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बोकारो : हाथ के हुनर ने महंगू महतो को बनाया महंगू मिस्त्री, उनके नेतृत्व में बना था कोनार नदी पर लाेहे का पुल

औद्योगिक नगरी बेरमो कोयलांचल में कई नामी-गिरामी मिस्त्री (मैकेनिक) हुए हैं. ऐसे कई मिस्त्री को पूरे कोल इंडिया में लोग उनके नाम व काम से जानते थे. इन्हीं में एक हैं महंगू मिस्त्री. वह अभी 77 वर्ष के हैं. उनके हुनर ने उन्हें महंगू मिस्त्री के रूप में चर्चित कर दिया.

बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा : आज विश्वकर्मा पूजा है. भगवान विश्वकर्मा सृजन के देवता हैं, शिल्प और श्रम के देवता हैं. इन्हें दुनिया के पहले इंजीनियर के रूप में जाना जाता है. सदियां बीत गयीं, लेकिन सृजन का वह सिलसिला, जिसे भगवान विश्वकर्मा ने शुरू किया था, आज भी जारी है. करोड़ों लोग सृजन के कार्य में लगे हैं और अपने हुनर से देश-दुनिया को खुशहाल बना रहे हैं, उसे बेहतरी की तरफ ले जा रहे हैं. बड़ी-बड़ी फैक्टरियों से लेकर छोटे-छोटे कल-कारखानों और यहां तक कि गांव-शहर की पगडंडियों और दुकानों में ‘आज के विश्वकर्मा’ परंपरागत और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के दम पर निर्माण और मरम्मत के कार्य में लगे हैं. विकास का रास्ता इनके श्रम से होकर ही गुजरता है. प्रभात खबर इस पावन अवसर पर ‘आज के विश्वकर्मा’ के योगदान को रेखांकित करने का प्रयास कर रहा है.

औद्योगिक नगरी बेरमो कोयलांचल में कई नामी-गिरामी मिस्त्री (मैकेनिक) हुए हैं. ऐसे कई मिस्त्री को पूरे कोल इंडिया में लोग उनके नाम व काम से जानते थे. इन्हीं में एक हैं महंगू मिस्त्री. वह अभी 77 वर्ष के हैं. उनके हुनर ने उन्हें महंगू मिस्त्री के रूप में चर्चित कर दिया. वह डाला व लैथ मशीन के मास्टर माने जाते हैं. बीएसएल की नौकरी छोड़ कर अपना काम शुरू किया तो एनसीडीसी व बाद में सीसीएल में काम मिलने लगा. इसके बाद पूरे कोल इंडिया से काम मिलने लगा. उनके वर्कशॉप में उस वक्त बेरमो के श्रमिक नेता बिंदेश्वरी दुबे, रामाधार सिंह, रामदास सिंह, शफीक खान, मिथिलेश सिन्हा, राजेंद्र सिंह आदि बैठकी करते थे. वर्ष 1978 में सतीश कोहली ने अपना वर्कशॉप महंगू को दे दिया था.

1992 में महंगू ने एक डाला ट्रक खरीदा तथा 1984 में फुसरो सिंहनगर में अपना एक खुद का वर्कशॉप खोला था. फिलहाल इस वर्कशॉप में शॉवेल व पोकलेन मशीन का बकैट, हाइड्रोलिक, लैथ मशीन आदि का काम होता है. छह चक्का डंपर चेसिस का डाला बना करता था. कई राज्यों के अलावा उस वक्त नेपाल से भी यहां लोग चेसिस का डाला बनाने आते थे. महंगू मिस्त्री के नेतृत्व में बोकारो थर्मल के निकट कोनार नदी पर और स्वांग-गोविंदपुर परियोजना में लोहा पुल का निर्माण किया गया. जारंगडीह लोहा पुल का रिपेयरिंग की गयी. कारो में बंकर, गोविंदपुर में वर्कशॉप, आरआर शॉप जारंगडीह वर्कशॉप का आधा निर्माण, जारंगडीह व तारमी में फीडर ब्रेकर आदि का निर्माण भी किया गया.

