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झारखंड में Corona की चुनौतियों के बीच MGNREGA से कितनी मजबूत हुई ग्रामीण अर्थव्यवस्था,225 रुपये मिल रही मजदूरी

कोरोना के दौर में जब सभी कार्य बंद थे, तब इन विपरीत परिस्थितियों में भी ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा था. राज्य सरकार ने मनरेगा मजदूरी की दर भी 194 रुपये से बढ़ाकर 225 रुपये प्रतिदिन कर दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 13, 2021 5:25 PM

MGNREGA News Jharkhand, रांची न्यूज : झारखंड में मनरेगा के जरिये रोजगार के नये अवसर सृजित हुए हैं. कोरोना की चुनौतियों के बीच भी मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए बड़ा सहारा बना है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में 1176.1 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ था, जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक 489.82 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ है.

कोरोना के दौर में जब सभी कार्य बंद थे, तब इन विपरीत परिस्थितियों में भी ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा था. राज्य सरकार ने मनरेगा मजदूरी की दर भी 194 रुपये से बढ़ाकर 225 रुपये प्रतिदिन कर दिया है. इससे श्रमिकों को बढ़ी हुई दर पर पारिश्रमिक का भुगतान हो रहा है. मनरेगा की योजनाएं सुचारू रूप से चले, ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो, विकास कार्य को गति मिले और श्रमिकों को रोजगार मिले, इसके लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है.

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झारखण्ड में मनरेगा में बेहतर काम हो रहा है. 2018-19 में 536.59 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ था. 2019-20 में यह बढ़कर 641.95 लाख मानव दिवस हुआ. 2020-21 में 1176.1 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ, जबकि 2021-22 में अभी तक 489.82 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा और बढ़ेगा. सरकार का मनरेगा की योजनाओं पर खासा ध्यान है. राज्य में कई जिले हैं, जहां मनरेगा की प्रगति काफी अच्छी है. इनमें सबसे ऊपर गिरिडीह जिला है. इसके बाद गढ़वा, देवघर, पलामू, दुमका, जामताड़ा, हजारीबाग, चतरा का स्थान है.

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मनरेगा के जरिये जहां श्रमिकों को रोजगार मिला है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को भी बढ़ावा मिला है. मनरेगा के तहत कई तरह की योजनाएं चल रही हैं. इन योजनाअं में नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना, पोटो हो खेल योजना और बिरसा हरित ग्राम योजना शामिल हैं. इससे श्रमिकों को काम मिल रहा है. नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में चेकडैम, ट्रेंच कम बंड (टीसीबी) आदि का बड़ी संख्या में निर्माण किया गया है. इससे बारिश के पानी को रोकने में सहायता मिली है.

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बंजर व टांड़ भूमि में भी अब पानी को रोका जा रहा है. इससे खेती में सहायता मिली है. इसी तरह पोटो हो खेल योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में खेल के मैदान विकसित किए जा रहे हैं. इनमें भी श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है. साथ ही खेल के प्रति लोगों में रुचि भी विकसित हो रही है. बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत राज्यभर में पांच करोड़ पौधरोपण करने का लक्ष्य है. इन कामों को मनरेगा के तहत संपन्न कराया जा रहा है. सरकार का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को रोजगार मिले और विकास कार्य में भी गति आये. सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसमें मनरेगा की भी अहम भूमिका है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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