Jharkhand Assembly Special Session : रांची : झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान आज बुधवार को संशोधन के बाद सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित हो गया. अब इस पारित प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा जायेगा. झारखंड के इतिहास में पहली बार सरना धर्म कोड को लेकर झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया और संशोधन के साथ पारित हो गया. झारखंड के आदिवासियों की ये प्रमुख मांग थी और इसके लिए आंदोलन भी किए गए थे. आखिरकार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गंभीरता दिखायी और विशेष सत्र बुलाया.
सरना धर्म कोड को लेकर आयोजित झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड अहम है. इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध भी है. इसी दिशा में विधानसभा में ये प्रस्ताव पेश किया गया है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों को सरना धर्म कोड मिलने से देशभर में अच्छा संदेश जायेगा. बढ़ते प्रदूषण को लेकर पूरा देश चिंतित है. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण आदिवासियों का धर्म ही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसंख्या में कमी के कारण झारखंड के आदिवासियों को मिलनेवाले संवैधानिक अधिकारों पर असर पड़ता है. झारखंड के आधिवासियों को सरना धर्म कोड मिल जाने के बाद इन्हें कई फायदे मिलेंगे.
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासियों की जनसंख्या लगातार कम हो रही है. जनगणना के आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि झारखंड में गैर आदिवासियों की तुलना में आदिवासी जनसंख्या की वृद्धि दर काफी कम है. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य के आदिवासी प्रकृति पुजारी हैं. प्रदूषण से देश जूझ रहा है. ऐसे में झारखंड के आदिवासियों का पर्यावरण संरक्षण ही धर्म है. ये प्रकृति की पूजा करते हैं. विधानसभा के विशेष सत्र में इन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड आदिवासियों के लिए अहम है. इससे झारखंड के आदिवासियों को कई लाभ मिलेंगे. अब सरना आदिवासी धर्म कोड लागू होगा. कैबिनेट द्वारा जारी संकल्प में संशोधन किया जायेगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी स्वीकृति दे दी है. आपको बता दें कि लंबे वक्त से झारखंड में सरना धर्म कोड की मांग की जा रही थी.
खूंटी के विधायक व पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि वे सरना धर्म कोड के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं, लेकिन कांग्रेस ने इसमें राजनीति की है. विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि सरना धर्म कोड का वे समर्थन करते हैं, लेकिन आदिवासी शब्द जोड़कर कांग्रेस ने राजनीति की है. सरना धर्म कोड को लेकर आयोजित झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र हंगामेदार रहा. सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने अपनी बातें रखीं.
खूंटी से भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने सदन में कहा पहले अलग कोड था, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया. अगर इसे नहीं हटाया जाता, तो आदिवासियों की ये स्थिति नहीं होती. उन्होंने कहा कि ये प्रस्ताव जल्दबाजी में लाया गया है. इस दौरान नवनिर्वाचित सदस्यों को उन्होंने बधाई दी. भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने सदन में कहा कि सरना धर्म कोड को लेकर चर्चा जरूरी है. प्रस्ताव का वे स्वागत करते हैं, लेकिन इस संदर्भ में उन्हें कुछ शंका है. ऐसा लगता है जैसे राजनीति के तहत इसे लाया गया है. आदिवासी/सरना की जगह सिर्फ सरना लिखा जाए या आदिवासी सरना लिखा जाए. उन्हें कोई ऐतराज नहीं है. भाजपा के रांची से विधायक व पूर्वी मंत्री सीपी सिंह व नीलकंठ सिंह मुंडा ने सदन में सरना धर्म कोड को लेकर चर्चा की मांग की. कुछ देर के लिए इस दौरान सदन में हंगामा हुआ.
Posted By : Guru Swarup Mishra