बेरमो. केंद्रीय कोयला एवं खान राज्यमंत्री सतीश चंद्र दुबे ने कहा कि देश में कोयला उत्पादन लगातार बढ़ रहा है. हर साल लक्ष्य हासिल किया जा रहा है. लगभग दो साल में कोल इंडिया एक बिलियन उत्पादन लक्ष्य को निश्चित रूप से प्राप्त कर लेगी. केंद्रीय मंत्री रविवार को करगली गेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. कोयला क्षेत्र के भविष्य को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में मंत्री श्री दुबे ने कहा कि खनिज पदार्थ को सुरक्षित रखकर हम सौर ऊर्जा की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कोयले का आयात रोकने के सवाल पर कहा कि इस दिशा में हमलोग कार्य कर रहे हैं. कई थर्मल पावर प्लांटों के लिए विदेशी कोयला उपयुक्त होता है. केंद्रीय मंत्री श्री दुबे ने कहा कि कोल इंडिया में आउटसोर्सिंग के साथ डिपार्टमेंटल उत्पादन को भी बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.
इससे पूर्व कोयला एवं खान राज्यमंत्री सतीश चंद्र दुबे ने सीसीएल के बीएंडके एरिया में कोल इंडिया के मेगा प्रोजेक्ट में शामिल एकेके व कारो परियोजना में 732 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले दो सीएचपी (कोल हैंडलिंग प्लांट) का शिलान्यास किया. श्री दुबे ने करगली में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार जो कहती है, वह करके दिखाती है. जिस परियोजना का शिलान्यास करती है, उसका उद्घाटन भी करती है. योजना लंबित नहीं रहती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह सोच है, विकसित और आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो. उस कड़ी में यह परियोजना एक महत्वपूर्ण कदम है.कारो में सीएचपी के शिलान्यास कार्यक्रम में कोयला एवं खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने कहा कि झारखंड और बिहार के बीच बड़े भाई व छोटे भाई का रिश्ता है. झारखंड जितना विकसित होगा, बिहार का सम्मान उतना बढ़ेगा. झारखंड में ईश्वर का दिया सब कुछ है. कोयला समेत कई खनिज पदार्थ है. झारखंड का विकास कोई रोक नहीं सकता है. मंत्री ने कहा कि चंपारण में पहले चीनी मिल बहुत थी. लेकिन लोकल राजनीति के कारण कई चीनी मिलें बंद हो गयीं. यहां के स्थानीय लोग, मजदूर संघ और अधिकारी एक दूसरे का दुख-सुख शेयर करें. अच्छी तरह माइनिंग हो. मजदूर और मजदूर संघ मदद करें. अधिकारी मजदूरों का ख्याल रखें. अगर एक-दूसरे के पूरक बन कर काम करेंगे तो झारखंड विकसित होगा. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तो पलायन की समस्या खत्म होगी. मंत्री श्री दुबे ने सीसीएल अधिकारियों और कर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि 322 करोड़ रुपये से बनने वाले एकेके परियोजना के सीएचपी की क्षमता पांच मिलियन टन और 410 करोड़ रुपये से बनने वाले कारो परियोजना के सीएचपी की क्षमता सात मिलियन टन होगी. मौके पर कोल इंडिया चेयरमैन पीएम प्रसाद, गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी, सीसीएल सीएमडी नीलेंदु कुमार सिंह, निदेशक तकनीकी (योजना एवं परियोजना) सतीश कुमार झा, बेरमो विधायक कुमार जयमंगल सिंह, बीएंडके एरिया के जीएम के रामाकृष्णा, पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय, पूर्व विधायक योगेश्वर महतो बाटुल, जीएम माइनिंग केडी प्रसाद, वाशरी पीओ वीएन पांडेय, कारो पीओ सुधीर कुमार सिन्हा, फाइनेंस अधिकारी ज्ञानेंदु चौबे, एसओइएंडएम गौतम मोहंती, एलएंडआर बीके ठाकुर, विस्थापित प्रताप सिंह, हेमलाल महतो, अशोक महतो, सोहनलाल मांझी, संतोष कुमार महतो, राजन साव, भोलू खान, दीपक महतो, अनिल सिंह, संतोष ओझा, अरुण सिंह, कैलाश ठाकुर, तिवारी महतो, दीपक महतो आदि मौजूद थे. संचालन कार्मिक प्रबंधक प्रेक्षा मिश्रा ने किया.
