Jharkhand News, रांची न्यूज : बिरसा किसान अब नाम के अनुरूप किसानों की समृद्धि के नये युग के वाहक बनेंगे. किसानों को नई पहचान और सम्मान देंगे. इसी के तहत मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर कृषि विभाग एक नए युग की शुरुआत करने और अधिक से अधिक गरीब किसानों को कृषि योजनाओं के तहत लाने का प्रयास कर रहा है. राज्य के करीब 58 लाख किसानों को बिरसा किसान के रूप में पहचान देने के कार्य को मूर्त रूप देने में विभाग जुट गया है.
बिरसा किसान के तहत किसानों को एक यूनिक आईडी के साथ पंजीकृत किया जाएगा. जिसमें आधार कार्ड, मोबाइल और बचत खाता संख्या (डीबीटी के लिए) आदि अनिवार्य होंगे. किसानों का प्रज्ञा केंद्रों में ई-केवाईसी किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि केवल आधार संख्या वाले प्रामाणिक किसान ही पंजीकृत हैं. उसके बाद भूमि विवरण इंटरफेस के माध्यम से राजस्व विभाग के डेटाबेस से प्राप्त किया जाएगा.
Also Read: ‘रांची की रोशनी’ सोलर लैंप अब Amazon पर, खरीदारी पर छूट, SHG की महिलाओं को मिलेगी नयी पहचान
किसानों के लिए जारी होनेवाले विशिष्ट आईडी कार्ड में एक बार कोड होगा. विशिष्ट आईडी का उपयोग किसानों की पहचान के रूप में किया जाएगा. इस संख्या का उपयोग जिला कृषि पदाधिकारियों एवं अन्य द्वारा विभिन्न योजनाओं जैसे बीज, कृषि उपकरण इत्यादि के तहत किसानों को लाभान्वित करने के लिए होगा. बार कोड किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत दिए जाने वाले लाभों की जानकारी संग्रहित करेगा. यह जानकारी भी अलग से एक सर्वर में अपलोड और स्टोर की जाएगी.
बिरसा किसान की परिकल्पना एक ही किसान को विभिन्न योजनाओं का लाभ देना है. साथ ही इस प्रक्रिया में बिचौलियों की भूमिका और फर्जी तरीके से लाभ उठा रहे लोगों की पहचान भी की जाएगी. अंततः वास्तविक, गरीब किसानों को योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाएगा. किसानों को योजना का लाभ देने से पूर्व डीएओ द्वारा जांच की जाएगी कि किसान को वर्तमान या पिछले वर्षों में समान लाभ प्राप्त हुआ है या नहीं. इस प्रकार एक डेटाबेस किसानों का बनाया जाएगा. सभी बिरसा किसानों को विभाग से एक समान रूप से जोड़ा जाएगा. डेटाबेस का उपयोग हर वर्ष नए लाभार्थियों की पहचान करने और उन्हें शामिल करने के लिए किया जाएगा. इससे दोहराव की गुंजाइश नहीं होगी और फर्जी लोगों की पहचान सुनिश्चित होगी.
प्रथम चरण में डेटाबेस का उपयोग विभाग के भीतर दोहराव आदि की जांच के लिए किया जाएगा. द्वितीय चरण में डेटा बेस का उपयोग विभिन्न विभागों और कृषि विभाग के बीच लाभुकों के दोहराव की जांच के लिए किया जाएगा. तीसरे चरण में इसका उपयोग सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों के बीच लाभुक के दोहराव आदि की जांच के लिए किया जाएगा. किसानों की भूमि के विवरण का डिजिटलीकरण, किसान द्वारा उत्पादित फसल का प्रकार, कुल उत्पादन आदि का आंकलन कर यूनिक आईडी में संग्रहित किया जाएगा.
फसलों से संबंधित सलाह, बाजार, उत्पादन और नुकसान का आकलन भी होगा. किसानों का विशिष्ट आईडी लांच होने के उपरांत कृषि निदेशालय कृषि के अन्य सभी निदेशालयों से डेटा और सॉफ्टवेयर साझा करेगा, जिसकी निगरानी के लिए विभागीय सचिव एवं कृषि मंत्री के स्तर पर डैशबोर्ड का गठन होगा. इस तरह बिरसा किसान के माध्यम से साल दर साल वास्तविक किसानों को जोड़कर उन्हें योजनाओं से आच्छादित किया जाएगा और बिरसा किसान अपने नाम के अनुरूप कृषि योजनाओं से जुड़कर स्वयं अपनी समृद्धि की गाथा लिखेंगे.
झारखंड की कृषि निदेशक निशा उरांव कहती हैं कि बिरसा किसान का उद्देश्य राज्य के किसानों को लाभ प्रदान करना है. राज्य के किसानों को सशक्त और उन्नत बनाने के मुख्यमंत्री के विजन के अनुरूप विभाग डेटाबेस बनाने के लिए सभी वांछित जानकारी एकत्र करने पर काम कर रहा है. साथ ही किसानों को सरकार द्वारा एक विशिष्ट आईडी दी जाएगी, जो हमें विभिन्न योजनाओं के तहत लाभार्थी की पहचान करने में मदद करेगी. सरकार राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है और इसे हासिल करने के लिए हम अपने किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra