Karwa Chauth 2020, Mehandi design 2020 : बोकारो (सुनील तिवारी) : पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला व्रत करवा चौथ इस बार 4 नवंबर को रखा जा रहा है. इस दिन पत्नियां अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. शाम के समय कथा भी करती हैं. शाम के समय पूजा में भगवान गणेश सहित शिव परिवार की भी पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं सोलह शृंगार करती हैं और फिर करवा चौथ व्रत की कथा करती हैं. इस पूजा में भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. रात्रि में चंद्रमा के दिखने पर ही अर्घ्य प्रदान करना चाहिए. चंद्रमा के साथ गणेश एवं चतुर्थी माता को भी अर्घ्य देना चाहिए. सुहागिन पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.
सुहागिनों के जीवन में करवा चौथ के पर्व की खास अहमियत है. अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. रात को चंद्रदर्शन के बाद पति का चेहरा देख कर ही व्रत खोलती हैं. सुहागिनों के जीवन में करवा चौथ पर कुछ खास मौके होते हैं, जो उनके लिए यादगार बन जाते हैं. बोकारो की कुछ गृहिणियों से प्रभात खबर ने करवा चौथ के खास मौकों पर बात की. किसी को अपनी पहली करवा चौथ में पति की ओर से दिया गया उपहार यादगार लम्हा लगता है, तो किसी ने बताया कि चांद निकलने से पहले पति घर आ जाते हैं. किसी को व्रत के दिन पति का सरप्राइज आज भी याद है.
Also Read: IRCTC/Indian Railways News: दीपावली और छठ में झारखंड से होकर गुजरेंगी कई स्पेशल ट्रेनें, जानिये वन- वे में चलेंगी कौन- कौन सी ट्रेन, यहां चेक करें पूरी लिस्टलोहांचल निवासी मनोरमा चड्ढा ने बताया कि वर्ष 1980 में उसकी शादी हुई. उसके अगले साल यानी 1981 से लगातार करवा चौथ का व्रत रख रही है. इस बार भी व्रत की तैयारी है. उन्होंने बताया कि शादी के बाद की पहली करवा चौथ आज भी याद है. व्रत के कुछ दिन पहले अस्पताल में भर्ती थी. डॉक्टर सहित घर-परिवार के सदस्य व्रत रखने से मना कर रहे थे. व्रत के ठीक एक दिन पहले घर आ गयी. सुबह में पूरी निष्ठा के साथ व्रत रखा. कुछ सालों बाद जब बहुओं ने मेरे साथ अपना पहला करवा चौथ व्रत रखा, वो लम्हा भी यादगार बन गया. बहुओं ने परंपरा का निवर्हन शुरू कर दिया. ये देखकर बहुत अच्छा लगा. कहती हैं कि करवा चौथ ताउम्र नहीं भूल पाउंगी. सबसे बड़ी बात यह कि पति दिनेश चड्ढा सभी करवा चौथ में साथ रहते हैं. पति बिजनेस में इतने व्यस्त हैं कि साथ बैठकर खाने का मौका कम ही मिलता है. लेकिन, उनकी खास बात है कि करवा चौथ के दिन वह कितना भी जरूरी काम हो, चांद निकलने से पहले घर आ जाते हैं.
को-ऑपरेटिव कॉलोनी निवासी मंजू गुलाटी ने बताया कि उनकी शादी वर्ष 1977 में हुई. उसके बाद से लगातार व्रत रख रही है. शादी के बाद जब पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा, तब पति भूषण गुलाटी ने चांदी की पायल उपहार में दी थी. मुझे उम्मीद भी नहीं थी कि इस तरह का कोई उपहार मुझे मिलेगा. इसलिए मेरे लिए वो करवा चौथ यादगार बन गयी. उस समय मुझे बहुत खुशी हुई थी. सबसे अच्छा यह लगा कि पति मेरे मन की बात को जान गये थे. उसके बाद से हर साल करवा चौथ का व्रत नेम-निष्ठा के साथ कर रही हूं. अब तो इसमें बहू वर्षा गुलाटी का भी साथ मिल रहा है. कहती हैं कि अच्छा लगता है यह देखकर कि बहू घर-परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं. हर करवा चौथ में पति मेरे साथ रहते हैं. शहर से बाहर का प्लान नहीं बनाते हैं. व्रत के दिन काम पर से चांद निकलने के पहले घर वापस लौट जाते हैं. उनका साथ व्रत के सभी परेशानी को पल भर में दूर कर देता है. साथ ही, उपहार व्रत के आनंद को और बढ़ा देता है.
