Jharkhand news: गिरिडीह जिला अंतर्गत डुमरी विधानसभा से तीन बार विधायक और JMM के संस्थापक सदस्य शिवा महतो का निधन हो गया. 104 वर्षीय शिवा महतो ने डुमरी प्रखंड के घुटवाली स्थित पैतृक आवास में अंतिम सांस ली. वह पिछले कुछ दिनों से वह बीमार चल रहे थे, लेकिन उनका बेहतर उपचार संभव नहीं हो पा रहा था. सोमवार की रात उन्हें सांस लेने में काफी तकलीफ होने लगी और कुछ देर बाद उनका निधन हो गया.
शिवा महतो के निधन पर JMM सुप्रीमो शिबू सोरेन ने शोक प्रकट किया है. कहा कि JMM के संस्थापक सदस्यों में से एक एवं अभिभावक तुल्य शिवा महतो के निधन से मर्माहत हूं. डुमरी विधानसभा क्षेत्र से तीन बार जन प्रतिनिधि रहे शिवा महतो सामाजिक उत्थान के लिए सदैव तत्पर रहने वाले जननेता थे. राजनीति में आनेवाले नवयुवकों के लिए वो प्रेरणास्रोत थे. उन्होंने इस दुःख की घड़ी में शोक-संतप्त परिवार को सहन शक्ति एवं दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया.
शिवा महतो शिबू सोरेन की तरह ही सूदखोरों, महाजनों एवं माफिया के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में अग्रणी भूमिका में रहे. झामुमो के संस्थापक सदस्य और झारखंड आंदोलन के जनक विनोद बिहारी महतो, कामरेड एके राय जैसे दिग्गज आंदोलकारियों की कतार में शिवा महतो का नाम लिया जाता है. झारखंड आंदोलन के दौरान अपने भाषण से जोश भरने वाले शिवा महतो को ‘झारखंड का शेर’ भी कहा जाता था. उनकी पहचान नुकीली मूंछ और सिर पर हरी पगड़ी भी थी. धनबाद क्षेत्र में भी उनकी सक्रियता काफी थी.
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शिवा महतो डुमरी विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गये. पहली बार 1980 में झामुमो से चुनाव जीते. दूसरी बार 1985 में विधायक बने तथा तीसरी बार 1995 में डुमरी सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे. झारखंड और झारखंडियों के हित में सदैव आवाज बुलंद करते रहे.
जब कोई सूदखोर, माफिया और महाजनों के खिलाफ कोयलांचल में मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे, तब शेर-ए-शिवा ने दहाड़ते रहे. अपने खास खोरठा में भाषण देने की शैली के कारण लोग इन्हें दूर-दूर से सुनने के लिए सभाओं में पहुंचते थे. तीन बार विधायक के साथ-साथ शिवाजी समाज के स्तंभ भी रहे. डुमरी में झारखंड काॅमर्स कॉलेज की स्थापना भी की. बेरमो कोयलांचल में विस्थापितों के हक-अधिकार को लेकर विनोद बिहारी महतो के साथ लंबी लड़ाई भी लड़ी. शिबू सोरेन, विनोद बाबू, एके राय, टेकलाल महतो से राजनीतिक जीवन में इनके गहरे संबंध रहे. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के भी राजनीतिक गुरु रहे.
शिवा महतो पिछले कई माह से बीमार चल रहे थे. लेकिन, इस दौरान कभी भी बेहतर उपचार संभव नहीं हो सका. कुछ माह पूर्व इनके बड़े पुत्र पुरण महतो और कार्तिक महतो ने सिजुआ में लाकर इलाज करवाया था. जिसके बाद से स्थिति में कुछ सुधार भी हुआ. लेकिन, सरकारी स्तर पर किसी बड़े अस्पताल में इनका इलाज संभव नहीं हो सका. सोमवार को जामा की विधायक सीता सोरेन ने को जब जानकारी दी गयी, तो उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि तीन बार विधायक रहे शिवा महतो इलाज के अभाव में जीवन बिताने को मजबूर हैं. जिसपर स्वास्थ्य मंत्री ने बोकारो डीसी को मामले का संज्ञान लेते हुए शिवा महतो के बेहतर इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. इनके पुत्र कार्तिक महतो ने बताया कि सरकार की और से बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं करायी गयी. शिवा महतो के 3 पुत्र और 8 पुत्रियां है.
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इधर, मंत्री जगरनाथ महतो ने उनके निधन पर शोक प्रकट किया है. कहा कि झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धाओं में से एक थे. उनके साथ उन्होंने राजनीति सीखी थी. उनका निधन अपूर्णियक्षति है. इसके अलावे भाजपा नेता विनोद महतो, झामुमो नेता काशीनाथ केवट, मजदूर नेता लखनलाल महतो, सूरज महतो आदि ने भी शोक प्रकट किया.
रिपोर्ट : राकेश वर्मा/उदय गिरि, बेरमो, बोकारो.