गांधीनगर.
केंद्रीय कोयला एवं खान राज्य मंत्री ने बीएंडके एरिया की एकेके परियोजना के लिए बनने वाले सीएचपी का शिलान्यास बरवाबेड़ा गांव के समीप किया. मंत्री के यहां पहुंचने पर आदिवासी कलाकारों ने नृत्य व गीत प्रस्तुत कर उनका स्वागत किया. शिशु विकास विद्यालय संडे बाजार की छात्राओं ने उन पर फूलों की बरसात की तथा तिलक लगाया. कार्यक्रम के दौरान सीसीएल के डीटी पीएंडपी सतीश कुमार झा ने मंत्री को मैप के माध्यम से सीएचपी के बारे में जानकारी दी. शिलान्यास स्थल में मंत्री, कोल इंडिया चेयरमैन, सीसीएल सीएमडी सहित सांसद व पूर्व विधायक ने भी पौधरोपण भी किया. सुरक्षा व्यवस्था थी चाक चौबंद : पहली बार कोई केंद्रीय मंत्री खासमहल पहुंचे थे, इसको लेकर कामगारों के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों व विस्थापितों में भी उत्सुकता थी. सुरक्षा को लेकर एकेके ओसीपी परियोजना में पुलिस तथा सीआइएसएफ की चाक चौबंद व्यवस्था थी. यहां के कार्यक्रम में मंत्री लगभग एक घंटा रुके.विस्थापित संघर्ष समन्वय समिति ने मंत्री को सौंपा नौ सूत्री मांग पत्र
फुसरो. केंद्रीय कोयला एवं खान राज्य मंत्री से करगली रेस्ट हाउस में विस्थापित संघर्ष समन्वय समिति का प्रतिनिधिमंडल मिला और विस्थापितों से जुड़ी समस्याओं को लेकर नौ सूत्री मांग पत्र सौंपा. प्रतिनिधिमंडल में समिति के अध्यक्ष लखनलाल महतो, कार्यकारी अध्यक्ष बिनोद महतो, महासचिव काशीनाथ केवट शामिल थे. मांग पत्र के माध्यम से सीसीएल की महत्वाकांक्षी परियोजना डीआरएंडआरडी प्रोजेक्ट को अविलंब चालू करने, जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में दो एकड़ की सीमा खत्म करने व सभी विस्थापितों को नौकरी देने की बात शामिल है. इसमें अलावा वंचित विस्थापितों को मुआवजा आरएफसीटी एलआरआर एक्ट 2013 के अनुसार दिया जाये, कथारा प्रक्षेत्र अंतर्गत जारंगडीह कोलियरी में रैयतों को बगैर मुआवजा नौकरी दिये उनकी जमीन पर उत्खनन किया जा रहा है, उन्हें मुआवजा व नौकरी दिया जाये, पिछरी कोलियरी से प्रभावित रैयतों को नौकरी व मुआवजा देकर कोलियरी चालू किया जाये, बंद अंगवाली कोलियरी को चालू किया जाये व बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराया जाये, गोविंदपुर परियोजना के विस्तार के लिए अधिग्रहीत 265 एकड़ जमीन के बदले विस्थापितों को नौकरी व मुआवजा दिया जाये, सीएसआर मद से विस्थापित गांवों में बिजली, शिक्षा, चिकित्सा, पेयजल, रोड आदि की सुविधाएं मुहैया करायी जाये, बेरोजगारों को प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनाया जाये, कोल इंडिया में सभी तरह की बहालियों और निविदाओं में विस्थापितों का कोटा आरक्षित किया जाये, पीएलसी कोयला में 50 प्रतिशत विस्थापितों को आवंटित किया जाये आदि मांगें हैं.
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