रांची: दुमका और बेरमो में तीन नवंबर को होने वाले उपचुनाव में अब यूपीए-एनडीए के बीच सीधा मुकाबला तय है़ यूपीए को अपनी राजनीतिक विरासत बचानी है, तो एनडीए ने पुराने चेहरे को ही मैदान में उतारा है़ दुमका से हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद खाली हुई सीट पर उनके भाई बसंत साेरेन भाजपा के लुइस मरांडी के सामने होंगे़.
झामुमो के उम्मीदवार बसंत सोरेन को अपनी जमीन और पार्टी की साख बचानी होगी़ वहीं कांग्रेस के दिग्गज मजदूर नेता रहे राजेंद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस ने अब उनके बड़े बेटे जयमंगल सिंह उर्फ अनुप सिंह को उम्मीदवार बनाया है़
अनुप सिंह को इस सीट से लगातार चार बार चुनाव लड़े योगेश्वर महतो बाटुल टक्कर देंगे. भाजपा दाेनों ही सीटों पर किसी नये चेहरे को लाकर रिस्क लेने के मूड में नहीं थी़ बेरमो से बाटुल को टिकट देकर भाजपा ने पिछले वोटरों की गोलबंदी का प्रयास किया है़ इसके सहारे एक हवा बनाने की कोशिश होगी़. वहीं लुइस मरांडी ने 2014 के चुनाव में वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हरा कर सबको चौंकाया था़.
श्रीमती मरांडी ने अपनी जमीन नहीं छोड़ी है़ वह लगातार यहां सक्रिय रही़ं दरअसल दुमका में भाजपा के पास श्रीमती मरांडी से मजबूत दूसरा कोई दावेदार भी नहीं था़ भाजपा के उम्मीदवार के एेेलान के बाद दो ध्रुवों के बीच आर-पार की लड़ाई तय है़ वोटरों की भी जबरदस्त गोलबंदी होगी़ इन सीटों पर शह-मात और जातीय समीकरण बनाने -बिगाड़ने का खेल चलेगा़
बेरमो सीट को लेकर भाजपा के अंदर आखिरी समय तक जिच कायम था़ पार्टी का एक तबका रवींद्र पांडेय के पक्ष में था़ लेकिन आजसू ने रवींद्र पांडेय का रास्ता रोका़ बेरमो सीट पर कोयला कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका हाेती रही है़ कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेंद्र सिंह का लंबा कामकाज ट्रेड यूनियन के माध्यम से रहा है़ इसमें रवींद्र पांडेय सेंधमारी कर सकते थे, लेकिन अब बाटुल को रास्ता बनाना होगा़ भाजपा का एक खेमा बाटुल का खेल बिगाड़ने की कोशिश भी कर सकता है़
पिछले विधानसभा चुनाव में योगेंद्र महतो बाटुल व लुइस मरांडी अपनी-अपनी सीट पर दूसरे स्थान पर रहे थे़ दुमका से लुइस मरांडी को 67819 वोट मिले थे, वहीं हेमंत सोरेन 81007 वोट ला कर चुनाव जीत गये़ उधर बेरमो से स्व राजेंद्र सिंह ने 88945 वोट लाकर योगेंद्र महतो बाटुल को हराया था़ श्री बाटुल को 63773 वोट मिलेे थे़
posted by : sameer oraon