिलने का कारण बहुत सारे किसानों की कमर टूट जाएगी. प्रखंड के केंदाडीह निवासी कृषक उत्तम महतो ने बताया : उनकी भिंडी, लौकी, कद्दू समेत अन्य सब्जियों की पैदावार काफी अच्छी हुई है, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं मिला. दो-तीन रुपए किलो में भी नहीं मिल रहे टमाटर के खरीदारबरइकला निवासी कृषक अशोक कुमार महतो ने बताया कि उन्होंने एक एकड़ भूमि पर टमाटर की खेती की है. इसके अलावा पत्ता गोभी एवं लौकी की खेती भी हुई है.

काफी अच्छी पैदावार हुई है. लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे हैं. बताया कि एक तो काफी मात्रा में टमाटर खेतों में ही नष्ट हो गये हैं. अगर कुछ खरीदार आते भी हैं तो ओने पौने दामों में बेच देना पड़ता है. कहा : 2-3 रुपये किलो भी टमाटर के खरीदार नहीं मिल रहे. कहा : अगर लॉकडाउन नहीं होता तो इससे काफी अच्छी आमदनी होती. लेकिन लॉकडाउन ने किसानों को भारी क्षति पहुंचाई है.

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