Coal India Bonus News: कोल इंडिया की विभिन्न अनुषांगिक कंपनियों में कार्यरत ठेका मजदूरों के लिए सालाना बोनस (दुर्गा पूजा के अवसर पर) 8.33 फीसदी राशि का भुगतान किये जाने का प्रावधान है. गत वर्ष इसका भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए कोल इंडिया के जीएम (पीएंडआइआर) अजय कुमार चौधरी ने सभी कंपनियों के सीएमडी को पत्र लिखा था. बोनस एक्ट के हिसाब से 21,000 रुपया से कम वेतन वाले ठेकाकर्मियों को 7000 रुपये बोनस दिये जाने की बात कही गयी. कंपनी के आदेश के हिसाब से शायद ही कोई ठेका मजदूर इस वेतनमान की श्रेणी में आता है. अन स्कील्ड ठेका कर्मियों को भी हाई पावर कमेटी की अनुशंसा के आलोक में 21,000 रुपये से अधिक मिल रहा है. सेमी स्कील्ड को करीब 23,000 तथा हाई स्कील्ड को लगभग 26,000 रुपये प्रतिमाह मिल रहा है. इसके हिसाब से ठेकाकर्मियों को बोनस नहीं मिल सकता है. बावजूद अगर ठेका लेनेवाली कंपनियां चाहेंगी तो पूजा के दौरान कुछ सहयोग राशि दे सकती हैं. कोल इंडिया के साथ हुए एमओयू में ही इस बात का प्रावधान होता है कि ठेका कर्मियों को बोनस की सुविधा भी दी जायेगी. कोल इंडिया में ठेका (असंगठित) मजदूरों की संख्या ढाई लाख से ज्यादा है. हालांकि प्रबंधन कई बैठकों में ठेका मजदूरों का आंकड़ 78 हजार के करीब बताता है.
क्या कहता है बोनस एक्ट
बोनस एक्ट में हुए संशोधन के अनुसार जिन ठेका मजदूरों का वेतन प्रतिमाह 21 हजार से कम है, उन्हें सात हजार रुपये तथा जिनका वेतनमान प्रतिमाह 21 हजार से ज्यादा है, उन्हें 8.33 फीसदी के हिसाब से सालाना बोनस दिये जाने का प्रावधान है. अगर कंपनी को मुनाफा नहीं हो रहा है तो भी 8.33 फीसदी बोनस दिया जाना है. यदि कंपनी को मुनाफा हो रहा है तो अधिकत्तम 20 फीसदी तक बोनस दिये जाने का प्रावधान है. मालूम हो कि हर साल दुर्गा पूजा के अवसर पर कोलकर्मियों को सालाना बोनस (पीएलआर) मिलता रहा है. गत वर्ष कोलर्मियों को 72,500 रुपये सालाना बोनस मिला. इस बार भी 75 हजार से ज्यादा ही मिलेगा, लेकिन जो ठेका मजदूर आज 70-90 फीसदी कोल इंडिया के प्रोडक्शन से सीधे जुड़े हैं, उन्हें एग्रीमेंट के बाद भी सालाना बोनस कई कंपनियों में नहीं मिलता. अगर कुछ आउटसोर्स कंपनियां बोनस देती भी हैं तो कम राशि रहती है.
पीएलआर के तहत दस हजार राशि भुगतान की मांग
कोयला उद्योग में कार्यरत ठेका कर्मियों को पीएलआर के तहत न्यूनतम राशि दस हजार रुपये दशहरा पर्व के अवसर पर बोनस के रूप में भुगतान करने की मांग भामसं ने की है. बीएमएस से संबद्ध अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के केंद्रीय महामंत्री सुधीर घुरडे ने भारत सरकार के कोयला खान सह संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को इस बावत पत्र लिखा है. कहा है कि 28 सितंबर को सीसीएल के रांची में पीएलआर से संबंधित बैठक रखी गयी है. बैठक में भी ठेका कर्मियों के दशहरा पर्व के अवसर पर दस हजार रुपये राशि भुगतान करने पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए.
ठेका मजदूरों के सवालों पर श्रमिक संगठनों के तेवर भी तल्ख नहीं
कोयला उद्योग के विभिन्न अनुषांगिक कंपनियों में आउटसोर्स में लगे ठेका मजदूरों ने विगत 19 फरवरी 2013 को श्रमिक संगठन एटक के आह्वान पर ऐतिहासिक हड़ताल की थी. इसके बाद कोल इंडिया की अनुषांगिक इकाई सीसीएल में मजदूर संगठनों ने 28 जून 2013 को जेसीएसी की बैठक में तथा पुन: 11 जुलाई 2013 को स्पेशल बैठक में ठेका मजदूरों की मजदूरी व अन्य सुविधा लागू करने का मामला पुरजोर रूप से उठाया था. प्रबंधन ने मांगों पर सकारात्मक पहल की सहमति भी जतायी थी, लेकिन आज तक सारे मामले ठंडे बस्ते में पड़े हुए हैं. एटक नेता व जेबीसीसीआइ सदस्य रमेंद्र कुमार व लखनलाल महतो कहते हैं कि ठेका मजदूरों का वेज एग्रीमेंट हो जाने के बावजूद आज तक कोल इंडिया की विभिन्न अनुषांगिक कंपनियों में इसे सही रूप से लागू नहीं किया जाना प्रबंधन की उदासीनता व साजिश को दर्शाता है. इध, श्रमिक संगठन इंटक, एचएमएस, सीटू व बीएमएस के तेवर भी ठेका मजदूरों के सवालों पर तीखे नहीं दिखते. समय-समय पर यूनियनों द्वारा ठेका मजदूरों के हित में घोषणाएं तो की जाती हैं, लेकिन यह धरातल पर उतरती नहीं हैं.
रिपोर्ट : राकेश वर्मा, बेरमो