बोकारो कोलियरी के स्वर्णिम दिन लौटने की उम्मीद
बोकारो कोलियरी के स्वर्णिम दिन लौटने की उम्मीद
बेरमो. सीसीएल के बीएंडके एरिया में सौ साल से ज्यादा पुरानी बोकारो कोलियरी के स्वर्णिम दिन लौटने की उम्मीद है. अब इस कोलियरी को लॉन्ग टर्म आउटसोर्सिंग से चलाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. कुछ दिनों पहले फेज टू की प्रोजेक्ट रिपोर्ट को बोर्ड द्वारा अप्रूव्ड कर दिया गया है. अब बेरमो रेलवे गेट के समीप खदान से पानी निकासी के बाद उत्पादन शुरू होगा. अगले 15 वर्षों तक प्रबंधन को प्रतिवर्ष 20 लाख टन बेहतर ग्रेड का कोयला मिलेगा. यहां 21 मिलियन टन कोयला है. हर हाल में वित्तीय वर्ष 2026-27 में उत्पादन शुरू हो जायेगा. माइंस विस्तारीकरण के अगले चरण में कारो ग्रुप ऑफ सीम तथा बेरमो 8, 9, 10 नंबर सीम को मिला कर बनाया जायेगा. इसमें कुल 230 हेक्टेयर जमीन में लगभग 77 मिलियन (77.84एमटी) टन कोकिंग कोल वाशरी ग्रेड-4 कोयला मिलेगा. इसके अलावा 155.27 मिलियन घन मीटर टन ओबी का निस्तारण होगा.
1918 में स्टेट रेलवे ने शुरू की थी यह कोलियरी
मालूम हो कि बोकारो कोलियरी को स्टेट रेलवे ने वर्ष 1918 में शुरू किया था. वर्ष 1956 में यह एनसीडीसी (नेशनल रोल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) के अधीन चली गयी. वर्ष 1973 में कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद यह सीसीएल के अधीन आ गयी. फिलहाल इस कोलियरी को सालाना 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो रहा है. इस कोलियरी का वर्तमान मैन पावर 410 है. प्रतिमाह इस कोलियरी का बजट पांच करोड़ रुपये से ज्यादा है.सरकारी भवनों को हटाना प्रबंधन के लिए बना सरदर्द
बोकारो कोलियरी की डीडी माइंस में फिलहाल जिस जगह से उत्पादन हो रहा है, वहां से कोल बियरिंग एरिया में रह रहे शेष 240 लोगों की शिफ्टिंग के अलावा कई सरकारी भवनों को हटाना प्रबंधन के लिए सिरदर्द बना हुआ है. प्रबंधन की मानें तो पुराने सरकारी भवन उस वक्त बगैर एनओसी के बनाये गये थे. अब इन सरकारी भवनों को हटाने के लिए सीसीएल को राज्य सरकार को पैसा जमा करना पड़ रहा है. कुछ माह पूर्व एक सामुदायिक भवन को हटाने के एवज में एरिया प्रबंधन को 15 लाख 79 हजार 100 रुपया जमा करना पड़ा. कुल पांच सरकारी भवन चिह्नित किये गये हैं, जिसका कुल स्टीमेंट 1.66 करोड़ रुपया का है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है