रामदुलार पंडा, महुआटांड़ : वेटलैंड (आर्द्र भूमि) के रूप में गोमिया प्रखंड के बड़कीपुन्नू स्थित सतीबेड़ा का चयन कर वित्त वर्ष 2018-19 में विभाग को भेजा गया था. प्रखंड क्षेत्र के कानीडीह व कुसुमडीह के बीच स्थित सतीबेड़ा का चयन स्थानीय स्तर पर किया गया था. अब इस योजना को मूर्त रूप देने की बड़ी पहल शुरू हो गयी है. मालूम हो कि वेटलैंड का जैव विविधता के लिहाज से बहुत महत्व है. इसके संरक्षण और विकास के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा काम किया जा रहा है. इसको लेकर शनिवार को दिल्ली से पहुंची वैज्ञानिकों की टीम ने यहां स्थल का सर्वे किया. दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ फैयाज और उनकी टीम ने प्रशिक्षु आइएफएस संदीप शिंदे के साथ यहां सर्वे किया. इस क्रम में यहां जमीन की आर्द्रता की गुणवत्ता, जैव विविधता आदि पहलुओं की जांच की गयी. इस क्रम में ड्रोन से सर्वे के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी यहां दिखने पर टीम ने खुशी जतायी. बता दें कि वेटलैंड के रूप में अगर इस स्थल का चयन कर लिया जाता है, तो इस इलाके को रामसर साइट का दर्जा भी मिल सकता है. ऐसा हुआ तो यह ना केवल जिले के लिए बल्कि, झारखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. टूरिज्म के लिहाज से भी क्षेत्र के विकास को बल मिलेगा. मौके पर बड़कीपुन्नू के पंसस निमाई सिंह, वन सुरक्षा समिति बड़कीपुन्नू के अध्यक्ष विजय कुमार गुप्ता और अन्य लोग मौजूद थे. क्या होता है वेटलैंड आसान भाषा में समझा जाये तो जमीन का वह हिस्सा, जहां पानी और भूमि का मिलन होता है और सालों भर या लगभग साल भर पानी से सराबोर रहता है. नमी या आर्द्रता से पूर्ण होता है वेटलैंड कहलाता है. कहते हैं डीएफओ ऐसे स्थानों के संरक्षण और विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकारें काम कर रही है. वेटलैंड के रूप में इस जगह का प्रस्ताव काफी पहले आया था.अब मूर्त रूप देने पर काम किया जा रहा है. दिल्ली की टीम ने दौरा किया है. अगर, वेटलैंड के रूप में इसका चयन हुआ तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. रजनीश कुमार, डीएफओ, बोकारो
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