झारखंड : ‘आम’ ने कसमार की महिलाओं को बनाया खास, बड़े पैमाने पर हो रही खेती
बोकारो जिले के कसमार प्रखंड क्षेत्र की इन दिनों खूब चर्चा है. इस प्रखंड क्षेत्र की सैकड़ों महिलाए 'आम' से खास बनी है. बाजारों में यहां के आम की काफी डिमांड है. वहीं, क्षेत्र की महिलाओं को आम की खेती को लेकर है काफी उत्साह देखा जा रहा है.
कसमार (बोकारो), दीपक सवाल : बोकारो जिला अंतर्गत कसमार प्रखंड के सुदूर गांवों की सैकड़ों महिलाएं, जो पहले केवल चूल्हा-चौकी तक सीमित थीं और दो पैसों के लिए दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ती थी या फिर अपने पति या बेटों पर निर्भर रहा करती थी, वे अब स्वावलंबी बन गयी हैं. गांव-समाज के बीच अब उनकी अपनी खुद की पहचान है और पैसों के लिए पति-बेटों का मोहताज भी नहीं होना पड़ता हैं. अब विशेष परिस्थितियों में ये महिलाएं ही घर-परिवार की जरूरतों को पूरी करती हैं. क्षेत्र के कई गांवों में आम की वजह से यह बदलाव आया है. यूं कह लें, ‘आम’ ने इन महिलाओं को अब खास बना दिया है.
मुरहुलसूदी पंचायत है आम बागवानी में अग्रणी
फिलहाल प्रखंड की मुरहुलसूदी पंचायत आम बागवानी में अग्रणी है. आदिवासी-कुड़मी बहुल यह पंचायत झारखंड व पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित है. वर्ष 2013-14 में जलछाजन योजना का काम इस गांव में शुरू हुआ. प्रदान संस्था के प्रोत्साहन के बाद गांव की महिलाओं ने आम की बागवानी में दिलचस्पी दिखायी. जागृति महिला संघ के अधीन 12-12 महिलाओं के दो समूह बने. जुमित महिला समूह एवं चमेली महिला समूह. जुमित में अधिकांश आदिवासी महिलाएं हैं, जबकि चमेली में अधिकतर कुड़मी महिलाएं जुड़ी हुई हैं. करमनाला जलछाजन समिति द्वारा दोनों समूहों को बागवानी से जोड़कर महिलाओं के 22 एकड़ भूमि पर इंडिगो रिच के आर्थिक सहयोग से काम शुरू हुआ.
महिलाओं ने ऐसे बदली किस्मत
बागवानी वाले भूखंड में सिंचाई की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. इससे बागवानी को सफल बनाना महिलाओं के लिए एक बड़ी चुनौती थी. उस समय इस योजना में पैसे भी कम थे और सिंचाई कूप निर्माण आदि की कोई व्यवस्था भी नहीं थी. महिलाओं ने हार नहीं मानी. घर के पुरुष सदस्यों की मदद से निकटवर्ती नाला से पानी लाकर पौधों को सींचा और अपने बच्चों की तरह उसकी देखभाल की. आठ साल बाद अब सभी पौधे फल देने लगे हैं. महिलाओं ने बताया कि उनके बागान के आमों की बाजार में काफी मांग है.
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आमदनी बढ़ने से खुश हैं महिलाएं
महिलाओं ने पिछले तीन-चार सालों से आम बेच कर अपनी आमदनी बढ़ायी है. इससे उनमें काफी उत्साह व्याप्त है. पिछले वर्ष इस गांव की महिलाओं ने करीब 15 क्विंटल आम बेचे थे. इस वर्ष इनके आम को बाजार भी मिल गया है. ग्रामीण हरित क्रांति महिला प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीसी), सिंहपुर इनके आम को खरीद रही है. अभी तक गांव की महिलाएं करीब पांच क्विंटल आम इस कंपनी को बेच चुकी हैं. इसके अलावा स्थानीय बाजारों में भी खपत हुई है. साथ ही, रिश्तेदारों को भी काफी आम खिलाये गए हैं. अभी भी पांच क्विंटल से अधिक आम निकलने की संभावना है और इस वर्ष करीब ढाई लाख रुपये की आमदनी होने की उम्मीद है. इनकी सफलता को देखकर पंचायत के अन्य महिला समूहों एवं पुरुषों ने भी आम की बागवानी शुरू की है. अभी-तक मुरहुलसुदी में 97 एकड़ में आम बागवानी हो चुकी है. प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभान्वित परिवारों की संख्या 178 है. उपरोक्त महिलाओं के अलावा मनरेगा के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक कुल 75 एकड़ में बागवानी की गई है.
471 एकड़ में हो रही है आम बागवानी
कसमार के मनरेगा बीपीओ राकेश कुमार के बताया कि प्रखंड के अन्य गांवों में भी बड़े पैमाने पर आम की बागवानी हुई है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में आम के मामले में कसमार प्रखंड की एक अलग पहचान होगी. प्रखंड में सबसे पहले जलछाजन योजना के तहत 2013-14 में मुरहुलसूदी में 20 एकड़ भूखंड पर बागवानी हुई थी. उसके करीब पांच वर्षों बाद मनरेगा की बिरसा हरित क्रांति आम बागवानी योजना के तहत पिछले तीन वर्षों में 471 एकड़ भूखंड पर आम की बागवानी की गई है. आने वाले वर्षों में इसकी और भी योजनाएं ली जाएंगी.
बाजार मिलने से महिलाओं में नया उमंग
प्रदान संस्था की पीयूष मोई व वेदप्रकाश ने कहा कि ग्रामीण हरित क्रांति महिला प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीसी) के रूप में एक बाजार मिल जाने से महिलाओं में खेती को लेकर नया उमंग आया है. अब उन्हें अपनी फसलों को बेचने की चिंता नहीं है. कंपनी उचित कीमत पर आम समेत इनकी अन्य सभी सब्जियों की खरीदारी कर लेगी. उन्होंने कहा कि संस्था को इस बात की खुशी है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो मेहनत की गई, उसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं.
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आम के मामले में गांव को मिल रही विशेष पहचान
मुरहुलसूदी की विभा कुमारी का कहना है कि आम के मामले में अपने गांव की विशेष पहचान बन रही है. यह देखकर सभी महिलाएं काफी खुश हैं. पंचायत की लगभग चार सौ महिलाएं इससे लाभान्वित हो रही हैं. वहीं, सुनीता देवी का कहना है कि आम बागवानी की सफलता से महिलाएं काफी उत्साहित हैं. सैकड़ों महिलाओं को इससे स्वावलंबी बनने का मौका मिला है. अन्य फसलों को लेकर भी योजनाएं बनायी जा रही हैं.