फुसरो. सीसीएल ढोरी प्रबंधन द्वारा बंद पिछरी कोलियरी में खनन के दौरान दामोदर नदी का अतिक्रमण करने, प्रदूषण फैलाने और पेड़ों की कटाई की शिकायत की जांच के लिए सोमवार को केंद्रीय व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की टीम वहां पहुंची. इस दौरान टीम के सदस्यों ने मुख्य शिकायतकर्ता आशीष पाल, ग्रामीणों व सीसीएल ढोरी प्रबंधन से जानकारी ली. टीम का नेतृत्व कर रहे डीएमओ रवि कुमार सिंह व सदस्यों ने बंद पिछरी कोलियरी का मुआयना करते हुए दामोदर नदी के अतिक्रमण व प्रदूषण की जांच की. मौके पर सीपीसीबी कोलकाता के रीजनल डायरेक्टर मृणाल कांति विश्वास, संदीप राय, झारखंड रीजनल ऑफिसर विवेक कुजूर, पेटरवार के सीओ संतोष राम, ग्रामीण आशीष पाल, सूरज महतो, काली सिंह, मनोज सिंह, संजय मल्लाह, गोपाल मल्लाह और ढोरी एरिया के कई अधिकारी मौजूद थे.
दामोदर नदी के पानी का सैंपल लिया :
टीम बंद खदान और दामोदर नदी के पानी का सैंपल अपने साथ ले गयी. डीएमओ ने कहा कि सैटेलाइट जांच करा कर देखा जायेगा कि दामोदर नदी की धारा बदली गयी है या नहीं. इसके बाद रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दी जायेगी. शिकायतकर्ता व ग्रामीणों ने जांच टीम से कहा कि सीसीएल प्रबंधन ने वर्ष 1973 से 2003 तक पिछरी कोलियरी में माइनिंग की है. एक अक्तूबर 2003 से माइंस बंद है. माइंस चालू रहने के दौरान सीसीएल प्रबंधन ने कोयला निकासी के क्रम में निकाले गये ओबी से दामोदर नदी पर अतिक्रमण किया है. साथ ही, नदी की धारा को मोड़ दिया और इसे प्रदूषित किया. प्रबंधन ने जंगल के कीमती पेड़ों को भी काट दिया है. आरोप लगाया कि सीसीएल प्रबंधन ने रैयतों को नौकरी, मुआवजा व पुनर्वास भी नहीं दिया. प्रबंधन अब फिर से जबरन माइंस चालू करने का प्रयास कर रहा है. टीम के सदस्यों ने शिकायकर्ता और सीसीएल प्रबंधन को मंगलवार को बोकारो आकर टीम व जिला प्रशासन के समक्ष लिखित रूप से पक्ष रखने को कहा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है