Jharkhand News, Jharkhand Private Hospital, Bokaro News: बोकारो के प्राइवेट हॉस्पिटल में कम खर्च में बेहतर इलाज कराने के नाम पर एजेंट हॉस्पिटल वालों से कमीशन वसूल रहे हैं. कई प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम प्रबंधन भी कुछ एजेंट को तुरंत एक हजार से चार हजार तक का भुगतान कर देते हैं, जबकि कई एजेंट इलाज का फाइनल बिल देखकर हिस्सा लेते हैं. बीजीएच और सरकारी अस्पतालों के परिसर में सुबह से लेकर रात तक एजेंट को मरीज के लिए आपस में तू-तू, मैं-मैं भी करते देखा जा सकता है. मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल भेजने के लिए एजेंट आपस (हॉस्पिटल संचालक एवं एजेंट) में बोली तक लगाते हैं. जहां से अधिक कमीशन मिलता है. मरीज वहीं भेजा जाता है.
Jharkhand Private Hospital Update: परिजनों को कम पैसे में बेहतर इलाज का भरोसा दिलाया जाता है, जबकि होता है इसका उलटा. मरीज के परिजनों का आर्थिक दोहन जमकर किया जाता है. प्रमाण चास में संचालित मदर टेरेसा मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर द्वारा एक मरीज के परिजनों को दिया भुगतान बिल है.
मदर टेरेसा मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर द्वारा गिरिडीह के एक मरीज के परिजन को 11 दिन (5 से 15 दिसंबर, 2020) के इलाज का खर्च एक लाख 24 हजार 821 रुपये का बिल थमा दिया गया. परिजन राशि का भुगतान कर गिरिडीह चले गये. बिल में 15 प्रकार का चार्ज दर्शाया गया है. इसमें निबंधन 500 रुपये, चिकित्सक 10 हजार, आरएमओ 6 हजार, नर्सिंग 6 हजार, पल्स ऑक्सीमीटर चार्ज 2500, बेड चार्ज 10 हजार, सीटी स्कैन 1800, ऑक्सीजन 7200, मेजर ड्रेसिंग एक हजार, ब्लड (ए निगेटिव) 27 हजार, दवा 23621, इमरजेंसी डाक्टर 3 हजार, सर्जरी चार्ज 16 हजार, ओटी मेडिसीन 12 हजार रुपये शामिल है. जो परिजन के आर्थिक स्थिति कमजोर करने के लिए काफी है.
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बोकारो जेनरल हॉस्पिटल, सदर हॉस्पिटल सहित सभी प्रखंडों में संचालित सरकारी हॉस्पिटल के आसपास ऐसे लोगों का नेटवर्क काम करता है. नर्सिंग होम एवं प्राइवेट हॉस्पिटल के एजेंट बीजीएच, सदर व अन्य हॉस्पिटल के समीप चक्कर काटते रहते हैं. जब भी कोई मरीज हॉस्पिटल में प्रवेश करता है. उनके परिजनों को बताया जाता है कि सरकारी व्यवस्था में इलाज बेहतर नहीं हो पायेगा. मरीज को जल्दी ठीक करना है, तो फंला अस्पताल लेकर चलें. पैसा थोडा लगेगा, लेकिन मरीज को तुरंत आराम मिलेगा. मरता क्या न करता वाली स्थिति को लेकर परिजन एजेंट के कहे अनुसार, प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंच जाते हैं. इसके बाद आर्थिक दोहन का खेल खुरू हो जाता है. कई बार बिल भुगतान करने में आनाकानी करने पर मरीज बंधक होते हैं.
मदर टेरेसा मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, चास के मैनेजर अमित प्रभात ने कहा कि गिरिडीह से आये मरीज का सिजेरियन हुआ था. ब्लड 2 ग्राम था. बिल नाजायज नहीं है. जब परिजन को भुगतान करने में कोई परेशानी नहीं हुआ, तो फिर किसी को दिक्कत क्यों हो रहा है.
प्राइवेट हॉस्पीटल वेलफेयर एसोसिएशन, बोकारो के अध्यक्ष कुमार प्रभात रंजन ने कहा कि प्राइवेट हॉस्पिटल में एजेंट द्वारा मरीजों को इलाज के लिए भेजना गलत तरीका है. साथ ही हॉस्पिटल द्वारा एजेंट को कमीशन देना भी निंदनीय है. यदि किसी हॉस्पिटल द्वारा ऐसा किया जा रहा है, तो गलत है. हमारे मान-सम्मान को ठेस पहुंच रहा है. स्वास्थ्य पेशा को बदनाम किया जा रहा है. इस मामले को लेकर डीसी और सिविल सर्जन से एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल मिलेगा.
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बोकारो के सिविल सर्जन डॉ एके पाठक ने कहा कि जिले में चलने वाले सभी हॉस्पिटल को क्लीनिकल एस्टब्लीसमेंट एक्ट का पालन करना होगा. सिजेरियन में एक लाख 24 हजार बिल तर्कसंगत नहीं लगता है. मरीज की स्थिति खराब थी, तो हॉस्पिटल उसे हायर सेंटर में रेफर क्यों नहीं किया. हॉस्पिटल ने किस परिस्थिति में इतना बिल लिया. यदि कोई शिकायत आती है, तो निश्चित रूप से जांच शुरू की जायेगी.
क्लिनिकल एस्टब्लीसमेंट एक्ट, झारखंड के राज्य परामर्शी डॉ राहुल कुमार ने कहा कि खराब व्यवस्था को लेकर ही पिछले माह मदर टेरेसा हॉस्पिटल पर जुर्माना लगाया गया था. वहां पूरी सुविधा ऐसी नहीं है कि गंभीर मरीज को रखा जा सके. 2 ग्राम ब्लड लेकर यदि गिरिडीह से गर्भवती महिला अस्पताल आयी और उसका सिजेरियन द्वारा प्रसव कराया गया. गंभीर मामला है. सिजेरियन में एक लाख 24 हजार का बिल बहुत ज्यादा है. कोई शिकायत करे न करें. इस मामले पर हॉस्पिटल से एक्ट के तहत यह पूछा जायेगा कि इतना बिल किस परिस्थिति में और कैसे बनाया गया. मामले की जांच के लिए मरीज के परिजन से गिरिडीह जाकर मुलाकात भी करेंगे.
Posted By : Samir Ranjan.