Jharkhand News (उदय गिरि, फुसरो नगर, बोकारो) : झारखंड के बोकारो जिला अंतर्गत नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट स्थित लहिया गांव की पहचान नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में मानी जाती रही है, लेकिन अब इस गांव के कई युवाओं ने ओल की नयी तकनीक से खेती कर सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपनी गांव की अलग पहचान बनायी है. यहां के युवा ओल की खेती में लाखों की पूंजी लगा रहे हैं और दोगुनी लाभ कमा रहे हैं.
अप्रैल माह में लगाये ओल अब खेतो में अच्छी तरह ऊग आये है. अगले छह-सात माह में इनका ओल का पैदावार तैयार हो जायेगा. ओल की खुदाई कर किसान फिर इसमें आलू की पैदावार लगायेंगे. जो किसान अगले छह माह की अवधि में ओल की खुदाई नही करेंगे और उसे अगले एक साल के लिए छोड़ देंगे उन्हें अधिक मुनाफा होगा. करीब डेढ़ साल से अधिक समय तक खेतों में लगे रहने पर उपज दोगुनी हो जाती है. कम से कम एक किलोग्राम ओल में 5 तथा अधिकतम 10 किलोग्राम तक उपज होती है.
लहिया गांव के युवा किसान महेंद्र महतो ने बताया कि उन्होंने अपनी 7 एकड़ जमीन पर 70 क्विंटल ओल बीज लगाया है . ओल का पौधा निकल आया है. 30 रुपये प्रति किलो ओल बीज की खरीदारी की है. 2 लाख से अधिक की पूंजी उन्होंने इसकी खेती में लगाया है. उपज बेहतर होने की उम्मीद है. इसी गांव के खुशलाल महतो ने 60 क्विंटल ओल अपने 7 एकड़ खेत में लगाया है. उन्होंने कहां कि ओल की खेती किसानों के लिए अन्य फसलों की तुलना में बेहतर विकल्प है.
किसान अधिक मात्रा में ना सही, लेकिन कुछ-कुछ करके इसे लगाये, तो मुनाफा खुद समझ में आयेगा. इसी गांव के किसान बैजनाथ महतो बताते हैं कि गांव के इन किसानों से प्रेरणा लेकर उन्होंने फिलहाल अपने 30 डिसमिल खेत में 4 क्विंटल ओल लगाया है. पिछले वर्ष भी ओल की खेती की थी और बेहतर मुनाफा हुआ था. किसानों ने बताया कि रोजगार के लिए पलायन ही विकल्प नहीं है. नयी सोच के साथ किसी क्षेत्र में आगे बढ़ने की जरूरत है.
किसानों ने बताया कि मार्च-अप्रैल माह में ही ओल की खेती की तैयारी शुरू कर दी जाती है. इसके लिए 3-3 फीट की दूरी पर 3-3 फीट लंबे व चौड़े वाले गड्ढे खोदे जाते हैं. जिसके बाद उसमें गोबर, फॉस्फेट, डीएपी डाला जाता है. फिर उसमें ओल का बीज डालकर मिट्टी डाल दी जाती है. गड्ढे की खुदाई वे लोग मशीन से करते हैं. इसकी खेती वे आधुनिक तरीके से कर रहे हैं.
किसानों ने बताया कि जब ओल की पैदावार हो जाती है, तो ओल की खुदाई कर दी जाती है. ओल के लिए आसानी से बाजार भी उपलब्ध हो जाता है. खुदरा के अलावे थोक के भाव में भी बड़े व्यापारी खेत से ही ओल खरीद कर प्रति किलो 20 से 30 रुपये के भाव ले जाते हैं. बाजारों में खुदरा बेचने पर मुनाफा और भी ज्यादा होता है. खुदरा 40 से 50 रुपये प्रति किलो तक ओल बिक जाता है.
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Posted By : Samir Ranjan.