पोषक तत्वों की कमी से होता है कुपोषण : डॉ शेखर
चास अनुमंडल कुपोषण उपचार केंद्र में ‘कुपोषित बच्चों की कैसे करें पहचान’ पर प्रशिक्षण शिविर
बोकारो. चास अनुमंडल स्थित कुपोषण उपचार केंद्र में सोमवार को ‘कुपोषित बच्चों की कैसे करें पहचान’ पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. उद्घाटन एमटीसी (मॉल न्यूट्रिशन सेंटर) प्रभारी डॉ रवि शेखर व एमटीसी इंचार्ज परिचर्या आशा कुमारी, शर्मिष्ठा ने किया. डॉ शेखर ने कहा कि कुपोषण शरीर को कार्य करने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों व मिलने वाले पोषक तत्वों के बीच असंतुलन है. कैलोरी की समग्र कमी के कारण कुपोषण का शिकार हो सकते है. शरीर को उत्तकों व कार्यों को बनाये रखने के लिए निश्चित मात्रा में पोषक तत्वों की जरूरत होती है. जब पोषक तत्व की कमी होने लगती है, तो कुपोषण हावी हो जाता है. डॉ शेखर ने कहा कि कुपोषण एक गंभीर स्थिति है. जब शरीर को विटामिन, प्रोटीन, खनिज, कार्बोहाइड्रेट व वसा जैसे पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते हैं. तब कुपोषण पैदा होता है. भोजन में सही मात्रा में पोषक तत्व नहीं होंगा, तो शरीर ठीक से काम नहीं करेगा. कुपोषण दो प्रकार का अल्पपोषण व अतिपोषण होता है. कुपोषण की पहचान केवल दूबले-पतले शरीर से नहीं करनी चाहिए. बच्चों में उम्र के अनुसार कम वजन, उम्र के अनुसार कम ऊंचाई आदि का विशेष ध्यान रखें. सभी तरह की शारीरिक व मानसिक स्थिति देखने के बाद कुपोषण की प्रतिशत तय किया जाता है. क्षेत्र में जाये और कुपोषित बच्चों की पहचान के बाद तुरंत एमटीसी रेफर करें. कुपोषण के लक्षणों की पहचान करें : डॉ शेखर ने कहा कि कुपोषण के लक्षणों में बार-बार संक्रमण होना, भूख की कमी, शरीर का कम वजन, वसा व मांसपेशियों का नुकसान, विकास का अवरुद्ध होना, कम हृदय गति, शुष्क त्वचा, हमेशा ठंड महसूस होना, कमजोरी, थकावट, पेट में सूजन के साथ पतले हाथ व पैर, भंगुर बाल, चिड़चिड़ापन प्रमुख शामिल है. मौके पर चास व चंदनकियारी के एएनएम सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे. प्रशिक्षण शिविर का समापन मंगलवार को होगा.
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