Jharkhand News : BSL-SAIL के स्पेशल स्टील से बना है INS Vikrant, Cochin Shipyard Limited से आज होगा चालू

Jharkhand News : स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने देश के पहले स्वदेशी रूप से निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के लिए सारी डीएमआर ग्रेड स्पेशियलिटी स्टील की आपूर्ति की है. यह स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर “आईएनएस विक्रांत” कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड से 02 सितंबर को चालू होगा.

By Prabhat Khabar News Desk | September 2, 2022 7:55 AM

Jharkhand News : देश की सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न स्टील उत्पादक कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने देश के पहले स्वदेशी रूप से निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के लिए सारी डीएमआर ग्रेड स्पेशियलिटी स्टील की आपूर्ति की है. कंपनी ने इस बड़ी उपलब्धि को हासिल करने के साथ “आत्मनिर्भर भारत” के निर्माण की दिशा में भागीदारी निभाते हुए भारतीय नौसेना के इस पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण के लिए करीब 30000 टन डीएमआर ग्रेड स्पेशियलिटी स्टील की आपूर्ति की है. यह स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर “आईएनएस विक्रांत” कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड से 02 सितंबर को चालू होगा.

इस स्वदेशी परियोजना के लिए सेल द्वारा आपूर्ति किये गये स्टील में विशेष डीएमआर ग्रेड प्लेट्स शामिल हैं. इन डीएमआर ग्रेड प्लेट्स को सेल ने भारतीय नौसेना व डीएमआरएल के सहयोग से विकसित किया है. इस युद्धपोत के पतवार व पोत के अंदरूनी हिस्सों के लिए ग्रेड 249 ए व उड़ान डेक के लिए ग्रेड 249 बी की डीएमआर प्लेटों का उपयोग किया गया. इस युद्धपोत के लिए बल्ब बार को छोड़कर, स्पेशियलिटी स्टील की पूरी आपूर्ति कंपनी के एकीकृत इस्पात संयंत्रों-भिलाई, बोकारो व राउरकेला द्वारा की गई है. आईएनएस विक्रांत के निर्माण में उपयोग किया गया यह विशेष ग्रेड स्टील-डीएमआर प्लेट आयात में कमी लाने में मददगार है.

भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत चालू होना भारत की आजादी के 75 साल के अमृतकाल के दौरान देश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है और यह देश के आत्मविश्वास और कौशल का प्रतीक भी है. यह स्वदेशी विमानवाहक पोत देश के तकनीकी कौशल व इंजीनियरिंग कौशल का प्रमाण है. विमानवाहक युद्धपोत बनाने में भारत की आत्मनिर्भरता की सक्षमता का प्रदर्शन, देश के रक्षा स्वदेशीकरण कार्यक्रमों और ”मेक इन इंडिया” अभियान को सुदृढ़ करेगा. आईएनएस विक्रांत के चालू होने के साथ हमारा देश विश्व के उन विशिष्ट देशों के क्लब में प्रवेश कर गया है, जो स्वयं अपने लिए विमान वाहक बना सकते हैं. इस उत्कृष्ट इंजीनियरिंग का भागीदार बनना सेल के लिए बेहद खुशी की बात है.

देश में बने पहले स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस विक्रांत में बोकारो स्टील का भी इस्पात लगा है. डीएमआर 249 ए कई विशेषताओं से लैस डीएमआर 249 ए श्रेणी का स्टील है, जो जितना कठोर है उतना ही लचीला भी. शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस कम ताप पर भी 80 जूल की ताकत का प्रहार सह सकता है. इस फौलाद में मैगनीज, कार्बन और सल्फर की मात्रा कम करके निकल की मात्रा बढ़ायी गयी. साथ ही वेनेडियम, नियोबियम, मोलिब्डेनम, क्रोमियम जैसे तत्व मिलाये गये. इसकी प्लेट बनाकर हीट ट्रीटमेंट दिया गया. महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसका वजन कम होता है, जो किसी भी विमानवाहक पोत के लिए जरूरी है.

भारत का स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती, जिसे समंदर का बाहुबली भी कह सकते हैं, भारतीय नौसेना में (22 अक्तूबर 21 को) शामिल हुआ. इस युद्धपोत में बोकारो स्टील प्लांट का लगभग 1000 टन डीएमआर प्लेट लगा है, जबकि भिलाई का 4700 टन व राउरकेला का 865 टन. आईएनएस कवरत्ती की खासियत है कि यह रडार की पकड़ में नहीं आता. कवरत्ती के बेड़े में शामिल होने से नौसेना की ताकत में और भी अधिक इजाफा हुआ है. इसमें 90 फीसद चीजें स्वदेशी हैं. आईएनएस कवरत्ती का कमीशन देश के समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में एक और महत्वपूर्ण कदम है. इसमें अत्याधुनिक हथियार प्रणाली है.

बोकारो स्टील प्लांट संचार प्रमुख मणिकांत धान ने कहा कि बीएसएल आत्मनिर्भर भारत में योगदान दे रहा है. आईएनएस विक्रांत व कवरत्ती में बीएसएल का इस्पात लगा है. बीएसएल ने हजारों टन स्टील की आपूर्ति की है. पनडुब्बी व डीएसभी के निर्माण के लिए भी नियमित रूप से इस्पात की आपूर्ति की जाती है. बीएसएल में विशेष प्रकार के इस्पात का उत्पादन रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए हो रहा है. जितना आर्डर मिलता है, उसकी आपूर्ति रहे हैं. आईएनएस विक्रांत व आईएनएस कवरत्ती के निर्माण में लगे इस्पात का बड़ा हिस्सा बीएसएल ने आपूर्ति किया है.

रिपोर्ट : सुनील तिवारी, बोकारो

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