स्मृति शेष : झारखंड के पूर्व मंत्री समरेश सिंह के वो सपने जो रह गए अधूरे
झारखंड के पूर्व मंत्री समरेश सिंह ने अलग राज्य बनने के बाद बोकारो शहर को झारखंड की बौद्धिक राजधानी बनाने का सपना देखा था, लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया. उच्च व तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बोकारो आज भी पिछड़ा हुआ है. इसका उन्हें काफी मलाल था.
बोकारो : झारखंड के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री समरेश सिंह (81 वर्ष) अब हमारे बीच नहीं हैं. पिछले दिनों उनका निधन हो गया. अपनी जिंदगी में वे बहुत कुछ करना चाहते थे, लेकिन कई सपने पूरा करने से पहले ही वे इस दुनिया से चले गये. वे इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेज खोलना चाहते थे. बोकारो शहर को झारखंड की बौद्धिक राजधानी बनाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने कोशिश भी की, लेकिन सपने पूरे नहीं हो सके.
अधूरा रह गया ये सपना
‘दादा’ ने अलग राज्य बनने के बाद बोकारो शहर को झारखंड की बौद्धिक राजधानी बनाने का सपना देखा था, लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया. उच्च व तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बोकारो आज भी पिछड़ा हुआ है. बोकारो को बौद्धिक राजधानी का नामकरण भी ”दादा” ने ही किया था. वे बोकारो में एक इंजीनियरिंग कॉलेज व एक मेडिकल कॉलेज खोलना चाहते थे. बीएसएल को 4.5 मिलियन टन से बढ़ाकर दस मिलियन टन का देखना चाहते थे. ये सभी सपने अधूरे रह गए.
25 नवंबर 20021 को प्रभात खबर में छपा था इंटरव्यू
समरेश सिंह का इंटरव्यूह प्रभात खबर में 25 नवंबर 20021 को छपा था, जिसमें उन्होंने विस्तार से अपने सपनों की बात लड़खड़ाती हुई आवाज में बतायी थी. लगभग एक साल पहले की यह बात है. सुबह लगभग ग्यारह बज रहे थे. उन्हें जानकारी थी कि इंटव्यूह के लिये मैं आनेवाला हूं. वह इसके लिये तैयार होकर बैठे थे. बातचीत के दौरान श्री सिंह की बातों से साफ झलक रहा था कि उन्हें इस बात का मलाल रहेगा कि वे पांच बार विधायक रहे, लेकिन सपने पूरे नहीं हो सके.
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रिपोर्ट : सुनील तिवारी, बोकारो