जगरनाथ महतो ने कुल्ही से विधानसभा तक का किया था सफर
जगरनाथ महतो ने कुल्ही से विधानसभा तक का किया था सफर
राकेश वर्मा, बेरमो : डुमरी विधानसभा क्षेत्र में लालचंद महतो व शिवा महतो के राजनीतिक वर्चस्व को तोड़ कर जगरनाथ महतो ने गांव की कुल्ही से विधानसभा तक का सफर तय किया था. डुमरी से चार बार विधायक रहे थे. उन्होंने 80 के दशक में झामुमो के एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में राजनीति की शुरुआत की थी. उस वक्त के झामुमो विधायक शिवा महतो के सेकेंड मैन के रूप में वह चर्चित थे. 90 के दशक में ही भंडारीदह रिफैक्ट्रिज प्लांट में फायर क्ले की ट्रांसपोर्टिंग में घालमेल को उजागर कर वह चर्चा में आये. समर्थकों के साथ उन्होंने कई वाहनों को रंगे हाथ पकड़ा भी था. इसके बाद कंपनी प्रबंधन के साथ उनकी तीखी बहस हुई थी. दबंग ट्रांसपोर्टरों के इशारे पर उनके साथ मारपीट की गयी. पुलिस प्रताड़ना का भी उन्हें शिकार होना पड़ा. तीन-चार दिनों तक वह लापता रहे. उस वक्त गिरिडीह के तत्कालीन सांसद राजकिशोर महतो ने इस मामले पर हस्तक्षेप किया. उन्होंने प्रशासन से कहा कि या तो वो जगरनाथ महतो को जेल भेजे या कोर्ट में हाजिर करे. इसके बाद जाकर मामला ठंडा पड़ा. ग्रास रूट में काम करने के कारण 90 के दशक तक क्षेत्र में उनकी एक अलग पहचान बन गयी थी. पुलिस ज्यादती व ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ उन्होंने आंदोलन खड़ा किया. डुमरी-नावाडीह क्षेत्र के ग्रामीण हलकों के साथ-साथ इससे सटे बेरमो कोयलांचल में भी संगठित व असंगठित मजदूरों सहित विस्थापित आंदोलन में वह सक्रिय रहे. गांव में बिजली का खंभा खुद ठेला में ढोने की बात हो या कोलियरी के लोकल सेल में ट्रकों में कोयला लदाई. कभी अहले सुबह अपने विस क्षेत्र में लालटेन लेकर बच्चों के घर जाकर उन्हें जगा कर पढने के लिए प्रेरित करना तो कभी खुद विद्यालय में बच्चों के साथ छात्र बन कर पढ़ाई करना जगरनाथ महतो की आदत में सुमार था. जमीन पर बैठ कर मुर्गा लड़ाई देखना, कार्यक्रम में खुद मुखौटा पहन कर छऊ नृत्य करना, भोक्ता पर्व में डेढ सौ फीट ऊंचे खंभे में लटक कर झूलना, जंगली इलाके के दौरे में पेड़ पर चढ़ कर भेलवा फल तोड़ कर खाने को लेकर भी वह चर्चा में रहते थे. झारखंड अलग राज्य आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका रहा करती थी. सीएनटी-एसपीटी एक्ट, स्थानीय नीति से लेकर पारा शिक्षकों व आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका के मामले को भी विधानसभा में समय-समय पर उठाते थे. झारखंड केसरी बिनोद बिहारी महतो, शिबू सोरेन, एके राय, शिवा महतो, राजकिशोर महतो के सान्निध्य में राजनीति के कई गुर उन्होंने सीखे थे.
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