Jharkhand News, Hemant Soren News, रांची न्यूज : आदिवासी हितों की रक्षा के लिए आदिवासी मंत्रालय का निर्माण हुआ. संविधान में पांचवीं और छठी अनुसूची भी आदिवासी हित के लिए बनाई गई है. आदिवासी समाज एक ऐसा समाज है, जिसकी सभ्यता, संस्कृति, व्यवस्था बिल्कुल अलग है. आदिवासियों को लेकर जनगणना में अपनी जगह स्थापित करने के लिए वर्षों से मांग रखी जा रही है. झारखंड विधानसभा से पारित कर हमने सरना आदिवासी धर्म कोड की मांग से संबंधित प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेज दिया है. उम्मीद है कि भारत सरकार इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी. वृद्धा पेंशन को यूनिवर्सल किया जाए और मनरेगा मजदूरी बढ़ायी जाए. ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज शनिवार को कहीं. वे नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल 2021 की वर्चुअल बैठक में बोल रहे थे.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि अक्सर क्षेत्र भ्रमण के क्रम में वृद्धों से बात करने का अवसर प्राप्त होता है. वृद्धों की शिकायत रहती है कि उन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है. संबंधित पदाधिकारी बताते हैं कि टारगेट पूर्ण हो चुका है. क्या यूनिवर्सल पेंशन देकर ऐसे वृद्धों को लाभान्वित नहीं किया जा सकता. केंद्र सरकार द्वारा 2007 के बाद से पेंशन की राशि में वृद्धि नहीं की गई है. हालांकि राज्य सरकार ने राज्य कोष से इसको बढ़ाया है. पेंशन को यूनिवर्सल करने पर केंद्र सरकार विचार करे.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीणों की क्रय शक्ति बढ़ाना चाहती है. इसके लिए कृषि, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और आधारभूत संरचना के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. लाह और रेशम की खेती को राज्य सरकार कृषि का दर्जा देने की दिशा में काम कर रही है. मुझे लगता है कि भारत आत्मनिर्भर देश तभी बनेगा, जब ग्रामीण क्षेत्र का सशक्तीकरण होगा. ग्रामीणों का आर्थिक संसाधन कैसे बढ़े, इस पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड श्रमिक प्रधान राज्य है. इनके लिए रोजगार सृजन कैसे हो, इसपर विचार करने की जरूरत है. केंद्र सरकार द्वारा 202 रुपये बतौर मजदूरी दर अंकित किया गया है, जो देश के अन्य राज्यों से कम है. आज के दौर में मनरेगा की कार्ययोजना से झारखंड के श्रमिक कम लाभान्वित हो रहे हैं. केंद्र सरकार इस अंकित मजदूरी दर में वृद्धि करे. साथ ही मजदूरों के लिए बने कानून पर पुनः विचार करने की भी जरूरत है. सशक्त कानून के अभाव में बिचौलिए श्रमिकों के हितों की अनदेखी कर देते हैं. अभी हाल ही उत्तराखंड में एनटीपीसी और बीआरओ के लिए कार्य करने गए श्रमिकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड खनिज प्रधान राज्य है. राज्य और केंद्र के बीच इन मुद्दों को लेकर चर्चा होती रहती है, लेकिन यह लाभदायक साबित नहीं हो रहा है. खनन की रॉयल्टी, डिस्ट्रिक्ट मिनरल्स फाउंडेशन ट्रस्ट फण्ड के अतिरिक्त केंद्र सरकार पार्टनरशिप की दिशा में विचार करे. इससे यहां के वासियों को आगे बढ़ने में आसानी होगी क्योंकि यहां के लोगों को सिर्फ आर्थिक पीड़ा ही नहीं, मानसिक रूप से विस्थापन का दंश भी झेलना पड़ता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत होना आवश्यक है. केंद्र सरकार द्वारा बजट में झारखंड को दिया जानेवाला शेयर 1750 करोड़ होता है, लेकिन इसे 1200 करोड़ कर दिया गया. इससे राज्य को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है. साथ ही कोरोना संक्रमण काल में डीवीसी द्वारा राज्य सरकार के खाते से 2131 करोड़ रूपये की कटौती कर ली गई, जबकि झारखंड के लिए इस मुश्किल दौर में यह फंड जरूरी था क्योंकि यह श्रमिक प्रधान राज्य है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड का बड़ा हिस्सा जंगल-झाड़ी से आच्छादित है. किसी भी तरह के उद्योग स्थापित करने में राज्य सरकार के उद्योग और उद्यमियों को फारेस्ट क्लीयरेंस लेने में इससे परेशानी होती है. साथ ही अधिग्रहित की गई जमीन के एवज में समतुल्य जमीन उपलब्ध कराने में परेशानी होती है. केंद्र सरकार इन विषयों पर विचार करते हुए इसे लचीला बनाने की दिशा में काम करे तो झारखंड जैसे प्रदेश को भी उद्योग स्थापित करने में आसानी होगी. इस अवसर पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, प्रधान सचिव हिमानी पांडेय, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का समेत अन्य उपस्थित थे.
Posted By : Guru Swarup Mishra