सरकारी फाइलों में दबकर रह जा रहे पेंशन फॉर्म, दिव्यांगों व विधवाओं को नहीं मिल पा रही पेंशन
Jharkhand Pension News, बोकारो न्यूज (दीपक सवाल) : झारखंड के बोकारो जिले के कसमार प्रखंड की मधुकरपुर पंचायत में अनेक गरीब एवं असहाय विधवाओं एवं निःशक्तों को पेंशन के लिए भटकना पड़ रहा है. प्रखंड कार्यालय में इसके फॉर्म जमा करने के काफी समय बीत जाने के बाद भी पेंशन चालू नहीं हो पाई है. पंचायत प्रतिनिधियों एवं जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा के बावजूद इनकी पेंशन चालू कराने में शासन-प्रशासन ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. इनमें कोई चलने-फिरने में असमर्थ है तो कोई दृष्टि बाधित होने के बावजूद पेंशन के लिए जगह-जगह भटक रहे हैं. इसी तरह कई असहाय विधवाओं को पति की मृत्यु के बाद अपना व बच्चों के भरण-पोषण के लिए काफी कठिनाई हो रही है.
Jharkhand Pension News, बोकारो न्यूज (दीपक सवाल) : झारखंड के बोकारो जिले के कसमार प्रखंड की मधुकरपुर पंचायत में अनेक गरीब एवं असहाय विधवाओं एवं निःशक्तों को पेंशन के लिए भटकना पड़ रहा है. प्रखंड कार्यालय में इसके फॉर्म जमा करने के काफी समय बीत जाने के बाद भी पेंशन चालू नहीं हो पाई है. पंचायत प्रतिनिधियों एवं जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा के बावजूद इनकी पेंशन चालू कराने में शासन-प्रशासन ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. इनमें कोई चलने-फिरने में असमर्थ है तो कोई दृष्टि बाधित होने के बावजूद पेंशन के लिए जगह-जगह भटक रहे हैं. इसी तरह कई असहाय विधवाओं को पति की मृत्यु के बाद अपना व बच्चों के भरण-पोषण के लिए काफी कठिनाई हो रही है.
मधुकरपुर पंचायत के मायापुर गांव की निवासी हैं गुलाबी देवी. इनकी बदकिस्मती यह है कि करीब 15 साल पहले 15 वर्षीय एकलौता पुत्र लापता हो गया था और अब साल भर पहले बीमारी की वजह से इनके पति उमाशंकर हजाम की मृत्यु हो चुकी है. 49 वर्षीय गुलाबी पूरी तरह से बेसहारा हो चुकी है. गुजर-बसर करने में काफी कठिनाइयां उठानी पड़ती है. इन्होंने विधवा पेंशन के लिए साल भर पहले फॉर्म भर कर ब्लॉक में जमा किया था, पर इनकी पेंशन आज-तक शुरू नहीं हो पाई है. गुलाबी अपनी दशा सुनाते हुए पूछ बैठती है- हामर पेंशन कबे चालू भेतय बाबू? गुलाबी ने कहा : पेंशन मिलने से जीवन-बसर करने में काफी सुविधा हो जाती है. पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है. हर किसी से केवल आश्वासन मिला, पर पेंशन कब मिलेगी, स्पष्ट रूप से कोई नहीं बताते हैं.
मधुकरपुर के बरवाटोला निवासी एक अन्य विधवा रेखा देवी भी कुछ इसी कठिनाई से गुजर रही हैं. महज 25 वर्ष की उम्र में ये विधवा हो गई है. साल भर पहले इनके पति सुनील महतो की मृत्यु बीमारी की वजह से हुई है. उन्हें अपेंडिक्स हुआ था. इलाज व ऑपरेशन में घर के सारे पैसे खर्च हो गए. कर्ज भी लेना पड़ा, पर पति को नहीं बच्चा पाई. अस्पताल में ही उनकी मृत्यु हो गई. रेखा के 2 छोटे-छोटे बच्चे हैं. जीवन-यापन के लिए घर से काफी दूर गोला में जाकर दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ रही है. पेंशन के लिए इन्होंने भी करीब साल भर पहले आदेवन ब्लॉक में जमा किया था, पर इनकी पेंशन भी अभी-तक शुरू नहीं हो पाई है.
मधुकरपुर के पारटांड़ निवासी मीना देवी को भी इसी तरह के कष्ट से गुजरना पड़ रहा है. एक साल पहले इनके पति मनोज महतो की मृत्यु ट्रक की चपेट में आने से हो गई थी. वे दिहाड़ी मजदूरी करने जैनामोड़ साइकिल से जैनामोड़ जा रहे थे. इसी क्रम में बहादुरपुर के पास दुर्घटना के शिकार हुए थे. मीना म तीन छोटे-छोटे बच्चे (दो बेटी व एक बेटा) हैं. भरणपोषण के लिए फिलहाल एक नर्सिंग होम में झाडूपोछा करने को मजबूर है. एक साल पहले इन्होंने भी विधवा पेंशन के लिए फॉर्म भरा था, पर अभी-तक इनकी पेंशन भी अटकी हुई है.
मधुकरपुर में इस तरह की अन्य कई विधवाओं के अलावा अनेक निःशक्तों को भी पेंशन के लिए भटकना पड़ रहा है. मधुकरपुर गांव निवासी रोहन मुंडा (54 वर्ष) एवं इनके पुत्र शिबू मुंडा (13 वर्ष) दोनों निःशक्त हैं. दोनों के पैर खराब हैं और ठीक से चल फिर नहीं पाते हैं. रोहन की पत्नी मजदूरी कर के निःशक्त पति व बेटे का किसी तरह भरणपोषण करती है. इन दोनों ने दिव्यांगता पेंशन के लिए काफी समय पहले प्रखंड कार्यालय में आवेदन जमा किया है, पर पेंशन चालू नहीं हो पाई है. श्री मुंडा कहते हैं- अगर दोनों की पेंशन शुरू हो जाती तो जीवन बसर करने में काफी सहूलियत होती, पर उनकी सुने भी तो कौन?
रानीटांड़ के जगरनाथ महतो (पिता- कार्तिक महतो), मायापुर के सम्मा परवीन (पिता- आबिद अंसारी), हरिजन टोला के कजरु रविदास (पिता- गोपी रविदास), मधुकरपुर के शिवम कुमार (पिता- अविनाश मुंडा) समेत अन्य कई निःशक्तों ने भी पेंशन के लिए की अधिकारियों के पास आवेदन जमा किया है, पर पेंशन चालू नहीं होने से इन सभी को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इनमें सुनिया देवी (पति- ज्योतिलाल महतो) भी शामिल हैं, जो सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए भटक रही हैं. मधुकरपुर के युवा समाजसवी ईश्वर रजक ने कहा कि गांव के गरीब एवं असहाय निःशक्तों व विधवाओं को पेंशन के लिए जगह-जगह भटकते देखा जाता है. यह काफी चिंताजनक स्थिति है. अधिकारियों को इन गरीबों की पेंशन जल्द चालू करानी चाहिए, ताकी भरणपोषण में इनकी जिंदगी कुछ आसान हो सके.
Posted By : Guru Swarup Mishra