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झारखंड: पहली ही बारिश में गवई बराज सिंचाई परियोजना का एक हिस्सा धंसा, पांच दशक बाद 142 करोड़ से हुई थी तैयार

पांच दशक बाद झारखंड में गवई बराज सिंचाई परियोजना पूरी हो गई है. ये इस क्षेत्र के किसानों के लिए मील का पत्थर है. हाल ही में परीक्षण के आधार पर गवई बराज में औपचारिक रूप से पानी छोड़ा गया था.

By Guru Swarup Mishra | August 3, 2023 8:49 PM

बोकारो, मुकेश झा: बोकारो की गवई बराज सिंचाई परियोजना का हाल ही में परीक्षण किया गया था. चंदनक्यारी ब्लॉक के तहत सिलफोर क्षेत्र में इसकी एक सहायक नदी से पानी निकलने के कारण दरार पड़ गयी है. बगल की दीवार में भी दरारें आ गई हैं. एक अधिकारी ने बताया कि कथित तौर पर ग्रामीणों द्वारा पानी जमा करने के लिए दोनों तरफ से पानी बंद करने के बाद नहर का हिस्सा धंस गया. आपको बता दें कि 1970 के दशक में शुरू की गई गवई बराज सिंचाई परियोजना की लागत करीब 142 करोड़ है. पांच दशक बाद लोगों का सपना पूरा हुआ है, लेकिन पहली ही बारिश में एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है.

जूनियर अभियंता ने कही ये बात

तेनुघाट बांध डिविजन के तहत गवई बराज परियोजना के जूनियर अभियंता विकास कुमार ने कहा कि बराज का एक छोटा हिस्सा एक वितरिका से धंस गया है. यह बारिश का पानी था, जो बाहर निकल आया. उन्होंने नौ वितरिकाओं में से किसी में भी पानी नहीं छोड़ा था. उन्होंने कहा कि बारिश का पानी बहता देख ग्रामीणों ने पानी जमा करने के लिए नहर को दो तरफ से बंद कर दिया था, जिस स्थान पर चैनल टूटा है, वह निचला बिंदु है. इसलिए उस पर दबाव बना और नहर के किनारे की 4-5 मीटर की दीवार धंस गई. पानी तेजी से निकला और कोई नुकसान नहीं हुआ और पास के तालाब में गिर गया.

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गवई बराज में जमा हो गया था पानी

झारखंड में गवई बराज सिंचाई परियोजना पूरी हो गई है, जो इस क्षेत्र के किसानों के लिए मील का पत्थर है. हाल ही में परीक्षण के आधार पर गवई बराज में औपचारिक रूप से पानी छोड़ा गया था. शनिवार की रात की बारिश के कारण बराज में लगभग 2.5 मीटर पानी जमा हो गया था.

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142 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना

पांच दशक में पहली बार नहर में सिंचाई का पानी आने से किसानों को अपना पुराना सपना साकार होता नजर आया है. मूल रूप से 131 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को तीन साल की देरी का सामना करना पड़ा. इससे वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान कुल लागत लगभग 142 करोड़ रुपये हो गयी.

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पांच दशक बाद सपना हुआ साकार

1970 के दशक में शुरू की गई गवई बराज सिंचाई परियोजना अत्यधिक महत्व रखती है क्योंकि यह बोकारो जिले के चास और चंदनक्यारी ब्लॉक में एकमात्र सिंचाई परियोजना है. इसमें दो मुख्य नहरें और नौ सहायक नदियां शामिल हैं, जिनकी लंबाई क्रमशः 43.98 किमी है.

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2016 में शुरू हुआ था आधुनिकीकरण का काम

नहर का विस्तार, जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण का काम 2016 में शुरू हुआ था और अब पूरा हो गया है. वर्तमान में नहर में 135 आउटलेट हैं. उन्होंने कहा कि नहर में पानी छोड़े जाने के बाद करीब 20 किलोमीटर दूर पुंडरू गांव तक पहुंच गया है. किसान बहुत खुश हैं. “पानी छोड़े जाने के बाद सोमवार को किसानों का दौरा किया और उनकी समीक्षा की. किसानों की ओर से आउटलेट्स की अधिक मांग है जिसके लिए हम प्रस्ताव शुरू करेंगे. परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य व्यापक 4636-हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई प्रदान करना है.

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80 हजार किसानों को मिलेगा फायदा

चास-चंदनकियारी ब्लॉक की 12 पंचायतों के 54 गांवों को महत्वपूर्ण सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इस परियोजना का लक्ष्य लगभग 80 हजार किसानों को लाभ पहुंचाना है, जो क्षेत्र में कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. गवई बराज सिंचाई परियोजना का पूरा होना क्षेत्र के किसानों के लिए समृद्धि के एक नए युग का प्रतीक है. इस परियोजना का प्रभाव व्यापक होगा. चास ब्लॉक के आमाडीह, ओबरा, पिंड्राजोरा, केलियाडाबर, टोपरा, अलगडीह, विश्वनाथडीह, तुरीडीह, पुंडरू और सीमाबाद जैसे गांवों तक इसका लाभ पहुंचेगा। इसके अलावा, चंदनकियारी ब्लॉक से चंद्रा, चामराबाद, सुत्रिबेड़ा, चंदनकियारी, गलगलटांड और रंगमटिया होते हुए सिमुलिया तक के किसान भी अपनी कृषि पद्धतियों में सकारात्मक बदलाव देखेंगे.

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