बोकारो जिले के बेरमो अनुमंडल स्थित कोल इंडिया की एकमात्र मैनुअल भूमिगत खदान बंद हो गयी. सीसीएल के कथारा प्रक्षेत्र अंतर्गत गोविंदपुर यूजी माइंस से शनिवार को फर्स्ट शिफ्ट में नौ गाड़ी रेजिंग के बाद से उत्पादन बंद कर दिया गया. 29 मई को सीसीएल में जेसीएसी की हई बैठक में प्रबंधन ने इस माइंस में कार्यरत 197 पीस रेटेड कर्मियों को टाइम रेटेड करने पर सहमति दी थी. फिलहाल इस माइंस के लगभग 600 कर्मी हैं. माइंस बंद होने के बाद इन्हें समायोजित करने की समस्या आयेगी.
सीसीएल की थी 42 भूमिगत खदानें
जानकारी के अनुसार, एक समय सीसीएल में 42 यूजी माइंस (भूमिगत खदानें) थीं. अब मात्र दो यूजी माइंस (अंडरग्राउंड माइंस) ही चल रहीं हैं. इसमें ढोरी एरिया की ढोरी खास यूजी माइंस और चुरी भूमिगत खदान शामिल हैं. केदला यूजी माइंस तथा भुरकुंडा की हाथीदाडी भूमिगत खदान करीब डेढ़ साल से सीटीओ नहीं मिलने के कारण बंद है.
4.3 मिलियन टन कोल रिजर्व है खदान में
प्रबंधन के अनुसार, गोविंदपुर यूजी माइंस से प्रतिदिन 125-150 टन तथा 40-50 हजार टन वाशरी ग्रेड तीन व चार कोयला का उत्पादन हो रहा था. माइंस में 4.3 मिलियन टन कोल रिजर्व है. यह पूरी तरह मैनुअली लोडर माइंस है जहां मैनुअली लोडिंग व उत्पादन होता था. यहां से उत्पादित कोयला को बगल के स्वांग वाशरी में भेजा जाता था. वॉश के बाद यह कोयला स्टील प्लाटों में जाता था.
100 करोड़ से ज्यादा का हुआ था घाटा
पिछले वित्तीय वर्ष में इस माइंस का घाटा 100 करोड़ रुपये से ज्यादा था. प्रबंधन यहां से उत्पादित कोयला को प्रति टन 2408 रुपये की दर से बेचता था और उत्पादन लागत लगभग 35 हजार रुपये आता था. इस माइंस में पीजीपीटी, डिप्लोमा व अप्रेटिंस से जुड़े सैकडों छात्र ट्रेनिंग लेते थे. माइनिंग सरदार, ओवरमैन, अंडर मैनेजर के लिए ट्रेनिंग का मुख्य सेंटर यूजी माइंस ही होता है.
पीस रेटेड मजदूर हुए टाइम रेटेड
सीसीएल कथारा के महाप्रबंधक दिनेश गुप्ता ने कहा कि कंपनी के आदेश के तहत इस माइंस में कार्यरत सभी 197 पीस रेटेड मजदूरों को शनिवार से टाइम रेटेड में कन्वर्ट कर दिया गया है. अब यहां के मैन पावर के उपयोग को लेकर आगे विचार किया जायेगा.
खदान को ट्रेनिंग के लिए मॉडल माइन बनाया जाये
एटक नेता लखनलाल महतो ने कहा कि इस माइंस को ट्रेनिंग के लिए मॉडल माइंस बनाया जाये, जहां डिप्लोमा, डिग्री, फर्स्ट क्लास, सेकेंड क्लास मैनेजर, माइनिंग सरदार, ओवरमैन, अंडर मैनेजर, पीजीपीटी आदि की ट्रेनिंग हो सके. इस माइंस में बचे कोयला के खनन की दिशा में भी प्रबंधन को सोचना चाहिए. फिलहाल कोल इंडिया में कई यूजी माइंसों को रेवन्यू शेयरिंग में दिया गया है. प्रबंधन इस माइंस को भी रेवन्यू शेयरिंग में देने की दिशा में सोचे.
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