फुसरो. अधिग्रहीत जमीन के बदले नौकरी व मुआवजा की मांग को लेकर पिछरी निवासी हराधन दिगार की पत्नी भानु देवी, पुत्र सैजनाथ दिगार व बड़ी बहू नियुक्ति देवी ने एएडीओसीएम (अमलो) परियोजना कार्यालय के मुख्य द्वार के समक्ष मंगलवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की. भानु देवी ने कहा कि सीसीएल ढोरी प्रक्षेत्र की बंद पिछरी कोलियरी के लिए हमलोगों की जमीन अधिग्रहीत की गयी थी. दो साल से मुआवजा के लिए कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. हर बार प्रबंधन आश्वासन देकर टाल देता है. इससे पूर्व परियोजना कार्यालय में धरना पर बैठे थे तो बेरमो विधायक जयमंगल सिंह ने प्रबंधन को मुआवजा दिलाने का निर्देश दिया था. प्रबंधन ने भी हामी भरी थी. लेकिन मुआवजा नहीं दिया. सैजनाथ दिगार ने कहा कि बेरमो विधायक की पहल पर सीसीएल प्रबंधन व पेटरवार सीओ के साथ बैठक भी हुई थी. इसके बाद भी प्रबंधन नौकरी देने में आनाकानी कर रहा है. सीसीएल की सारी शर्तों को पूरा कर दो एकड़ रैयती भूमि सत्यापन कर नौकरी व मुआवजा के लिए आवेदन दिया है. प्रबंधन के साथ लगभग पांच वर्ष पूर्व एक एग्रीमेंट हुआ है, जिसमें नौकरी देने की बात है. प्रबंधन की ओर से पूर्व में 1.12 एकड़ जमीन का मुआवजा दो बार में 10 लाख 13 हजार 505 रुपये का भुगतान किया गया है. परंतु शेष एक एकड़ जमीन का मुआवजा बकाया है. प्रबंधन द्वारा 48 डिसमिल जमीन सीएनटी एक्ट में होने की बात कह रहा है. प्रबंधन फिलहाल 40 डिसमिस जमीन का मुआवजा भुगतान करे. इस संबंध में पिछरी कोलियरी के पीओ डीसी रॉय ने कहा कि शेष 39 डिसमिल जमीन के लिए मुआवजा देने का प्रस्ताव मुख्यालय भेजा गया है. वहां से अलॉटमेंट होते ही मुआवजा दे दिया जायेगा. बाकी 48 डिसमिल जमीन सीएनटी एक्ट में है. इसका म्यूटेशन नहीं हुआ है. इसके कारण नियोजन देने में समस्या हो रही है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है