Jharkhand News : CCL के विस्थापितों को 5 दशक बाद भी मुआवजा व नौकरी नहीं, संताली परिवारों का छलका दर्द

1970 में उनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था. इसके बाद उस क्षेत्र में सीसीएल द्वारा कोयला उत्पादन के लिए ब्लास्टिंग किया जाने लगा तो वे लोग डर से भागकर कर्री पंचायत के बाराटांड़ में जा बसे. वहां पर किसी प्रकार गुजर-बसर करने लगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2021 2:09 PM

Jharkhand News, बोकारो न्यूज (नागेश्वर) : झारंखड के बोकारो जिला अंतर्गत सीसीएल कथारा प्रक्षेत्र के कथारा उचितडीह से दर्जनों संताली परिवार पांच दशक पहले विस्थापित हुए थे. इन्हें आज तक न तो मुआवजा मिला, न ही नियोजन. इन्हें पुनर्वासित भी नहीं किया गया. मजबूरन आज‌ सभी संताली परिवार गोमिया प्रखंड मुख्यालय‌ से 25 किलोमीटर दूर कर्री पंचायत के बाराटांड़ में खानाबदोश जिंदगी जीने के अभिशप्त हैं.

विस्थापन का दंश झेल रहे संताली परिवार के सदस्यों ने कहा कि हम सभी की उचितडीह की जमीन पर माइंस चल रहा है. यहां के कोयले से देश रोशन हो रहा है, लेकिन उनकी जिंदगी अंधेरी हो गयी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार 23-11-1957 के गजट प्रकाशन के बाद 1970 में उनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था. भूमि अधिग्रहण के बाद उस क्षेत्र में सीसीएल के द्वारा कोयला उत्पादन के लिए ब्लास्टिंग किया जाने लगा तो हम सभी परिवार के लोग डर से भागकर कर्री पंचायत के बाराटांड़ में जा बसे. वहां पर किसी प्रकार गुजर-बसर करने लगे.

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2009 से‌ विस्थापित परिवार द्वारा सीसीएल को दस्तावेज के साथ पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन आज तक उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला. विस्थापन से संबंधित समस्याओं के निदान के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को भी पत्राचार किया गया. सीएमडी को भी आवेदन देकर विस्थापन नीति के तहत मिलने वाली सुविधाओं को लेकर पत्राचार किया, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली. गोमिया के विधायक डॉ लंबोदर महतो ने सीसीएल कथारा के विस्थापितों का मुद्दा सत्र के दौरान उठाया और नियोजन व मुआवजा देने की मांग की. इस पर सीसीएल प्रबंधन द्वारा जांच-पड़ताल करने की बात कही गयी है.

कोयला मंत्रालय के दिशा निर्देश पर विस्थापितों ‌की लंबित समस्याओं के निराकरण को लेकर बोकारो के उपायुक्त कार्यालय में 27-01-20 21 को समीक्षा की गयी. बोकारो के उपायुक्त के द्वारा परियोजना के जीएम को आदेश निर्गत किया गया कि अगली बैठक में पूरी जानकारी दें, ताकि विस्थापितों के नियोजन, मुआवजा व पुनर्वास से संबंधित मामले का निराकरण किया जा सके.

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बाराटांड़ में विस्थापित ग्रामीण खेतीबाड़ी कर अपनी जीविका चला रहे हैं. लगभग 20 परिवार में मेहीलाल मरांडी, गोपीनाथ मांझी, लालचन्द्र मांझी, लालजी मांझी, बाबूचन्द मांझी, सहदेव मांझी, अजित मरांडी, शिवचन्द्र मांझी, रमेश मरांडी आदि ने झारखंड सरकार व सीसीएल के सीएमडी से आग्रह किया है कि उनकी समस्याओं का त्वरित निदान किया जाए. लंबे अरसे से वे न्याय की बाट जोह रहे हैं.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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