बीएसएल प्लांट निर्माण के साथ ही बोकारो औद्योगिक क्षेत्र की आधारशिला रखी गयी, ताकि छोटे-बड़े उद्योग बीएसएल की छोटी-छोटी जरूरत के अनुरूप प्रोडक्शन कर, बीएसएल को सहयोग करें और बीएसएल के सहयोग से औद्योगिक क्षेत्र के कल कारखाने भी फले-फूले. उद्योग लगाने वाले व्यक्ति या समूह को सरकार की गाइडलाइंस अनुसार निगमित सामाजिक के तहत कुछ दायित्व का निर्वाह करना है. संचालित कल कारखाना प्रबंधक सामाजिक दायित्व निर्वाह करने में कितना सक्रिय हैं, इसका सहज अंदाजा बियाडा क्षेत्र घूमते ही लग जाता है. बियाडा में सैकड़ों कल-कारखाने संचालित है, जहां हजारों की संख्या में मजदूर काम करने आते है. वहीं हर दिन सैंकड़ों की संख्या में मालवाहक वाहनों में चालक, उपचालकों का आवागमन होता है. दुर्भाग्य वश पांच दशक बाद भी बियाडा क्षेत्र में मजदूरों और चालकों के लिए एक भी सुलभ शौचालय नहीं बन सका. शौचालय तो छोड़िये एक अदद पेयजल का बूथ तक नहीं है. इससे भी जरूरी जो प्राथमिक उपचार की व्यवस्था तक नहीं है. जहां ये मजदूर घटना दुर्घटना होने पर अपना प्राथमिक उपचार करा सके. बता दें कि उद्योग जगत के महारथियों को सालाना ट्रांजेक्शन से होने वाली शुद्ध मुनाफा का दो से पांच फीसदी रकम, निगमित सामाजिक दायित्व के लिए खर्च करना है.
खुद को ठगा महसूस कर रहे ग्रामीण
गोडबाली दक्षिणी के पूर्व मुखिया सह समाजसेवी गणेश ठाकुर ने बताया कि जब से फैक्ट्रियों का संचालन हो रहा है, उस समय से अभी तक यहां के प्रभावित गांव में रहने वाले ग्रामीण, मजदूर व चालक वर्ग खुद को ठगा महसूस कर रहा है. वास्तव में कारखाना संचालकों ने सही ढंग से सीएसआर फंड खर्च खर्च हुआ होता, तो आज स्थिति इतनी भयावह नहीं होती. जगह-जगह पर समुचित सुविधाएं होती. बियाडा क्षेत्र सहित आसपास के गांव में डेवलपमेंट दिखता. इन सभी विषयों को लेकर आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है.
अभी रांची की टीम शौचालय, पेयजल आदि की व्यवस्था को लेकर निरीक्षण कर के गयी है. डीपीआर तैयार हो रहा है. इस दिशा में जल्द पहल होगी.
कीर्ति श्री, क्षेत्र प्रबंधक, जियाडा, बोकारो
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