बोकारो. महाराणा प्रताप ने उस काल खंड में मुगल शासक के खिलाफ खड़ा होने का साहस किया, जब पूरे भारत में इसके बारे में कोई सोच नही सकता था. 36 कौम (जाति) को एक साथ लेकर स्वाभिमान व आजादी की रक्षा के लिए भारत के इतिहास में अमिट छाप छोड़ने का काम महाराणा प्रताप ने किया. ये बातें धनबाद सांसद पशुपतिनाथ सिंह ने कही. गुरुवार की देर शाम सेक्टर चार स्थित कुंवर सिंह प्रतिमा के पास महाराणा प्रताप की जयंती मनायी गयी. सांसद श्री सिंह बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. आयोजन महाराणा प्रताप विचार मंच की ओर से किया गया.
स्वाभिमान के लिए त्याग व बलिदान के प्रतिमूर्ति हैं महाराणा
बेरमो विधायक कुमार जयमंगल ने कहा कि मुगल काल के लंबे कालखंड में हजारों शासक थे, लेकिन जो छाप महाराणा प्रताप व शिवाजी महाराज ने छोड़ी उसकी तुलना नहीं हो सकती. स्वाभिमान के लिए त्याग व बलिदान के प्रतिमूर्ति महाराणा प्रताप आने वाले हजारों-हजार वर्ष तक याद किए जायेंगे. कांग्रेस नेत्री श्वेता सिंह ने कहा कि महाराणा की जयंती से ज्यादा महत्वपूर्ण उनके विचारों को अपनाना है. सभी को साथ लेकर चलने की जज्बा रखने की जरूरत है.
त्याग व समर्पण से सीख लेने की जरूरतराजद नेता धनश्याम चौधरी ने कहा कि मुगल बादशाह अकबर के समय में कई राजे रजवाड़े थे, लेकिन उनमें से महाराणा प्रताप को याद किया जाता है. क्योंकि, महाराणा ने सबसे पहले स्वतंत्र जीने का प्रयास किया और सफल रहें. राजद जिलाध्यक्ष बुद्धदेव यादव ने कहा कि महाराण प्रताप के त्याग व समर्पण से सभी को सीख लेने की जरूरत है. इससे पहले 21 ब्राह्मणों ने गणेश वंदना कर कार्यक्रम की शुरुआत की. अध्यक्षता उदय सिंह व संचालन अतुल सिंह और तरुण सिंह ने किया.
ये थे मौजूद :
मौके पर आरएन ओझा, मृगेंद्र प्रताप सिंह, संग्राम सिंह, एके सिंह, पाली सिंह, शशिकांत सिंह, राजा जनक, माणिक सिंह, अवधेश यादव, शंकर रजक, रंजेश सिंह, एके वर्मा, नीरज कुमार, संत सिंह, रमेश सिंह, मुकेश परमार, नागेंद्र सिंह, गौतम सिंह, अखिलेश्वर सिंह, मनीष सिंह, सुखदेव सिंह, शैलेश सिंह, शत्रुंजय सिंह, संतोष सिंह, नागेंद्र पूरी, द्वारिका नाथ सिंह, अरुण सिंह, रंजय सिंह, नागेंद्र पूरी, मनीष पांडे, सचिन सिंह, बटी सिंह, मयंक सिंह मोंटी सिंह, राकेश सिंह व अन्य मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है