कोरोना काल में बंद झारखंड के जवाहर लाल नेहरू जैविक उद्यान का कैसा है नजारा, देखिए तस्वीरें
बोकारो (सुनील तिवारी) : झारखंड के बोकारो जिले के जवाहर लाल नेहरू जैविक उद्यान सेक्टर 04 में चिड़ियों की चहचहाहट कानों से टकरा रही है. आम दिनों में उद्यान में लोगों के आने पर किसी कोने में चली जाने वाली बाघिन 'गंगा' खुले बाड़े में आराम से घूम रही है. तेंदुआ के तीन बच्चे धमाचौकड़ी मचा रहे हैं. लंगूर, ब्लैक बक, चीतल हिरण, बंदर आदि अपनी धुन में हैं. जैविक उद्यान के पशु कुछ इस तरह ही अपनी अलग दुनिया में मगन रहे. जैविक उद्यान 256 दिनों से बंद है. एकांत वातावरण होने के कारण पशु आराम से हैं. कोरोना संक्रमण के कारण जैविक उद्यान 17 मार्च 2020 से आम लोगों के लिए बंद है.
बोकारो (सुनील तिवारी) : झारखंड के बोकारो जिले के जवाहर लाल नेहरू जैविक उद्यान सेक्टर 04 में चिड़ियों की चहचहाहट कानों से टकरा रही है. आम दिनों में उद्यान में लोगों के आने पर किसी कोने में चली जाने वाली बाघिन ‘गंगा’ खुले बाड़े में आराम से घूम रही है. तेंदुआ के तीन बच्चे धमाचौकड़ी मचा रहे हैं. लंगूर, ब्लैक बक, चीतल हिरण, बंदर आदि अपनी धुन में हैं. जैविक उद्यान के पशु कुछ इस तरह ही अपनी अलग दुनिया में मगन रहे. जैविक उद्यान 256 दिनों से बंद है. एकांत वातावरण होने के कारण पशु आराम से हैं. कोरोना संक्रमण के कारण जैविक उद्यान 17 मार्च 2020 से आम लोगों के लिए बंद है.
जैविक उद्यान में सिर्फ अधिकारी व कर्मचारी ही प्रवेश करते हैं. टेम्प्रेचर चेक, हैंड सेनिटाइज करने के बाद ही उन्हें प्रवेश कराया जाता है. प्रतिदिन डॉक्टर पशुओं की निगरानी करते हैं. उद्यान के डॉ. गौतम चक्रवर्ती ने बताया कि लॉकडाउन में जू बंद है. इस कारण यहां लोगों का आना-जाना नहीं हो रहा है. इससे जानवरों को जंगल जैसा एकांत वातावरण मिला है. वे पहले की तुलना में कहीं ज्यादा संतुष्ट व खुश नजर आ रहे हैं. उद्यान में 258 पक्षी व जानवर है. जैविक उद्यान में लोगों को यूं तो सभी प्रकार के पक्षी, जानवर पसंद आते हैं. लेकिन, सफेद बाघिन ‘गंगा’, तेंदुआ, भालू, अजगर आदि मुख्य आकर्षण के केंद्र होते हैं.
बोकारोवासियों को अब उद्यान में शेरनी ‘रामेश्वरी’ व तेंदुआ ‘अक्षय’ नजर नहीं आयेंगे. कारण, नौ माह के दौरान दोनों की मौत हो गयी है. शेरनी की मौत जून 2020 में हुई. उसे दिसंबर 2008 में मैत्री पार्क-भिलाई से लाया गया था. तेंदुआ की मौत सितंबर 2020 में हुई. उसे जुलाई 2014 में टाटा चिड़ियाघर-जमशेदपुर से लाया गया था. इधर, खुशी की बात यह है कि इस दौरान कुछ जानवरों का परिवार बढ़ा है. लंगूर के परिवार में चार लोग, ब्लैक बक के परिवार में नौ लोग, चीतल हिरण के परिवार में दस लोग बढ़े हैं. मतलब, अब उद्यान आने पर एक ओर जहां नये मेहमान से मुलाकात होगी, वहीं कुछ की याद आयेगी.
Also Read: झारखंड के कोल्हान के जंगलों में आयीं दुर्लभ प्रजाति की तितलियां, देखिए एक्सक्लूसिव तस्वीरेंजैविक उद्यान में कुल 258 वन्यप्राणी हैं. इनमें 125 तरह के जानवर व 131 तरह के पक्षी शामिल हैं. उद्यान में एक सफेद बाघिन, पांच तेंदुआ, एक भालू, दो अजगर आदि मुख्य रूप से शामिल हैं. जानवरों की देख-रेख करने वाले ने बताया : उद्यान के जानवर अभी रिलेक्स मूड में नजर आते हैं. बाघ, तेंदुआ जैसे जानवरों को केज व ओपन यार्ड दोनों में रखा जा रहा है, ताकि जब उद्यान खुले तो उनके स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आये. पिछले नौ महीने से उद्यान में बाहर से लोगों के नहीं आने से जानवर खुब मस्ती कर रहे हैं. बंदर अलग-अलग तरह की आवाज निकाल रहे हैं. वहीं, पक्षियों के लिए ये एकांत काफी अच्छा रहा.
Also Read: असम में अख्तर बनकर मुस्लिम युवती से शादी रचानेवाला झारखंड का बुद्धदेव अब धर्म परिवर्तन का क्यों डाल रहा दबाव, पढ़िए ये रिपोर्टजैविक उद्यान के डॉ. गौतम चक्रवर्ती ने बताया कि 127 एकड़ में फैले चिड़ियाघर में आने वाले कर्मियों का गेट से अंदर आने तक में दो स्तर पर सैनिटाइजेशन होता है. ऐसा उद्यान परिसर में संक्रमण को रोकने के लिए किया जा रहा है. अब कोरोना संक्रमण के बीच जहां सब कुछ खुल रहा है, ऐसे में अगर सरकार से जू खोलने की गाइडलाइन प्राप्त होता है, तो हम उसके लिए भी तैयार हैं. हम जानवरों के साथ अपने पर्यटकों की सुरक्षा का भी ध्यान रखेंगे. कहा : पूरे साल के महीनों में सबसे अधिक पर्यटक नवंबर, दिसंबर व जनवरी माह में हीं उद्यान आते हैं. यहां बड़ों का टिकट प्रति 20 रूपये व बच्चों का प्रति 10 रूपये लगता है.
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