बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा : बोकारो जिला अंतर्गत बेरमो अनुमंडल अंतर्गत जरीडीह बाजार में संभवनाथ भगवान मंदिर है. भगवान संभवनाथ जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में एक हैं. इस मंदिर की स्थापना 25 मई 1954 में जरीडीह बाजार के प्रतिष्ठित व्यवसायी मणीलाल राघव जी कोठारी ने की थी. बाद में ब्लास्टिंग के कारण मंदिर में आयी दरार के कारण तीन फरवरी 1984 को मंदिर की फिर से प्राण प्रतिष्ठा मणीलाल कांजी परिवार की ओर से कराया गया. तीसरी बार इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा तीन मई 2008 को चक्षुदोश लग जाने के कारण करायी गयी थी. इसके भागी कोलकाता के अरुण शांति लाल संघवी बने. उस समय यहां बेरमो, फुसरो, चनचनी, संडे बाजार, फ्राइडे बाजार, गांधीनगर तीन नंबर सहित अन्य क्षेत्रों के लोगों का जुटान हर साल महावीर जयंती के अलावा अन्य धार्मिक अवसरों पर होता था. महावीर जयंती के दिन सुबह पूजा-पाठ के बाद भगवान की पालकी में प्रतिष्ठा रख कर पूरे बाजार में भ्रमण कराया जाता था. इसके बाद सामूहिक भोजन होता था.
जैन धर्म के गुरु महाराज का आगमन होता था
पहले इस मंदिर में प्राय: जैन धर्म के गुरु महाराज का आगमन हुआ करता था. साथ ही चतुर्मास होता था. मंदिर में पाठशाला चला करती थी, जिसमें गुरु महाराज का दिन में प्रवचन होता था. शाम के समय भजन व आरती के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता था. अब भजन व आरती सप्ताह में एक दिन होता है. इस मंदिर के हर कार्यक्रम के दौरान पूरे जरीडीह बाजार में उस वक्त अलग ही रौनक हुआ करती थी.
जरीडीह बाजार में जैन धर्म से जुड़े कई लोग रहते थे
जानकारी के अनुसार, जरीडीह बाजार में सैकड़ों की संख्या में गुजराती जैन, मारवाड़ी जैन, ओसवाल परिवार वर्ष 1930-32 के आसपास गुजरात व सौराष्ट्र से यहां आये. अब इनकी संख्या यहां मुश्किल से 50 से 60 के लगभग रह गयी है. पहले जरीडीह बाजार में जैन धर्म से जुड़े कई चर्चित लोग रहते थे. इसमें मणीलाल राघव जी कोठारी, मणीलाल कांजी, बनेचंद बेलजी. मणीलाल टोलिया, आसकरण कोचर, कांति लाल मेहता, मूलचंद गिडिया, कस्तुरचंद मेहता, हरसुख लाल कोठारी, शांति लाल जैन, मेघराज जैन, ताराचंद जैन, ईश्वरलाल कपूरचंद, दलचंद भाई, भिखू भाई, चुन्नी लाल रमानी, अमृल लाल दोषी, लव भाई, रमणिक भाई ध्रुप,आसकरण जैन, मिलापचंद जैन आदि शामिल हैं.
आध्यात्मिक अवसर है महावीर जयंती
गिरीश भाई कोठारी कहते हैं कि महावीर जयंती एक आध्यात्मिक अवसर है. भगवान महावीर ने अहिंसा का पाठ सिखाया. महावीर जयंती के दिन मंदिर में पूजा व शोभायात्रा में शामिल होते हैं. ध्यान और महावीर के श्लोकों का पाठ करते हैं. संजय बोरा ने कहा कि महावीर जयंती के दिन आमतौर पर पूजा और ध्यान का स्थान एक मंदिर होता है. भक्त जैन मंदिरों की यात्रा भी करते हैं. कई जैन गुरुओं को मंदिरों और घरों में महावीर की शिक्षाओं के बारे में प्रचार करने के लिए आमंत्रित भी किया जाता है. वहीं, हरमेश मेहता ने कहा कि महावीर जयंती जैनियों का एक महत्वपूर्ण पर्व है. भगवान महावीर के उपदेश के अनुसार भक्त मानवता, अहिंसा और सद्भाव को अधिक महत्व देते हैं. भगवान महावीर ने दूसरों के दुख को दूर करने धर्मवृत्ति को अहिंसा धर्म बताया है.
साड़म में वर्ष 2012 में बना भव्य श्री दिगंबर जैन मंदिर
गोमिया प्रखंड के साड़म बाजार स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. इसकी स्थापना वर्ष 2012 में की गयी थी. इसमें कमल कुमार जैन, स्व महाबीर जैन, भागचंद जैन, बिनोद कुमार जैन, घोटु जैन आदि का अहम योगदान था. हालांकि यहां वर्ष 1980 से दूसरे स्थान में छोटे सी जगह पर पूजा होती थी. वर्ष 2012 में भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया. यहां जैन समाज के लोग रोजाना पूजा करने आते हैं. सुबह में भगवान का जलाभिषेक के बाद शांति धारा, पूजन पाठ और शाम में आरती होती है. मंदिर में भगवान महावीर का भव्य प्रतिमा स्थापित है. मंदिर में प्रत्युषण पर्व, महावीर जयंती आदि धूमधाम से मनाया जाता है. मधुबन व अन्य धार्मिक स्थलों से गुरु महाराज का पदार्पण होता है और इस दौरान पूजन, पाठ, प्रवचन आदि के कार्यक्रम होते हैं.
भगवान महावीर के संदेशों को आत्मसात करने की जरूरत
पूर्व उप मुखिया विकास जैन ने कहा कि साड़म स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है. यहां पूजा पाठ करने से मन को शांति मिलती है और मनोकामना भी पूर्ण होती है. वहीं, कमल कुमार जैन ने कहा कि साड़म स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में रोजाना पूजा पाठ होने से क्षेत्र का माहौल भक्तिमय हो जाता है. लोगों को भगवान महावीर के संदेशों से सीख लेकर जीवन को सार्थक बनाना चाहिए.
Also Read: तप व ध्यान की पराकाष्ठा है भगवान महावीर का जीवन