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कृष्ण मुरारी पांडेय ने नहीं की थी वर्चस्व की राजनीति

कृष्ण मुरारी पांडेय ने नहीं की थी वर्चस्व की राजनीति

बेरमो. बेरमो कोयलांचल के मजदूर नेता व समाजसेवी कृष्ण मुरारी पांडेय की 29वीं पुण्यतिथि सोमवार को पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय के फुसरो स्थित आवासीय कार्यालय में मनायी जायेगी. कोयलांचल सहित छोटानागपुर व संथालपरगना क्षेत्र के लोगों के वह प्रिय थे. हालांकि सांसद बनने की इच्छा उनकी पूरी नहीं हो सकी. वह उद्योग मंत्रालय में प्लाइवुड इंडस्ट्री के सलाहकार समिति के सदस्य भी थे. पूर्व प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते थे. पूर्व मुख्यमंत्री जगरनाथ मिश्रा के साथ भी इनकी गाढ़ी दोस्ती थी. स्व पांडेय कूटनीति व वर्चस्व की राजनीति पर विश्वास नहीं रखते थे. कोयलांचल में पूर्व मंत्री स्व राजेंद्र प्रसाद सिंह के साथ उनकी दोस्ती राम-बलराम के रूप में चर्चित थी. कुछ वर्षों तक उन्होंने सीसीएल में नौकरी भी की थी. बाद में नौकरी छोड़ कर एकीकृत बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री व इंटक नेता बिंदेश्वरी दुबे के नेतृत्व में सक्रिय राजनीति में कूद पड़े. वर्ष 1989 में गिरिडीह जिला कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बने. 1992 में बोकारो जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनाये गये. साथ ही इंटक से संबद्ध राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ की सीसीएल रिजनल कमेटी के उपाध्यक्ष भी बने. कोयला मजदूरों की समस्याओं को लेकर वह गंभीर व सजग रहा करते थे. उनका जन्म 1939 में दीपावली की रात गया की ठाकुरबाड़ी कॉलोनी में हुआ था. उनके पिता बागेश्वरी पांडेय बेरमो कोयलांचल में नौकरी करते थे. 12 वर्ष की उम्र में वह अपने पिता के साथ बेरमो आकर रहने लगे. यहां स्थित रामबिलास उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की. औरंगाबाद में एसएन सिन्हा कॉलेज से स्नातक करने के बाद बेरमो लौट आये. कृष्ण मुरारी पांडेय के बड़े पुत्र रवींद्र कुमार पांडेय गिरिडीह सीट से पांच बार सांसद रहे.

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