कोयलांचल में पानी पर भी है माफियाओं का वर्चस्व

कोयलांचल में पानी पर भी है माफियाओं का वर्चस्व

By Prabhat Khabar News Desk | April 20, 2024 11:39 PM

राकेश वर्मा, बेरमो : नदी-नालों के अस्तित्व पर विकसित हुए बेरमो अनुमंडल के औद्योगिक क्षेत्रों में पानी के लिए जगह-जगह कोहराम मचा हुआ है. इसकी मुख्य वजह यह है कि जल वितरण की पांच-छह दशक पुरानी व्यवस्था से ही यहां काम लिया जा रहा है. कोयलांचल के लोग पानी के अभाव में आज भी नदी, नाला, तालाब व पानी से भरी खदानों का चक्कर लगाने को विवश हैं. एक सच यह भी है कि कोयलानगरी में सिर्फ कोयला की कमाई पर ही माफियाओं का वर्चस्व नहीं है, बल्कि उसका पानी पर भी कब्जा है. इसके कारण ही सीसीएल के बीएंडके, ढोरी व कथारा एरिया के हजारों लोग पानी संकट झेल रहे हैं. एक तरफ स्वांग कोलियरी से लेकर तारमी के बीच फैले कथारा, जारंगडीह, करगली, बीसीडब्ल्यू और ढोरी प्रक्षेत्र के बीच फैले एक वर्ग विशेष के लोग ऐसे हैं, जिनके घरों में फिल्टर प्लांट से मेन पाइप के जरीये सीधे जलापूर्ति की व्यवस्था प्रबंधन ने करा रखी है. दूसरी तरफ मजदूर वर्ग की बड़ी आबादी नहाने से लेकर खाने-पीने के लिए नदी, नाला, तालाब व सीसीएल की बंद खदानों के रॉ वाटर पर निर्भर है. सीसीएल की प्रबंधकीय व्यवस्था की गिरावट से इस क्षेत्र में जलसंकट और गहराया है. बीएंडके प्रक्षेत्र के सुभाषनगर, जवाहरनगर, रामनगर, फिल्डक्वायरी, घुटियाटांड़, अंबेडकर कॉलोनी, खासमहल, संडेबाजार, चार नंबर गुलाब फाइल, गांधीनगर, तीन नंबर, बारीग्राम, चलकरी आदि क्षेत्रों में जलापूर्ति के लिए करगली फिल्टर प्लांट से 14 इंच का मेन पाइप आता है. लेकिन इस पाइप के जरीये पानी वितरण पर प्रबंधन का नियंत्रण नहीं रह गया है. स्थिति यह है कि उपरोक्त स्थानों पर मेन पाइन में सैकड़ों लोग छेद कर अपने-अपने घरों में पानी ले जाते हैं. टुलू पंप के जरिये ऐसे लोग पानी का मजा लेते हैं. इसकी वजह से क्षेत्र की एक बड़ी आबादी को भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ता है.

भीषण गरमी में सूख रहे परंपरागत जल स्रोत :

बेरमो अनुमंडल के शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में हर साल गरमी के मौसम में लोग भीषण जलसंकट का सामना करते हैं. बेरमो, गोमिया, चंद्रपुरा व नावाडीह प्रखंड के नीचे घाट व ऊपरघाट के इलाकों में जलसंकट गहरा गया है. भीषण गरमी के कारण पेयजल के परंपरागत स्रोत सूख रहे हैं. इन क्षेत्रों में पेयजल का कोई ठोस इंतजाम नहीं है. आज भी ग्रामीण कुआं, झरना, डांडी, चुआं आदि पर निर्भर हैं. ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए कोसों दूर भटकना पड़ता है. मवेशियों को भी पानी नहीं मिल रहा है. पिछले कुछ दिनों से पड़ रही भीषण गरमी के कारण सालों भर पानी से लबालब रहने वाली नदियां, तालाब व कुएं धीरे-धीरे जवाब दे रहे हैं. अधिकतर चापाकल भी बेकार साबित हो रहे हैं. कई जगहों पर नाला में चुआं बनाकर महिलाएं माथे पर ठेगची लेकर पीने के लिए थोड़ा बहुत पानी ले जा रही हैं. सीसीएल बीएंडके एरिया अंतर्गत बोकारो कोलियरी की डीडी माइंस से सटा हुआ इलाका है चार नंबर. इस इलाके की एक बड़ी आबादी वर्षों से अपने दुर्दिन पर आंसू बहाने को विवश है. इस क्षेत्र के सैकड़ों लोगों के लिए सालों भर गोदोनाला तारणहार बनता है, लेकिन अब गोदोनाला धीरे-धीरे सूख रहा है. इसके कारण लोगों को कठिनाई हो रही है. सच कहा जाय तो नेताओं के इस गढ़ में गंदे गोदोनाला की गर्दिशी के सच को आज तक किसी ने नहीं समझा. नावाडीह के ऊपरघाट के जगलों से होकर कुरपनिया, संडेबाजार, चार नंबर व जरीडीह बाजार होकर बहने वाला गोदोनाला जलकुंभी से पटा है. एक दशक पूर्व इस गोदोनाला में गांधीनगर व फ्राइडे बाजार के मध्य करीब 60 लाख की लागत से सीसीएल ने चेक डैम का निर्माण कराया. लेकिन गलत कार्ययोजना के कारण इस गोदोनाला में पानी का संचय नहीं हो पाता है. पूरा चेक डैम सूखा पड़ा है.

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