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लगता है फंस गये आशियाना बनाकर, इससे बेहतर ताे गांव ही था

प्रभात खबर परिचर्चा में चीरा चास के निवासियों का छलका दर्द , पानी, बिजली, नाली, सीवरेज, गंदगी बड़ी समस्या

बोकारो. एक दशक पहले जिस चीराचास की पहचान गांव की थी, इन दिनों इसके आसपास के भलसुंधा, गंधाजोर सहित कई गांव अब शहर में बदलने लगे हैं. यहां दर्जनों बड़े-बड़े अपार्टमेंट बन चुके हैं. कई निर्माणाधीन हैं. सैकड़ों आवासीय भवन व मार्केट बन चुके हैं, पर नागरिक सुविधाओं से जुड़ी समस्याएं यथावत हैं. यहां की समस्याओं को लेकर प्रभात खबर बोकारो ने सिटी सेंटर सेक्टर चार कार्यालय में बुधवार को परिचर्चा आयोजित की. इसमें शामिल आधा दर्जन से अधिक मुहल्लों के लोगों का दर्द छलक पड़ा. सभी ने कहा कि कभी-कभी लगता है कि यहां आशियाना बनाकर फंस गये, इससे अच्छा ताे गांव-घर हीं था.

हर चुनाव में मुद्दा बनती है चीरा चास की समस्या

नये शहर का रूप ले चुके चीरा चास से लेकर चास में रहने वालों के लिए पानी, बिजली, नाली, सीवरेज, गंदगी बड़ी समस्या है. हर चुनाव में यह चुनावी मुद्दा भी बनता रहा है. विधानसभा से लेकर लोकसभा व नगर निगम के चुनाव में उतरने वालों को जनता से यह वादा करना पड़ता है कि वह इस समस्या को लेकर जीत के बाद गंभीरता दिखाएंगे. लेकिन, यहां की समस्यायें आज भी वहीं है, जो कल थी. यहां के निवासी जनप्रतिनिधि सहित नगर निगम से सुविधा दिलाने की गुहार तो लगाते हैं, पर कोई सुनवाई नहीं होती. अब तक हर बार हर जगह से सिर्फ आश्वासन हीं मिलता रहा है.

किसने क्या कहा

शंकुतला अपार्टमेंट के कौशल किशोर शर्मा ने कहा कि जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है. सीवरेज की उचित व्यवस्था नहीं है. नगर निगम इन सबके लिये पैसा लेता है, लेकिन काम नहीं होता है. चार जून से बिजली की समस्या अनवरत जारी है. पानी-बिजली की समस्या गंभीर है. चीरा चास में अधिकतर बुजुर्ग रहते हैं. उनके बच्चे बाहर रहते हैं. आलम यह है कि बीमार होने पर ना कोई दवा लाने वाला है और ना ही डॉक्टर के पास ले जानेवाला. ऐसे में यहां के निवासी कई तरह की समस्या के कारण बीमार पड़ रहे है. यह एक अलग तरह की समस्या उत्पन्न हो रही है.

कैलाश हाउसिंग कॉलोनी के उदय शर्मा ने कहा कि नाली की समस्या गंभीर है. इस कारण गंदे पानी की निकासी नहीं हो पाती है. पानी इधर-उधर बहता रहता है. 2015 से इसकी शिकायत कर रहे हैं. तत्कालीन सांसद से भी गुहार लगायी थी. उन्होंने भी पहल की थी. लेकिन, आज तक नाली का निर्माण नहीं हो पाया है. चीरा चास से सबसे अधिक रेवेन्यू निगम को मिलता है. लेकिन, पानी, बिजली, गंदगी, सीवरेज आदि की समस्या जस की तस बनी हुई है. बिजली विभाग की ओर से पेड़ों की छंटाई समय पर नहीं की जाती है. तार जर्जर है. हर बार सिर्फ आश्वासन हीं मिलता रहा है.

अंबर अपार्टमेंट के विनोद कुमार विपीन ने कहा कि पानी की समस्या गंभीर होती जा रही है. एक हजार फीट बोरिंग चला गया है. ऐसा रहा, तो आनेवाले 10 साल में पानी नहीं मिलेगा. सबसे बड़ी बात यह जिन लोगों ने होल्डिंग टैक्स के भुगतान चेक से किया था, उन लोगों से इन दिनों चेक का प्रूफ मांगकर तंग किया जा रहा है. बहुत से लोगों के पास चेक का प्रूफ नहीं है. निगम अपने रिकार्ड से चेक क्यों नहीं करता है. पहले से हीं लोग कई तरह की समस्या से जूझ रहे हैं. ऊपर से आये दिन नये-नये नियम बनाकर लोगों को तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है.

अंबर अपार्टमेंट के अनिल कुमार ने कहा कि बिजली को लेकर त्राहिमाम की स्थिति है. पानी के लिये तीन साल पहले पाइप लाइन बिछायी गयी. एक साल पहले मीटर भी लगा दिया गया, लेकिन अभी तक आपूर्ति शुरू नहीं हुई. पानी की गंभीर समस्या है. कचरा उठाने के लिये गाड़ी नहीं आती है. सीवरेज की व्यवस्था नहीं है. समस्या के समाधान के लिये विधायक से भी कॉलोनी के लोग मिले. लेकिन, आज तक कोई ठोस पहल नहीं की गयी. एक समस्या हो तो गिनायें…कई समस्या है. कभी-कभी लगता है कि फंस गये आशियाना बनाकर, इससे अच्छा ताे गांव-घर हीं था.

केके सिंह कॉलोनी के तारकेश्वर राम ने कहा कि चीरा चास में कई बड़ा-बड़ा खुला नाला है. साफ-सफाई नहीं होने के कारण मच्छरों का प्रकोप बहुत अधिक है. इससे कई तरह की बीमारी की चपेट में भी लोग आ रहे हैं. अब तो पलायन की स्थिति भी बनती जा रही है. लोग घर-फ्लैट बेचकर गांव-घर या दूसरे शहरों की ओर रूख कर रहे है. कारण, समस्याओं को समाधान होना तो दूर, हर दिन नयी-नयी समस्या उत्पन्न हो रही है. मूलभुत सुविधा के लिये भी लोग तरस रहे हैं. समस्याओं के समाधान के लिये हर दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई समस्या दूर नहीं हुई.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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