झारखंड:संतालियों की धार्मिक धरोहर लुगु पहाड़ पर नहीं लगेगा हाइडल पावर प्लांट, सीएम हेमंत सोरेन ने किया आश्वस्त
धार्मिक धरोहर लुगु पहाड़ पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय सरना धर्म महासम्मेलन के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सीएम हेमंत सोरेन मौजूद थे. उन्होंने कहा कि लुगुबुरु आदिकाल से ही पूर्वजों द्वारा संचालित होता आ रहा है.
बेरमो, महुआटांड़, ललपनिया (बोकारो), राकेश/ नागेश्वर/ रामदुलार: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि जब तक मैं हूं, किसी भी परिस्थिति में आदिवासी संतालियों की धार्मिक धरोहर लुगु पहाड़ पर दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित लुगु पहाड़ पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट को स्थापित नहीं होने दिया जाएगा. हर हाल में आदिवासी समुदाय की आस्था और विश्वास से जुड़ी धार्मिक धरोहर लुगु पहाड़ को संरक्षित किया जाएगा. मुख्यमंत्री आदिवासी समुदाय की धार्मिक धरोहर लुगु पहाड़ पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सरना धर्म महासम्मेलन के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि लुगुबुरु आदिकाल से ही पूर्वजों द्वारा संचालित होता आ रहा है. समय के हिसाब से जिस प्रकार समाज जागरूक हो रहा है, उसी तरह आदिवासी सरना धर्म को भी आगे बढ़ना चाहिए. लुगुबुरु आदिवासियों का पूरे भारतवर्ष में सबसे पवित्र स्थल है. यहां किसी कीमत पर पावर प्लांट नहीं लगेगा. लुगुबुरु धर्म स्थल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है.
संजोकर रखना है लुगुबुरु का इतिहास
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति पूजक है. पहाड़, पर्वत को वे हरा-भरा रखते आए हैं. हम आदिवासी संताल गरीब जरूर है, लेकिन आज तक किसी के धर्म या किसी की कोई भी चीज हो हम गलत नजर से नहीं देखते. हम शांति और सद्भाव से हमेशा रहना चाहते हैं. लुगुबुरु के इतिहास को संजोकर रखना है. अगर ऐसा नहीं होगा तो आने वाली पीढ़ी इस संबंध में कैसे जान सकेगी. इस पर कार्य होना चाहिए. हमें अपने धर्म के प्रति जागरूक रहना है और अपने कर्तव्य को निभाना है. हर समाज के लिए शिक्षा जरूरी है. पहले तीर धनुष से लड़ाई लड़ी जाती थी. अब बुद्धि से लड़ाई होती है. इसलिए शिक्षा का महत्व है. देश का सभी धर्म एक समान एक राह पर चलता है. सारे धर्म में जो भी लोग हैं, वह इस देश की सेवा में लगे हैं.
लुगुबुरु धर्मस्थल को कोई नहीं पहुंचा सकता है नुकसान
झारखंड में सभी आदिवासी अपने समाज के नीति निर्धारण के लिये बैठते हैं. हर देश में कुछ न कुछ आदिवासी हैं. लुगुबुरु आदिवासियों का पूरे भारतवर्ष में सबसे पवित्र स्थल है. यहां किसी कीमत पर पावर प्लांट नहीं लगेगा. लुगुबुरु धर्म स्थल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है. अगर हम सभी एकजुट हो जाएं. उन्होंने कहा कि आदिवासी कमजोर वर्ग से आता है लेकिन हम अपने स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं करते हैं. जब देश में अंग्रेजों का शासन था तो उन्होंने हर समाज को इधर-उधर किया, लेकिन आदिवासी समाज को गलत करने की कोशिश नहीं की. आदिवासियों का धर्म सबसे पुराना धर्म है जो इतिहास में भी दर्ज है. इसलिए इसे बचाये रखने की जरूरत है. कोई बाहर से आकर आपकी रक्षा नहीं करेगा. आपको अपने घर की रक्षा खुद करनी होगी. कहा कि हमारे समाज में शिक्षा का अभाव व पिछड़ापन है. जिसके कारण हमारे समाज में आईएएस, आईपीएस, डाक्टर, इंजीनियर, जज व पत्रकार नहीं बन पाते हैं, लेकिन अब हमारा समाज धीरे-धीरे बदल रहा है. सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये मदद कर रही है, लेकिन आपको अपने में भी बदलाव लाने की जरुरत है. पुराने जमाने में बंदूक व तलवार से लड़ाई होती थी लेकिन अब लड़ाई बुद्धि व विद्या से लड़नी होगी.
धरोहर को बचाने के लिए रहें जागरूक
हेमंत सोरेन ने कहा कि छठी अनुसूची क्षेत्र में पूरे भारत में मात्र इस राज्य में एक आदिवासी मुख्यमंत्री है, लेकिन इस सरकार को गिराने के लिए समय-समय पर विपक्ष तरह-तरह के षडयंत्र रचता है. यहां टीटीपीएस भी लुगुबुरु का ही एक हिस्सा है. लुगुबुरु की इस धरोहर को बचाये रखने के लिये हमेशा सजग रहना होगा. आज वनाधिकार कानून आया है. आप अगर इसका लाभ अभी नहीं लेंगे तो आनेवाले समय दिक्कत होगी. उन्होंने कहा कि देश में अगर किसान आंदोलन नहीं करते तो केंद्र सरकार काला कानून रद्द नहीं करती. इस समाज के लोग अपने हक अधिकार के लिए जागरूक रहें. उन्होंने इस महाधर्म सम्मेलन में देश-विदेश से आए अतिथियों के प्रति आभार जताया.
मंत्री चंपई सोरेन ने भी सभा को किया संबोधित
समारोह को मंत्री चंपई सोरेन ने भी संबोधित किया, जबकि स्वागत भाषण बोकारो डीसी कुलदीप चौधरी ने दिया. मौके पर मंत्री बेबी देवी, दर्जा प्राप्त मंत्री योगेन्द्र प्रसाद महतो, दर्जा प्राप्त मंत्री फागू बेसरा, समिति अध्यक्ष बबुली सोरेन, उपाध्यक्ष बहाराम हांसदा, सचिव लोबिन मुर्मू, उपसचिव मिथिलेश कस्किू, उपायुक्त बोकारो, डीआईजी मयूर पटेल, आरक्षी अधीक्षक प्रियदर्शी आलोक, डीडीसी कृतिश्री आदि थे.