बोकारो में पिछले 15 दिनों से गर्मी चरम पर है. दोपहर में बदन जलाने वाली सूर्य की तपिश है, तो मध्य रात में हवा गुमशुम होने से परेशान करने वाली गरमी. न तो दिन में चैन है और ना ही रात में आराम. पिछले दो सप्ताह से अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस से अधिक तो न्यूनतम तापमान 30-32 डिग्री सेल्सियस रह रहा है. इस भीषण गर्मी में बोकारो की लाइफलाइन कहे जाने वाले दामोदर नद का प्रवाह सिर्फ 30 प्रतिशत ही रह गया है. इसकी सहायक नदियों की स्थिति भी खराब हो गयी है. कई नदियां तो बिल्कुल सूख गयी हैं. जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की दिनचर्या नदी-तालाब पर निर्भर है. ज्यादातर कुएं सूख गये हैं, जलस्तर काफी नीचे चले जाने से डीप बोरिंग और चापाकल जवाब दे चुके हैं. ऐसी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है.
रांची विश्वविद्यालय के भू-गर्भशास्त्री नीतिश प्रियदर्शी की मानें तो नद-नदियों के सूखने के लिए गर्मी तो कारण है ही, लेकिन मानव क्रियाकलाप भी जिम्मेदार है. नदियों के तट से हो रहे अवैज्ञानिक तरीके से बालू व पत्थर का उठाव जिम्मेदार है. नदी तट पर मौजूद बालू मानसून व बारिश के सीजन में नदी में अधिक मात्रा में बहने वाली पानी को समेटने का काम करती है. इस समेटे हुए पानी को अन्य मौसम में नदी में छोड़ती है. इस कारण नदियों में प्रवाह आम दिनों में भी रहता है. लेकिन, बेतरतीब तरीके से बालू उठाव से यह प्रक्रिया रुक जाती है. इस कारण नदियों का जलस्तर दिनोंदिन कम हो रहा है.
गर्मी का असर सबसे पहले तालाब व कुआं के जलस्तर पर देखने को मिलता है. वर्तमान समय में जिला के 80 प्रतिशत से अधिक तालाब में पानी संग्रहण न्यूनतम स्तर पर है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के झारखंड राज्य के वार्षिक भूजल पुस्तिका अध्ययन रिपोर्ट की मानें तो बोकारो जिला के चास व बोकारो रेलवे स्टेशन के कुआं पर किया गया सर्वे खतरे की घंटी बताती है. चास के कुआं का वाटर लेवल अगस्त 2021 में 5.63 एम बीजीएल था, जो नवंबर 2021 में 6.02 एम बीजीएल हो गया. यानी मानसून में जल स्तर बढ़ा है, लेकिन, ठंड के मौसम यानी जनवरी 2022 में ही कुएं सूख गये थे. इसी तरह जिला का विभिन्न तालाब गरमी शुरू होते ही सूखने लग रहे हैं. तालाब के सूखने का कारण जल संग्रहण क्षेत्र में लगातार आ रही कमी है. एक तरफ तालाब का तल गाद से भर रहा है, तो दूसरी ओर तट पर अतिक्रमण हो रहा है.
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के 2020 व 2022 के तुलनात्मक अध्ययन की माने तो चिह्नित क्षेत्र में 30 प्रतिशत तक का सुधार आया है. जिला में भूगर्भ जल का कुल निकास 30.51 प्रतिशत है. जिला में नौ चिह्नित जगहों पर अध्ययन किया गया. इनमें से बेरमो को छोड़ कर सभी भूगर्भ जल मामले में सुरक्षित हैं.
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बेरमो क्षेत्र इस मामले में अति संवेदनशील स्थिति में है. जिला में हर साल 31507.50 एचएएम जल भूमिगत जल रिचार्ज होता है. वहीं निकासी 8834.06 एचएएम होता है. 2020 की अध्ययन की माने तो जिला के चास क्षेत्र में भूमिगत जल की निकासी 81.67 प्रतिशत थी, इस समय चास को सेमी क्रिटिकल क्षेत्र में रखा गया था, लेकिन, 2022 की रिपोर्ट में जल निकासी 50.25 प्रतिशत रह गयी. इस अध्ययन के अनुसार चास सेफ जोन में शामिल हो गया है. यह जिला के लिए बड़ी उपलब्धि है. जल नल मिशन यानी हर घर में नल से पानी पहुंचाने की दिशा में जिला का काम भी राज्य में तीसरे स्थान पर है.
बोकारो में गर्मी का सितम ऐसा है कि अहले सुबह 08 बजे से सूर्य की तपिश बर्दाश्त के बाहर हो जा रही है. 10 बजते-बजते तो प्रचंड गरमी पड़ने लगती है. इसके बाद घर से निकलना भी मुश्किल हो रहा है. दोपहर में चाह कर भी लोग घर से निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. देर शाम सात बजे तक गरम हवा के थपेड़ों ने जनजीवन को हलकान कर दिया है. रात दो बजे तक हवा में ठंडक नहीं रहती है. सुबह चार बजे न्यूनतम तापमान 33 डिग्री रह रही है. जबकि वैज्ञानिक तरीकों से 25 डिग्री सेल्सियस को रूम टेंपेरेचर माना जाता है. इससे समझा जा सकता है कि जिला का न्यूनतम तापमान भी रूम टेम्परेचर से बहुत अधिक रह रहा है.
गर्मी ने लोगों को इस कदर परेशान कर दिया है कि केरल में मानसून आगमन की खबर सुनने के बाद से हर दिन लोग मानसून व प्री-मानसून की बारिश का इंतजार कर रहे हैं. ताकि, गरमी से कुछ राहत मिल जाये. शाम में आसमान में बादल छाये, सिर्फ बादल को देख कर ही लोगों की राहत की सांस ली. लेकिन, यह राहत कुछ समय का ही साबित हुआ. फिर से उमस वाली गर्मी ने घेर लिया.