Jharkhand Foundation Day: धार्मिक केंद्र ही नहीं, प्रकृति का खजाना भी है अपना लुगू पहाड़
Jharkhand Foundation Day: 15 नवंबर को झारखंड 22 साल का हो जाएगा. इस 22 साल में यह राज्य निरंतर प्रगति कर रहा है. यहां कई पर्यटक स्थल के साथ धार्मिक स्थल भी है. इसी में से एक है बोकारो का लुगू पहाड़. लुगू पहाड झारखंड का दूसरा सर्वोच्च शिखर है. यह जड़ी-बूटी से लेकर प्राकृतिक संपदाओं से आच्छादित है.
Jharkhand Foundation Day: संथालों का वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र लुगू पहाड झारखंड का दूसरा सर्वोच्च शिखर है. यह जड़ी-बूटी से लेकर प्राकृतिक संपदाओं से आच्छादित है. 6781 एकड़ में फैले लुगू की तलहटी में दर्जनाधिक गांव हैं. छोटानागपुर के महराजा मदरा मुंडा के दत्तक पुत्र फनी मुकुंद राय (नागवंशी) के गद्दी संभालते ही उनके अधिकार क्षेत्र में आ गया.
जिला की सबसे पुरानी जागिरदारी थी होसिर में
1368 ई में छोटानागपुर के महाराजा ने यह क्षेत्र बाघ सिंह देव को बंदोबस्त कर दिया गया. दस्तावेजों के अनुसार 1704 ई में एकरारनामा कर महाराज हेमंत सिंह ने ठाकुर त्रिभुवन सिंह को होसिर, साड़म आदि 28 गांवों के साथ बंदोबस्त कर दिया गया. लुगूपहाड़ इनके अधिकार क्षेत्र में आ गया. उस समय क्षेत्र काफी बड़ा था जो साड़म परगना था. बाघदेव सिंह देव के वंशज ठाकुर त्रिभुवन सिंह के चार पुत्र संग्राम राय, लक्ष्मण राय, महालोंग राय व कुशल राय हुए. इनमें कुशल राय और लक्ष्मण राय नि:संतान रहे. संग्राम राय और महालोंग राय के बीच बंटवारा हुआ. इसमें महाराजा दलेल सिंह मौजा होसिर और कई गांव महलौंग राय के हिस्से में आ गया और साड़म के कई गांव संग्राम सिंह के हिस्से में आ गये. बंटवारे के मुताबिक लुगू पहाड़ महालोंग राय को मिल गया. पुन: 1766 में महाराजा मुकुंद राय से महालोंग राय के वंशज उदय नाथ देव को मिला.
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1900 ई में होसिर इस्टेट के नाम से नोटिफिकेशन जारी हुआ. 1902 में होसिर एक और दो का बंटवारा हुआ, लुगूपहाड़ होसिर एक के हिस्से में चला आया. 1909 ई के दस्तावेजों के अनुसार होसिर साड़म में पूरे जिला में सबसे पुराना जागीरदार था. जागीरदारी के समय रामगढ़, इचाक और पदमा का उदय नहीं हुआ था. साड़म के जागीरदार थे.
होसिर इस्टेट के वंशजों को नहीं मिली क्षतिपूर्ति
इस्टेट ने एसएस गुजदार को 11 दिसंबर 1929 को चूना पत्थर निकालने के लिए पहाड़ लीज पर दे दिया. होसिर इस्टेट के मालिकाना ठाकुर लक्ष्मी नारायण देव व जादव चरण देव ने इसका विरोध किया था. न्यायालय का आदेश होसिर इस्टेट एक के पक्ष में आया और लुगूपहाड़ का अस्तित्व बचा गया. वन विभाग ने 1947-48 में इसका अधिग्रहण कर लिया, पर अभी तक होसिर इस्टेट के वंशजों को इसकी क्षतिपूर्ति नहीं दी गयी.1969-70 तक इसका इसका सूद मिलता था जो 1971 से बंद कर दिया गया.
लुगूपहाड़ की चौहद्दी
लुगूपहाड़ एक प्लॉट में 933 एकड़ प्लॉट नंबर 2 में 1057 एकड़, प्लॉट नंबर 3 में, 780 एकड़, प्लॉट नंबर 4 में 815 एकड, प्लॉट 5 में 792 एकड़, प्लॉट नंबर 317 एकड़ सात में 952 एकड़, आठ में 762 एकड़, नौ में 573 एकड़, प्लॉट नंबर 10 में 697 एकड़, प्लॉट 11 में 20 एकड़ कुल 6781 ए़कड लक्षमी नारायण देव वगैरह के नाम दर्ज हैं.
रिपोर्ट: नागेश्वर, ललपनिया