Jharkhand High Court News, रांची न्यूज (राणा प्रताप) : झारखंड हाइकोर्ट ने धुर्वा में निर्माणाधीन हाइकोर्ट बिल्डिंग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्माण में हो रहे विलंब पर नाराजगी जतायी. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि हाइकोर्ट बिल्डिंग का निर्माण कार्य वर्ष 2018 में पूरा हो जाना था, लेकिन अब तक वह अधूरा पड़ा है. राज्य सरकार से पूछा कि आखिर कब तक हाइकोर्ट के नयी ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा.
संशोधित डीपीआर के आलोक में अब तक नोटिस इनवाइटिंग टेंडर (एनआइटी) भी जारी नहीं किया गया है. खंडपीठ ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि यदि अग्रेतर कार्रवाई में विलंब होगा, तो कोर्ट विभागीय मंत्री को मामले में पार्टी बनायेगी. शपथ पत्र के माध्यम से राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 16 जुलाई की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन व अधिवक्ता पियूष चित्रेश ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि शीघ्र एनाआइटी जारी किया जायेगा.
प्रार्थी अधिवक्ता राजीव कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से खंडपीठ को बताया कि हाइकोर्ट बिल्डिंग का वर्ष 2015 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था. 366 करोड़ की लागत से बननेवाली हाइकोर्ट बिल्डिंग का काम 267 करोड़ में दिया गया. बाद में निर्माण लागत बढ़कर 697 करोड़ पहुंच गयी. इसके बावजूद बिल्डिंग अधूरी पड़ी है. उन्होंने आइए याचिका दायर कर बिल्डिंग निर्माण में गड़बड़ी की जांच एसीबी से कराने के सरकार के निर्णय की जानकारी मांगने का आग्रह किया.
उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता राजीव कुमार व अधिवक्ता राजेश्वर पांडेय ने अलग-अलग जनहित याचिका दायर की है. राज्य सरकार ने धुर्वा के तिरिल मौजा में 167 एकड़ जमीन हाइकोर्ट के नये परिसर के लिए हस्तांतरित किया था. उक्त भूखंड पर वर्ष 2015 से हाइकोर्ट का नया भवन का निर्माण किया जा रहा है, जो अभी भी निर्माणाधीन पड़ा हुआ है.
Posted By : Guru Swarup Mishra