सिटी सेंटर सेक्टर- 4 निवासी अलका गुप्ता कहती हैं कि उनकी शादी वर्ष 1991 में हुई. उसके बाद से लगातार करवा चौथ का व्रत कर रही है. कहती हैं कि उनकी करवा चौथ तो हर बार अच्छी होती है. एक बार करवा चौथ के दिन शाम को उनके पति महेश गुप्ता ने फोन करके कहा कि उन्हें बिजनेस के सिलसिले में अचानक काम से धनबाद जाना पड़ रहा है. वो कल दोपहर तक लौटेंगे. मैं मायूस हो गयी. चांद निकलने के बाद जैसे ही वो छत पर चंद्रमा को जल देने गयी, अचानक सामने मेरे पति आ गये. उनके हाथ में एक शानदार तोहफा था. उन्हें सामने देख खुशी का ठिकाना नहीं रहा. पति ने बताया कि वो उन्हें सरप्राइज देना चाहते थे. इस दिन सबसे अच्छा तो ये लगता है कि उनके पति जल्दी घर आ जाते हैं. चंद्रदर्शन के बाद उनके साथ बैठकर उनका व्रत खुलवाते हैं. घर के बड़े-बुजुर्ग आशीर्वाद देते हैं. व्रत के दिन पति का पूरा सहयोग एवं साथ मिलता है. उनके सहयोग से ही व्रत को पूरा कर पाती हूं. अब तक एक भी करवा चौथ व्रत छुटा नहीं है.
Also Read: गुड न्यूज : शिकार छोड़ खेती कर रहे कोरी के बिरहोर, डेढ़ दशक में कुछ ऐसी बदली जीवनशैलीदेश के कुछ हिस्सों में करवा चौथ व्रत पूजा की थाली को ‘बाया’ भी कहते हैं, जिसमें सिंदूर, रोली, जल और सूखे मेवे भी रहते हैं. इसके साथ ही मिट्टी के दीये भी पूजा की थाली में होना जरूरी होते हैं. इसके साथ चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि भी होनी चाहिए.
मान्यता है सूर्योदय से पहले सरगी खा लेनी चाहिए. यह सरगी सास बहू को देती है. सरगी खाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करना शुभ होता है. शास्त्रों में चंद्रमा को आयु, सुख एवं शांति का कारक माना जाता है. मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखी होता है. पति की आयु लंबी होती है. लाल रंग की साड़ी या लहंगा (या जो भी आप आउटफिट पहनना चाहें), सिंदूर, मंगलसूत्र, बिंदी, नथनी, काजल, गजरा, मेहंदी, अंगूठी, चूड़ियां, इयररिंग्स (कर्णफूल), मांगटीका, कमरबंद, बाजूबंद, बिछिया और पायल आदि ये सभी करवा चौथ के लिए 16 शृंगार हैं. मिट्टी, कांसे के साथ चांदी का करवा भी बिक रहा है.
करवा चौथ को लेकर बाजार में परंपरागत चीजों की खरीदारी की जा रही है. महिलाएं मिट्टी एवं कांसे के करवा खरीद रही हैं. साड़ी दुकानों पर भीड़ उमड़ रही है. इसके साथ ही चूड़ा, चावल एवं पूजा का सामान भी खरीदा जा रहा है. सिटी सेंटर सेक्टर- 4 समेत बोकारो- चास के सभी छोटे-बड़े बाजारों में करवा चौथ की खरीदारी को लेकर रौनक है. कास्मेटिक की बिक्री भी हो रही है. त्योहार को लेकर खरीदारी के ग्राहक पहुंचने से दुकानदारों के चेहरे खिल उठे है. व्यापारी गौतम जैन ने बताया कि लॉकडाउन के चलते सुस्त पड़ा बाजार एक बार फिर से चल निकला है. इससे कारोबारियों में खुशी है. अभी दीवाली और छठ बाकी है.
Also Read: Jharkhand News: बनहरदी कोल ब्लॉक ड्रिलिंग घोटाले की जांच करेगी एसीबी, सीएम हेमंत सोरेन ने दी मंजूरीकरवा चौथ को लेकर मेहंदी एवं मेकअप के लिए महिलाओं ने बुकिंग करानी शुरू कर दी है. करवा चौथ पर कई ऑफर भी दिये जा रहे हैं. मिट्टी का करवा, चूड़ा, चावल एवं सींकों की बिक्री हर साल की तरह हो रही है. किसी भी चीज के रेट नहीं बढ़े हैं. पुराने दाम में ही सामान बेचा जा रहा है. 7 महीने बाद बाजार में रौनक देखने को मिल रही है. करवा चौथ के त्योहार को लेकर लोगों में उत्साह है. सिल्क की साड़ी की मांग ज्यादा है. पिछले साल की अपेक्षा बाजार नहीं है, लेकिन लॉकडाउन के बाद स्थिति सुधरी है. चारों ओर चहल-पहल तेज हो गयी है. महिलाओं ने इस दिन को खास बनाने के लिए शॉपिंग शुरू कर दी है.
Posted By : Samir Ranjan.