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Jagarnath Mahto का गांव की कुल्ही से विधानसभा तक का सफर, 3-4 दिनों तक थे लापता, सही थी पुलिस प्रताड़ना

झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो गांव की कुल्ही से निकलकर एक बड़ी शख्सियत बने. 1977 से लेकर 2000 तक डुमरी के पूर्व विधायक लालचंद महतो और शिवा महतो के राजनीतिक वर्चस्व को तोड़कर उन्होंने गांव की कुल्ही से विधानसभा तक का सफर तय किया था.

बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा. झारखंड के ‘टाइगर’ जगरनाथ महतो अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन राजनीति के क्षेत्र में और लोगों के बीच उन्होंने अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है. जगरनाथ महतो ने गांव की कुल्ही से विधानसभा तक का सफर तय किया था.

थे एक साधारण कार्यकर्ता

80 के दशक में झामुमो के एक साधारण कार्यकर्ता से जगरनाथ महतो ने राजनीति में अपना पर्दापण किया. उस वक्त तत्कालीन झामुमो विधायक शिवा महतो के सैकेंड मैन के रूप में जगरनाथ महतो पूरे डुमरी विधानसभा क्षेत्र में चर्चित थे.

घालमेल का पर्दाफाश कर चर्चा में आए थे जगरनाथ

90 के दशक में ही भंडारीदह रिफैक्ट्रीज प्लांट में फायर क्ले के ट्रांसपोर्टिग में किये जानेवाले घालमेल को उजागर करने के कारण वे पहली बार चर्चा में आये. बताया जाता है कि उस वक्त प्लांट के लिए रॉ मेटेरियल उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर से आता था, लेकिन इस कार्य में लगे ट्रांसपोर्टर इसी क्षेत्र से फायर क्ले की ट्रांसपोर्टिंग कर कंपनी को चूना लगा रहे थे. लोड-अनलोड में हो रहे अनियमितता को देख जगरनाथ महतो ने इसका पर्दाफाश किया था.

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सही थी पुलिस प्रताड़ना

अपने समर्थकों के साथ उन्होंने कई वाहनों को भी रंगे हाथ पकड़ा था. इसके बाद कंपनी प्रबंधन के साथ उनकी तीखी बहस हुई थी. तब दबंग ट्रासपोर्टरों के इशारे पर उनके साथ मारपीट की घटना हुई. पुलिस प्रताड़ना का भी उन्हें शिकार होना पड़ा. तीन-चार दिनों तक वे लापता भी रहे.

की गई थी जेल भेजने की कोशिश

जिला प्रशासन ने उस वक्त उनपर सीसीएल एक्ट लगाकर उन्हें जेल भेजने का प्रयास किया. उस वक्त गिरिडीह के तात्कालीन सांसद राजकिशोर महतो ने इस मामले पर हस्तक्षेप किया. उन्होंने प्रशासन से कहा कि या तो वे जगरनाथ महतो को जेल भेजे या फिर कोर्ट में हाजिर करे. इसके बाद जाकर मामला ठंडा पड़ा.

ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ खड़ा किया आंदोलन

गांव की कुल्ही से निकलकर ग्रासरूट में काम करने के कारण 90 के दशक तक क्षेत्र में उनकी एक अलग पहचान बन गयी. पुलिस ज्यादती व ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ उन्होंने आंदोलन खड़ा किया. डुमरी-नावाडीह क्षेत्र के ग्रामीण हलकों के साथ-साथ इससे सटे बेरमो कोयलांचल में भी संगठित व अंसगठित मजदूरों सहित विस्थापित आंदोलन में विधायक जगरनाथ महतो सकिय्र रहे.

ऐसे बनाई अलग पहचान

गांव में बिजली का खंभा खुद ठेला में ढोने की बात हो या फिर कोलियरी के लोकल सेल में ट्रकों में कोयला लदाई. जमीनी स्तर पर वे आंदोलन के कारण अपना अलग स्थान बनाने में कामयाब रहे. झारखंड अलग राज्य आंदोलन व आर्थिक नाकेंबदी आंदोलन में भी जगरनाथ महतो की सक्रिय भूमिका रहा करती थी. विधानसभा में भी पारा शिक्षक व स्थानीयता के मुद्दे पर वे अपनी आवाज मुखर करते रहे.

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