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दिन में नौकरी, रात में वर्कशॉप में करते थे काम

महंगू मिस्त्री के पिता अर्जुन महतो बेरमो में ही रेलवे में नौकरी करते थे. बेरमो, फुसरो के अलावा फुलवाटांड़ स्टेशन में वे पदस्थापित रहे. परिवार फुसरो रेलवे क्वार्टर में रहता था. बिहार के लखीसराय व जमुई के बीच नवीनगर के रहने वाले महंगू मिस्त्री के तीन पुत्र हैं. बड़ा पुत्र रांची सीआरपीएफ में डॉक्टर हैं. दो पुत्र शिवशंकर और सुनील कुमार वर्कशॉप संभालते है. महंगू मिस्त्री ने सात मार्च 1972 को बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी ज्वाइन की थी. लेकिन वर्ष 1991 में नौकरी से उन्होंने गोल्डेन दे दिया.

नौकरी के दौरान वह फुसरो से साइकिल से रोज बोकारो जाते थे. शाम को लौटने के बाद रात में फुसरो में सतीश कोहली के वर्कशॉप में काम करते थे. फिर सुबह उठ कर बोकारो जाते थे. वर्ष 1963 में बेरमो के रामविलास उच्च विद्यालय से हायर सेकेंड्री पास करने के बाद महंगू मिस्त्री फरक्का डैम में काम करने चले गये. वहां पानी के जहाज पर ड्यूटी थी. लेकिन बाढ़ का समय रहने व दिन भर पानी से घिरे रहने के कारण 24 घंटा के अंदर ही वहां से वापस बेरमो आ गये. गोड्डा के हंसडीहा में उनके मामा पीडब्ल्यूडी में ओवरसियर थे. उन्होंने पीडब्ल्यूडी में मुंशी के रूप में रखवा दिया. यहां उन्होंने छह माह तक काम किया. वहां से फिर बेरमो आ गये तथा अपने दोस्त लिलधारी के साथ वर्कशॉप खोल कर काम शुरू किया.

ये हैं बेरमो कोयलांचल के अन्य नामी मैकेनिक

बेरमो में 60-70 के दशक में मैकेनिकल में आजम मिस्त्री, इंजन में शामू मिस्त्री, सेल्फ व डायनेमो में अकबर मिस्त्री, डेटिंग-पेंटिग में बंधु मिस्त्री का बड़ा नाम था. वे पूरे झारखंड में छोटी-बड़ी गाड़ियों के क्रास मेंबर लाइनिंग करने में माहिर जाने जाते थे. मैकेनिक में टेनी मिस्त्री चर्चित थे. वे टोयोटा, माजदा, इसूजू, डीआसजू आदि विदेशी गाड़ियों का इंजन यहां की गाड़ियों में फीट कर देते थे. बड़ी गाड़ियों की डेंटिंग-पेटिंग में लुड्डू मिस्त्री भी चर्चित थे. नया डंपर बनाना हो तो लोग लीलधारी मिस्त्री को याद करते थे. फुसरो-करगली में एक अन्य शामू मिस्त्री बुलेट मोटरसाइकिल के माहिर मिस्त्री थे. मैकेनिकल मिस्त्री के रूप में आजम व जसीम का भी नाम था. बड़ी गाड़ियों का चेसिस बनाने में लखन मिस्त्री चर्चित. शामू मिस्त्री के यहां एक समय पटना के सदाकत आश्रम से एंबेसडर कार मरम्मत के लिए लायी जाती थी. बेरमो के प्रसिद्ध उद्योगपति मणीलाल राघवजी कोठारी की विदेशी प्लाईमॉथ कार खराब होने पर शामू मिस्त्री ही इसकी मरम्मत करते थे.

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