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औद्योगिक कार्मिकों के महंगाई भत्ता फॉर्मूले में बदलाव करे श्रम मंत्रालय : बीएकेएस

बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने श्रम व रोजगार मंत्री को पत्र लिखकर औद्योगिक कार्मिकों के लिए 1980 में बने फॉर्मूले को वर्तमान व भविष्य में होने वाले बदलावों के आधार पर बदलने की मांग की

बोकारो. बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ (बीएकेएस) ने श्रम व रोजगार मंत्री को पत्र लिखकर औद्योगिक कार्मिकों के लिए 1980 में बने फॉर्मूले को वर्तमान व भविष्य में होने वाले बदलावों के आधार पर बदलने की मांग की है. कहा है कि श्रमिक वर्ग के लिये महंगाई भत्ता तय करने के लिए वर्ष 1936 में अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीआईएन) पद्धति लागू किया गया था. इसके तहत औद्योगिक श्रमिकों व ग्रामीण श्रमिकों को बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए महंगाई भत्ता तय करने के लिये फॉर्मूला लाया गया था. फॉर्मूला वर्ष 1960 व वर्ष 1980 में डॉ सील व रथ कमेटी के माध्यम से संशोधित किया गया. बीएकेएस की ओर से कहा गया है कि 44 वर्षों से एआईसीपीएन को संशोधित नहीं किया गया है, सिर्फ लागू करने का आधार वर्ष बदला गया है. इधर, श्रमिक वर्ग की उपभोग की प्रकृति में काफी बदलाव आया है. कहा कि उपभोग वस्तुओं को श्रम ब्यूरो चंडीगढ़ की ओर से मात्र छह: वर्गो में ही बांटा गया है : खाद्य एवं पेय पदार्थ, पान-सुपारी, तंबाकू व नशीला पदार्थ, कपड़े और जूते, आवास, ईंधन और प्रकाश, विविध श्रेणियों मे बंटे हुए है. इन छह: श्रेणियों को अलग-अलग प्रतिशतों में बांट कर कुल 100% हिस्सा बनाया गया है. अभी के समय में उक्त समूह में वृद्धि आवश्यक है, क्योंकि खर्च प्रवृती में बदलाव आया है. यूनियन की ओर से प्रस्तावित नये समूह को जोड़ने की मांग की गयी है. इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स समूह-लैपटॉप, मोबाइल, ईलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, घरेलू विद्युत उपकरण, मोबाईल रिचार्ज, केबल टीवी, वाईफाई, ऑनलाईन पेमेंट, विद्दुत चार्ज, पर्यटन समूह-होटल, हवाई यात्रा, ट्रेन यात्रा, शिप/क्रुज यात्रा, रेस्टोरेंट में भोजन, प्रिपेड टैक्सी/बाईक, स्वास्थ्य समूह-ओपीडी चिकित्सा, स्वास्थ्य बीमा, अस्पताल में भर्ती/ऑपरेशन, ब्रांडेड मेडिसिन, जेनरिक मेडिसिन, चिकित्सीय जांच, शिक्षा समूह-निजी विद्यालय शुल्क, ट्युशन, कोचिंग, पाठ्य पुस्तक मूल्य, शिक्षा से जुड़े स्टेशनरी का मूल्य आदि शामिल है. बीएकेएस बोकारो के कोषाध्यक्ष बीके मिश्र ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि भारतीय श्रमिक वर्ग की उपभोग की प्रकृति विगत 44 वर्षो में बदलने के बावजूद उनके उपभोग प्रवृति के अनुसार, अभी तक एआईसीपीएन को संशोधित नही किया गया है. इस कारण श्रमिक वर्ग को वास्तविक बढ़ती महंगाई के अनुसार महंगाई भत्ता में वृद्धि का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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