Loading election data...

BOKARO NEWS : बेरमो के कई नेता पुत्रों ने संभाली है पिता की सियासी विरासत

BOKARO NEWS : बेरमो विधानसभा क्षेत्र में कई नेता पुत्रों ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभाली है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 19, 2024 11:43 PM

राकेश वर्मा, बेरमो : बेरमो विधानसभा क्षेत्र में कई नेता पुत्रों ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभाली है. इसमें कुछ को तो सफलता मिली, लेकिन कई सफलता के इंतजार में हैं. कई नेता पुत्र राष्ट्रीय स्तर पर श्रमिक राजनीति में ऊंचे पदों पर हैं. एकीकृत बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री इंटक नेता स्व बिंदेश्वरी दुबे, स्व कृष्ण मुरारी पांडेय, स्व राजेंद्र प्रसाद सिंह, एटक नेता स्व शफीक खान, एचएमच नेता स्व रामदास सिंह, स्व मिथिलेश सिन्हा, इंटक नेता स्व रामाधार सिंह, संतन सिंह आदि बेरमो कोयलांचल में सक्रिय रहे. बिंदेश्वरी दुबे के निधन के बाद उनके परिवार के किसी सदस्य ने बेरमो विस की संसदीय व श्रमिक राजनीति में कभी दिलचस्पी नहीं दिखायी. संतन सिंह के भी किसी पुत्र ने राजनीति में रुचि नहीं रखी. संतन सिंह की नतिनी अर्चना सिंह फिलहाल भाजपा की जिला उपाध्यक्ष हैं. पूर्व सांसद व पूर्व विधायक रामदास सिंह ने अपने भतीजे मधुसूदन प्रसाद सिंह को बेरमो से भाजपा का टिकट दिलाया था. शफीक खान व कृष्ण मुरारी पांडेय के निधन के बाद उनके पुत्रों ने राजनीति शुरू की. रामाधार सिंह के पुत्र के बजाय उनके पौत्र ने श्रमिक व संसदीय राजनीति में कदम रखा. बेरमो से रिकार्ड छह बार विधायक रहे कांग्रेस व इंटक के दिवंगत नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह के निधन के बाद उनके बड़े पुत्र कुमार जयमंगल सिंह ने पहली बार वर्ष 2019 में उप चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर महतो बाटूल को पराजित किया. गिरिडीह से रिकार्ड पांच बार भाजपा के सांसद रहे रवींद्र कुमार पांडेय के पुत्र विक्रम पांडेय वर्ष 2019 के टुंडी विस सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी.

शफीक खान के पुत्र आफताब ने तीन बार लड़ा चुनाव

बेंगलुरु में इंजीनियर की पढ़ाई के क्रम में ही पिता मजदूर नेता शफीक खान की मौत के बाद आफताब आलम खान को राजनीति में आना पड़ा. कांग्रेस के राजेंद्र सिंह के खिलाफ तीन बार बेरमो से चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली. वर्ष 2005 में तीसरे स्थान पर रहे तथा 29116 मत मिले. वर्ष 2009 के चुनाव में सीपीआइ के टिकट पर चुनाव लड़ा. इस बार भी तीसरे स्थान पर रहे तथा 20549 मत मिले. 2014 में चुनाव नहीं लड़ा. 2019 के चुनाव में सीपीआइ प्रत्याशी बने और 5695 वोट लाकर चौथे स्थान पर रहे. आफताब के पिता शफीक खान ने भी कई बार बेरमो विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन एक बार भी सफलता नहीं मिली.

रामदास सिंह के भतीजे ने 1990 में भाजपा के टिकट पर लड़ा चुनाव

वर्ष 1990 में पूर्व सांसद व पूर्व विधायक स्व रामदास सिंह के भतीजे मधुसूदन प्रसाद सिंह को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया. वह तीसरे स्थान पर रहे तथा 15858 मत मिले. रामदास सिंह के निधन के बाद श्रमिक राजनीति में उनके पुत्र राजेश सिंह ने बागडोर संभाली. फिलहाल वह राकोमयू के महामंत्री व जेबीसीसीआइ सदस्य हैं. इंटक नेता स्व रामाधार सिंह के पुत्र रामचंद सिंह ने कभी राजनीति में दिलचस्पी नहीं दिखायी. लेकिन रामाधार सिंह के पौत्र ओमप्रकाश सिंह उर्फ टिनू सिंह राजनीति में सक्रिय हैं. जनता मजदूर संघ से जुड़े हैं, जिला परिषद सदस्य है और भाजपा में सक्रिय हैं.

कृष्ण मुरारी पांडेय के पुत्र ने राजनीति में पायी सफलता

1995 में इंटक नेता कृष्ण मुरारी पांडेय के निधन के बाद उनके बड़े पुत्र रवींद्र कुमार पांडेय 1996 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह सीट से भाजपा प्रत्याशी बनाये गये. इस चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1998 और 1999 के मध्यावधि चुनाव में भी जीत दर्ज की. 2009 और 2014 में पुनः श्री पांडेय सांसद चुने गये.

लालचंद महतो के भाई इंद्रदेव महतो ने समता पार्टी के टिकट पर लड़ा था चुनाव

डुमरी से तीन बार विधायक रहे पूर्व मंत्री बेरमो के बैदकारो निवासी स्व लालचंद महतो के अनुज इंद्रदेव महतो ने वर्ष 1995 का विस चुनाव समता पार्टी के टिकट पर लड़ा था. उन्हें 4522 मत प्राप्त हुए थे तथा छठे स्थान पर रहे थे. इंद्रदेव महतो ने 2004 में गिरिडीह लोकसभा सीट से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा तथा 80 हजार से ज्यादा मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version